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Wednesday, 6 November, 2024
होमहेल्थट्रंप को दी गई थी एंटीबॉडी कॉकटेल, अधिक जोखिम वाले मरीज़ों की अस्पताल भर्ती में कर सकती है कमी: स्टडी

ट्रंप को दी गई थी एंटीबॉडी कॉकटेल, अधिक जोखिम वाले मरीज़ों की अस्पताल भर्ती में कर सकती है कमी: स्टडी

रेजेन-कोव को अमेरिका की FDA से आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली है. इसका इस्तेमाल कोविड के हल्के से मध्यम मरीज़ों में किया जा सकता है, जो ऑक्सीजन पर नहीं हैं लेकिन जिन्हें गंभीर बीमारी का ख़तरा हो सकता है.

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नई दिल्ली: रेजेन-कोव- दो एंटीबॉडीज़ की एक कॉकटेल, जिसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उस समय दी गई थी, जब वो सार्स-कोव-2 से संक्रमित हुए थे- भारी जोखिम वाले मरीज़ों को कोविड-19 होने पर, अस्पताल में भर्ती होने से बचा सकती है. ये ख़ुलासा एक नई स्टडी में किया गया है.

लांसेट के ई-क्लीनिकल मेडिसिन जर्नल में छपी इस स्टडी में, कोविड से संक्रमित 1,400 मरीज़ों का अध्ययन किया गया. इनमें से 696 मरीज़ों को दिसंबर 2020, और अप्रैल के शुरुआत के बीच ड्रग का मिश्रण दिया गया, जबकि अन्य मरीज़ों को वो नहीं दिया गया.

रेजेन-कोव को अमेरिका स्थित बायोटेक्नॉलजी कंपनी रेजेनरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने विकसित किया है. दवा को पिछले साल नवंबर में अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) से, आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली थी.

ड्रग का इस्तेमाल कोविड के हल्के से मध्यम मरीज़ों में किया जा सकता है, जो ऑक्सीजन पर नहीं हैं लेकिन जिन्हें गंभीर बीमारी का ख़तरा हो सकता है.

एक नई स्टडी में, एक ग़ैर-मुनाफा अमेरिकी चिकित्सा केंद्र- मेयो क्लीनिक के शोधकर्ताओं ने इलाज के 14, 21 और 28 दिन के बाद मरीज़ों का जायज़ा लिया. टीम ने पाया कि इलाज किए ग्रुप में भर्ती किए गए मरीज़ों की संख्या, दूसरे मरीज़ों की अपेक्षा काफी कम थी.

14 दिन के बाद, इलाज किए गए ग्रुप से 1.3 प्रतिशत मरीज़ अस्पताल में भर्ती हुए, जबकि बिना इलाज वाले मरीज़ों में ये संख्या 3.3 प्रतिशत थी.

21 दिन के बाद, इलाज किए गए केवल 1.3 प्रतिशत मरीज़ अस्पताल में थे, जबकि जिन मरीज़ों का इलाज नहीं हुआ था, उनमें में ये संख्या 4.2 प्रतिशत थी.

28 दिन की समाप्ति पर, इलाज किए हुए 1.6 प्रतिशत मरीज़ अस्पताल में थे, जबकि बिना इलाज़ वाले मरीज़ों में 4.8 प्रतिशत अस्पताल में थे.

परिणामस्वरूप, स्टडी में पाया गया कि इलाज किए गए मरीज़ों में, अस्पताल भर्ती में अपेक्षाकृत 60 से 70 प्रतिशत की कमी आई थी. जो मरीज़ बाद में अस्पताल में भर्ती कराए गए, उनमें आईसीयू भर्ती और मृत्यु दरें कम थीं.

रेजेन-कोव के तीसरे दौर के क्लीनिकल ट्रायल्स में भी पता चला था कि मामूली से मध्यम लक्षणों वाले लोगों में, कोविड-19 संक्रमण के दौरान अस्पताल भर्ती और मौत का जोखिम 70 प्रतिशत कम हो गया था.

मेयो क्लीनिक में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और स्टडी के वरिष्ठ लेखक रेमण्ड रेज़नेबल ने एक बयान में कहा, ‘एक बार फिर इस वास्तविक अध्ययन से संकेत मिलता है कि अन्य बीमारियों की वजह से अधिक जोखिम वाले मरीज़ों को, जब कोविड-19 का हल्का या मध्यम संक्रमण होता है, तो मोनोक्लोनल इंजेक्शंस का ये मिश्रण, उन्हें बिना अस्पताल भर्ती के ठीक होने का अवसर देता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो वो सुरक्षित तरीक़े से घर पर ही ठीक हो जाते हैं’.


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मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़

रेजेन-कोव केसिरिविमैब और इम्डेविमैब का मिश्रण होता है- दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार, जिन्हें अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन से आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है.

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ कृत्रिम रूप से तैयार किए गए एंटीबॉडीज़ होते हैं, जिनका मक़सद शरीर के प्राकृतिक इम्यून सिस्टम की सहायता करना होता है. ये एक ख़ास एंटीजेन को निशाना बनाते हैं- पैथोजन का एक ऐसा प्रोटीन इम्यून रेस्पॉन्स पैदा करता है.

ये एंटीबॉडीज़ लैब के अंदर सफेद ब्लड सेल्स को, एक ख़ास एंटिजेन के संपर्क में लाकर पैदा किए जा सकते हैं. कोविड-19 के मामले में, वैज्ञानिक अमूमन सार्स-कोव-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन के साथ काम करते हैं, जो मेज़बान सेल के अंदर वायरस के प्रवेश को सुगम बनाता है.

पैदा किए गए एंटीबॉडीज़ की संख्या बढ़ाने के लिए, एक अकेले सफेद सेल की नक़ल तैयार की जाती है, जिसका इस्तेमाल एंटीबॉडीज़ की एक जैसी कॉपियां बनाने में किया जाता है.

रेज़नेबल ने कहा, ‘कुल मिलाकर इस समय हमारा निष्कर्ष ये है कि अधिक जोखिम वाले मरीज़ों में कोविड-19 के असर को कम करने के लिए, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ इलाज का एक महत्वपूर्ण विकल्प हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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