नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने एक रूसी चमगादड़ में सार्स-कोव-2 के जैसे एक नए वायरस की खोज की है जो इंसानों को संक्रमित कर सकता है और मौजूदा समय में उपलब्ध टीके इसे रोकने के लिए कारगर नहीं हैं.
पीएलओएस पैथागंस पत्रिका में गुरुवार को प्रकाशित एक शोध पत्र में वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि वायरस, जिसे ‘खोस्ता -2’ के नाम से जाना जाता है, कोरोनवायरस की एक सब-कैटेगरी में आता है जिसे सर्बेकोवायरस कहा जाता है. यह सार्स-कोव-2 का ही एक वेरिएंट है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज इंसानों को आने वाले समय में कोविड जैसी महामारियों से बचाने के लिए सर्बेकोवायरस के खिलाफ यूनिवर्सल टीके विकसित करने की जरूरत को रेखांकित करती है.
सर्बेकोवायरस एक रेस्पिरेटरी वायरस हैं जो अक्सर रेकॉम्बिनेशन की प्रक्रिया से गुजरता रहता है. कॉम्बिनेशन वायरल स्ट्रेन की एक प्रक्रिया है जो एक नया स्ट्रेन बनाती है.
अमेरिका में वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सबसे पहले 2020 के अंत में रूसी चमगादड़ों में वायरस की खोज की थी.
टीम ने दो नए वायरस की पहचान की थी और उन्हें खोस्ता-1 और खोस्ता-2 नाम दिया. उन्होंने अपनी खोज के दौरान पाया कि खोस्ता -1 इंसानों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं था. लेकिन खोस्ता -2 में कुछ परेशान करने वाले लक्षण नजर आए.
डब्ल्यूएसयू वायरोलॉजिस्ट और अध्ययन के लेखकों में से एक माइकल लेटको ने एक प्रेस बयान में कहा, ‘हालांकि शुरू में ऐसा लग रहा था कि वायरस इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है. लेकिन जब उन्होंने अधिक बारीकी से देखा, तो वे ये जानकर ‘आश्चर्यचकित हुए कि वायरस में मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने की काबिलियत मौजूद थी.’.
टीम ने यह भी पाया कि खोस्ता -2 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और सीरम दोनों के लिए प्रतिरोधी था. इस वायरस पर सार्स-कोव-2 के लिए बनाए गए टीके का इस्तेमाल किया गया था.
डब्लूएसयू के एक वायरोलॉजिस्ट लेटको ने बयान में कहा, ‘आनुवंशिक रूप से ये अजीब रूसी वायरस कुछ अन्य वायरस की तरह ही दिखते हैं जिन्हें दुनिया भर में कहीं और खोजा गया था. लेकिन ये सार्स-कोव-2 की तरह नहीं दिखते थे, इसलिए किसी ने नहीं सोचा था कि इन पर शोध के नतीजे वास्तव में बहुत उत्साहित करेंगे.’
टीम ने बताया कि हालांकि हाल के कुछ सालों में सैकड़ों सर्बेकोवायरस खोजे गए हैं, खासतौर पर एशिया के चमगादड़ों में. लेकिन इनमें से ज्यादातर मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने में असमर्थ हैं.
लेटको ने कहा, ‘यह इन वायरस के बारे में हमारी समझ को थोड़ा बदल देता है, वे कहां से आते हैं और किन क्षेत्रों से उनका संबंध है.’
लेटको ने बताया, ‘हमारा शोध आगे दिखाता है कि ये सर्बेकोवायरस एशिया के बाहर वन्यजीवों में पनप रहा है, यहां तक कि पश्चिमी रूस जैसे जगहों में जहां खोस्ता -2 वायरस पाया गया था, इसकी मौजूदगी मिली है. यह दुनियाभर को लोगों के स्वास्थ्य और सार्स-कोव-2 के खिलाफ चल रहे वैक्सीन अभियानों के लिए खतरा पैदा करते हैं.’
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वायरस पर टीके और एंटीबॉडी का असर नहीं
शोध दल ने पाया कि सार्स-कोव-2 की तरह, खोस्ता-2 अपने स्पाइक प्रोटीन को ‘एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम 2’ (ACE2) नामक एक रिसेप्टर प्रोटीन से जोड़कर कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए, इसका इस्तेमाल कर सकता है, जो पूरे मानव कोशिकाओं में पाया जाता है.
इसके बाद वे अगली बार यह जांच करने के लिए निकल पड़े कि क्या मौजूदा टीके नए वायरस से सुरक्षा दे पाते हैं या नहीं.
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए इंसानों से लिए गए सीरम का इस्तेमाल किया और पाया कि मौजूदा टीके खोस्ता -2 पर असर नहीं डाल पाते हैं.
उन्होंने उन लोगों के सीरम का भी परीक्षण किया जो ओमाइक्रोन वेरिएंट से संक्रमित थे, लेकिन पाया कि उनकी एंटीबॉडी भी इस वायरस पर बेअसर थी.
लेटको ने कहा, ‘अभी भी ऐसे ग्रुप हैं जिन्हें एक वैक्सीन में एक साथ लाने की कोशिश की जा रही है. यह कवायद न सिर्फ हमें सार्स-2 (सार्स-कोव-2) के अगले वेरिएंट से बचाएगी, बल्कि सामान्य रूप से हमें सर्बेकोवायरस से भी सुरक्षित रखेगी.’
लेटको ने आगे बताया, ‘दुर्भाग्य से हमारे कई मौजूदा टीके खास वायरस से बचाने के लिए तैयार किए गए हैं, वो वायरस जिन्हें हम जानते हैं कि ये मानव कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं या फिर जो हमें संक्रमित करने के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकते हैं. लेकिन यह लिस्ट हमेशा बदलती रहती है. हमें सभी सर्बेकोवायरस से बचाने के लिए इन टीकों के डिजाइन को व्यापक बनाने की जरूरत है.’
टीम ने सामान्य रूप से सर्बेकोवायरस से बचाने के लिए यूनिवर्सल टीके विकसित करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि फिलहाल घबराने जैसी कोई बात नहीं है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में वायरस में कुछ ऐसे जीन्स की कमी है, जिन्हें मनुष्यों में बीमारी के रूप में विकसित होने के लिए जरूरी माना जाता है.
शोधकर्ताओं ने कहा, हालांकि इस वायरस में दूसरे वायरस के साथ फिर से मिलने के जोखिम बना रहता है, जैसेसार्स-कोव-2 एक संभावित घातक स्ट्रेन में विकसित हुआ.
लेटको ने कहा, ‘जब आप देखते हैं कि सार्स-2 (सार्स-कोव-2) में मनुष्यों से और वन्यजीवों में वापस फैलने की क्षमता है और वहीं खोस्ता-2 जैसे अन्य वायरस इन गुणों के साथ, जिन्हें हम वास्तव में नहीं चाहते हैं, जानवरों में पनप रहे हैं. ये एक ऐसी स्थिति बना रहे हैं जहां वे संभावित रूप से जोखिम भरा वायरस बनाने के लिए दूसरे वायरस के साथ मिल सकते हैं.’
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