नई दिल्ली: 2 महीने में पहली बार कोविड-19 के लिए भारत की आर-वैल्यू, जिससे संकेत मिलता है कि संक्रमण कितनी तेज़ी से फैल रहा है- बढ़ गई है और 30 जून को यह 0.78 से ऊपर उठकर जुलाई के पहले सप्ताह में 0.88 हो गई. ये ख़ुलासा चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं ने किया है.
संस्थान के एक शोधकर्ता सीताभ्र सिन्हा ने कहा कि 8 जून के बाद से 20 दिन से अधिक तक, आर-वैल्यू 0.78 पर बनी हुई थी.
आर वैल्यू अभी भी 1 से कम है, इसलिए देश में एक्टिव मामलों में कमी जारी है, लेकिन वैल्यू बढ़ने का मतलब है कि गिरावट की रफ्तार अब पहले से धीमी है.
आर-वैल्यू में लोगों की संख्या का अनुमान लगाया जाता है, जिन्हें एक बीमार व्यक्ति संक्रमित कर सकता है. महामारी का अंत तभी हो सकता है, अगर ये संख्या 1 से नीचे रखी जा सके.
तक़रीबन पूरे जून 0.78 पर बनी रही आर-वैल्यू, महामारी की शुरुआत के समय से अपने निम्नतम स्तर पर बनी हुई थी.
सिन्हा ने, जो महामारी की शुरुआत से ही आर-वैल्यू के आंकड़ों पर नज़र रखे हुए हैं, दिप्रिंट को बताया, ‘बहुत से राज्यों में एक्टिव मामलों में, गिरावट की रफ्तार में कमी भी देखने में आ रही है’.
उन्होंने आगे कहा कि पिछली बार जब आर-वैल्यू में बढ़ने का रुझान देखा गया था, वो इस साल फरवरी के बाद से था, जब वो 19 फरवरी को 0.93 से बढ़कर, 26 फरवरी को 1.02 हो गई थी. मार्च और अप्रैल में भी वो बढ़ती रही, जब देश में विनाशकारी दूसरी लहर देखने में आई और 26 अप्रैल को वो अपने चरम 1.31 पर पहुंच गई. उसके बाद से इस ताज़ा उछाल के आने तक वो कम होती जा रही थी.
सिन्हा ने कहा कि आर-वैल्यू में बढ़ोत्तरी मुख्य रूप से केरल और महाराष्ट्र में आई तेज़ी की वजह से देखी जा रही है- दो सूबे जहां एक्टिव कोविड मामलों का बोझ सबसे अधिक है.
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महाराष्ट्र और केरल में वृद्धि
महाराष्ट्र में पिछले कई हफ्तों से आर-वैल्यू में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. 13 से 23 मई के बीच राज्य में आर-वैल्यू गिरकर 0.79 पर आ गई थी. 30 मई तक ये बढ़कर 0.84 हो गई थी.
सिन्हा ने कहा कि जहां 8 जून के आसपास वैल्यू थोड़ा कम होकर 0.81 हो गई थी, 25 जून तक ये फिर से बढ़कर 0.89 पहुंच गई. सिन्हा ने आगे कहा कि फिलहाल, वैल्यू फिर से बढ़ गई है और 1 के क़रीब है, हालांकि वो कोई मज़बूत अनुमान नहीं लगा सके.
केरल के मामले में, आर की वैल्यू मई के बाद से बढ़ रही है. इस महीने के शुरू में आर-वैल्यू बढ़कर 1.10 हो गई. सिन्हा ने कहा कि महाराष्ट्र की तरह, केरल की आर-वैल्यू भी 1 के क़रीब हो गई है.
तमिलनाडु के लिए आर-वैल्यू बढ़कर 0.9 हो गई है जो जून के पूरे महीने में 0.63 रही थी. इसी तरह, आंध्र प्रदेश की आर-वैल्यू भी बढ़कर इस हफ्ते 0.87 पहुंच गई, जो 26 जून को क़रीब 0.79 थी.
एक और राज्य उत्तराखंड में भी, जो सबसे अधिक एक्टिव मामलों वाले सूबों में है, आर-वैल्यू में इज़ाफा देखा गया है. क़रीब 15 जून के आस-पास राज्य की आर-वैल्यू 0.79 थी, ये अब बढ़कर 0.94 हो गई है.
ऊंची R-वैल्यू वाले दूसरे क्षेत्र
उत्तर-पूर्वी राज्यों में एक साथ आर-वैल्यू में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. 26 जून को मणिपुर की आर-वैल्यू घटकर 0.43 के निचले स्तर पर आ गई थी. ये तेज़ी से बढ़कर 1.07 हो गई है.
मेघालय में आर वैल्यू बढ़कर 7 जुलाई के आसपास 0.92 पर आ गई, जो 29 जून को 0.87 थी.
त्रिपुरा की आर-वैल्यू भी इस हफ्ते बढ़कर 1.15 हो गई, जो 2 जुलाई तक 0.73 के क़रीब थी.
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी इसी तरह का रुझान देखा गया है, जहां आर-वैल्यू क्रमश: 0.88 और 0.85 से बढ़कर 1.14 और 0.88 हो गई है.
वैल्यू में बढ़ते रुझान की मदद से, अगली कोविड लहर का अनुमान लगाया जा सकता है.
मसलन, भारत की दूसरी लहर से पहले, जनवरी में आर-वैल्यू घटनी बंद हो गई थी और फरवरी में इसमें बढ़ोत्तरी शुरू हो गई थी. इसके नतीजे में मार्च आते-आते संख्या में भूतपूर्व वृद्धि देखी गई.
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