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Saturday, 21 December, 2024
होमहेल्थरेमडिसिविर के दाम पर सरकार की समीक्षा के बाद फार्मा कंपनियां बोलीं- 3500 रुपये प्रति शीशी तक ही रखेंगी कीमत

रेमडिसिविर के दाम पर सरकार की समीक्षा के बाद फार्मा कंपनियां बोलीं- 3500 रुपये प्रति शीशी तक ही रखेंगी कीमत

रेमडिसिविर कोविड मरीजों के इलाज और देश में ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के तहत सबसे अधिक मांग वाली प्रायोगिक दवाओं में से एक है.

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नई दिल्ली: एंटी वायरल ड्रग रेमडिसिविर बनाने वाली भारत की शीर्ष फार्मा कंपनियों ने दवा की कीमत ‘स्वेच्छा से घटाकर’ 3,500 रुपये प्रति शीशी से कम ही रखने का फैसला किया है.

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की तरफ से बुधवार को जारी एक प्रेस बयान में कहा गया है, ‘कोविड के खिलाफ जंग के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का समर्थन करते हुए रेमडिसिविर के निर्माता स्वेच्छा से इसके दाम घटाकर सप्ताह के अंत तक 3500 रुपये तक करने के लिए आगे आए हैं. रेमडिसिविर निर्माताओं को अस्पतालों/इंस्टीट्यूट स्तर की जरूरतों को पूरा करने को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया है.’

यह घोषणा मोदी सरकार की तरफ से रेमडिसिविर के खुदरा दामों की समीक्षा किए जाने के फैसले के कुछ ही घंटों बाद की गई है ताकि कोविड-19 मरीज इसे खरीदने में समक्ष हो सकें.

रेमडिसिविर कोविड मरीजों के इलाज और देश में ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के तहत सबसे अधिक मांग वाली प्रायोगिक दवाओं में से एक है.

देशभर में कोविड के मामलों में वृद्धि के बाद रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत काम करने वाला फार्मास्युटिकल विभाग (डीओपी) और नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) दवा की उपलब्धता की लगातार निगरानी रखे हुए हैं.

दोनों विभाग भारत में सात शीर्ष दवा कंपनियों द्वारा बनाई जा रही दवा के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की भी समीक्षा करते रहे हैं.

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में मंगलवार को दवा निर्माताओं के साथ हुई बैठक में दवा का उत्पादन बढ़ाने और एमआरपी में अंतर होने के मुद्दे पर चर्चा की गई.

बैठक में शामिल रहे एक अधिकारी ने बताया, ‘दवा निर्माताओं से अपनी कीमतों पर पुनर्विचार को कहा गया क्योंकि इनमें काफी भिन्नता है. एक कंपनी 900 रुपये प्रति शीशी के दाम पर दवा बेच रही है, जबकि दूसरी इसे 5,400 रुपये में बेच रहा है—जिसमें पांच-छह गुना का अंतर है.

अधिकारी ने कहा, ‘वैसे, सभी निर्माताओं ने उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है और दोगुनी दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं.’

बैठक में एनपीपीए अध्यक्ष शुभ्रा सिंह, फार्मास्यूटिकल्स विभाग में सचिव एस. अपर्णा और एनपीपीए में सदस्य सचिव विनोद कोतवाल भी मौजूद थे.

सरकार की तरफ से कीमतों की समीक्षा के बारे में दिप्रिंट के ईमेल का जवाब देते हुए वियाट्रिस (जिसे माइलान के नाम से भी जाना जाता है) में प्रेसिडेंट इंडिया, इमर्जिंग एशिया एंड एक्सेस मार्केट्स राकेश बामजई ने कहा, ‘हम भारत में सरकार के साथ मिलकर मरीजों की जरूरतों को पूरा करने और उन्हें यह महत्वपूर्ण दवा मिलना सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.’

अन्य निर्माताओं को भेजे गए इसी ईमेल पर रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.


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कीमत 899 से 5,400 रुपये प्रति शीशी के बीच

जायडस कैडिला का ब्रांड रेमडैक गिलियड साइंसेज के इंजेक्टेबल रिपर्पस्ज ड्रग रेमडिसिविर का सबसे सस्ता जेनेरिक वर्जन है, जिसे पिछले साल अगस्त में 2,800 रुपये प्रति शीशी की कीमत पर लॉन्च किया गया था. इसे अब और घटाकर 899 रुपये कर दिया गया है.

ऊपर उद्धृत अधिकारी के अनुसार, ‘सबसे कम कीमत पर (रेमडिसिवर श्रेणी में) भी दवा बेचने वालों को थोक विक्रेता के स्तर पर 10 प्रतिशत और खुदरा विक्रेता के स्तर पर 20 प्रतिशत का लाभ मिल रहा है. दवा की निर्माण प्रक्रिया कमोबेश हर फार्मा कंपनी के लिए समान रहती है. हम इसे लेकर चिंता पर काम कर रहे हैं और जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा.’

देश में केमिस्ट्स और ड्रगिस्ट्स की सबसे बड़ी लॉबी ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के मुताबिक, हेटेरो लैब्स और डॉ. रेड्डी की रेमडिसिविर 5,400 रुपये प्रति शीशी की एमआरपी पर बेची जा रही है.

जुबिलेंट लाइफ साइंसेज और माइलान की दवाओं की कीमत 4,700 रुपये से 4,800 रुपये प्रति शीशी के बीच है, जबकि सिप्ला और सन फार्मा की इस एंटी वायरल दवा की कीमत क्रमशः 4,000 रुपये और 3,950 रुपये प्रति शीशी है.

एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा, ‘मरीजों के परिजनों को रेमडिसिविर के ब्रांड के बीच मूल्यों का यह अंतर आमतौर पर काफी चौंकाता है और यह कम कीमत पर मिलने वाले उत्पाद की प्रभावकारिता पर भी सवाल खड़े करता है. कीमतों में इतनी अधिक भिन्नता का कोई ठोस कारण नहीं है.

मार्च में महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने केंद्र सरकार को दवा मूल्य निर्धारण आदेश, 2013 के तहत दवा की अधिकतम कीमत तय करने का प्रस्ताव भेजा था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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