scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमहेल्थस्टडी में खुलासा बच्चे भी ओमीक्रॉन से सुरक्षित नहीं, महाराष्ट्र में 'सब-वैरिएंट' B.A.4 और B.A.5 के मरीज आए सामने

स्टडी में खुलासा बच्चे भी ओमीक्रॉन से सुरक्षित नहीं, महाराष्ट्र में ‘सब-वैरिएंट’ B.A.4 और B.A.5 के मरीज आए सामने

दक्षिण अफ्रीका समेत दुनिया के कुछ हिस्सों में अप्रैल में ओमीक्रॉन के सब-वैरिएंट के बारे में पता चला था, लेकिन राज्य में अब तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया था.

Text Size:

नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामलो में रोज़ उतार-चढ़ाव नज़र आ रहा है वही दूसरी तरफ महाराष्ट्र में तेजी से फैल रहा है ओमीक्रॉन का ‘सब-वैरिएंट’ बी.ए. 4 और बी.ए. 5. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार महाराष्ट्र में बी.ए. 4 के चार, जबकि बी.ए.5 के तीन मरीज पाए गए हैं. उन्होंने बताया कि इन रोगियों में चार पुरुष और तीन महिलाएं शामिल हैं. चार रोगियों की आयु 50 वर्ष से अधिक और दो की उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच है, जबकि एक रोगी की आयु नौ साल है. आगे बताया कि सभी में हल्के लक्षण पाए गए है और घरों पर ही उनका इलाज चल रहा है.

अधिकारी ने कहा, ‘सभी छह व्यस्क कोविड-19 रोधी टीकों की दोनों खुराक ले चुके हैं, जबकि एक ने तो बूस्टर खुराक भी ले रखी है. बच्चे का टीकाकरण नहीं हुआ है.’

अधिकारी ने कहा कि, ‘उनके नमूने 4 से 18 मई के बीच लिये गए थे. उनमें से दो दक्षिण अफ्रीका और बेल्जियम गए थे, जबकि तीन ने केरल और कर्नाटक की यात्रा की थी. दो अन्य रोगियों का कोई यात्रा इतिहास नहीं है.’

दक्षिण अफ्रीका समेत दुनिया के कुछ हिस्सों में अप्रैल में ओमीक्रॉन के सब-वैरिएंट के बारे में पता चला था, लेकिन राज्य में अब तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया था.


यह भी पढ़े: असफल महत्वाकांक्षा या कुछ और- 15 दिनों में इंडस्ट्री की 4 महिलाओं की मौत, बंगाल फिल्म जगत पर उठे सवाल


बच्चे ओमीक्रॉन वैरिएंट से सुरक्षित नहीं

वही, एक नए अध्ययन में पता चला कि जो बच्चे पहले कोविड-19 से संक्रमित थे, वे कोरोनावायरस के ओमीक्रॉन स्वरूप से सुरक्षित नहीं हैं. हालांकि अध्ययन में कहा गया है कि टीकाकरण से सुरक्षा मिलती है.

हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष वयस्कों में मिले तथ्यों के समान ही हैं.

शोध पत्र के वरिष्ठ लेखक और बोस्टन चिल्ड्रन अस्पताल, अमेरिका से संबद्ध एड्रिएन रैंडोल्फ ने कहा ‘मैंने माता-पिता को यह कहते हुए सुना, ‘ओह, मेरे बच्चे को पिछले साल कोविड था.’

रैंडोल्फ ने कहा ‘लेकिन हमने पाया कि बच्चों में पूर्व संक्रमणों से पैदा हुए उत्पादित रोग प्रतिरोधक क्षमता (एंडीबॉडी) ओमीक्रॉन को बेअसर नहीं करती है, इसका अर्थ है कि बिना टीकाकरण वाले बच्चे वायरस के ओमीक्रॉन स्वरूप के मामले में अतिसंवेदनशील हैं.’

अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सुरेंद्र खुराना सहित अन्य शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हुए 62 बच्चों और किशोरों के रक्त के नमूने प्राप्त किए.

उन्होंने ‘एमआईएस-सी’ के कारण अस्पताल में भर्ती हुए 65 बच्चों और किशोरों और हल्के कोविड​​​​-19 से पीड़ित और संक्रमण मुक्त हो चुके 50 रोगियों की जानकारी भी एकत्र की.

सभी नमूने 2020 और 2021 की शुरुआत में, ओमीक्रॉन स्वरूप के शुरू होने से पहले एकत्र किए गए थे.

प्रयोगशाला में, शोधकर्ताओं ने नमूनों को एक ‘स्यूडोवायरस’ से मिलाया और यह पता लगाया कि नमूनों में रोग प्रतिरोधक क्षमता किस हद तक सार्स-कोव-दो के पांच स्वरूपों- अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रॉन को बेअसर करने में सक्षम है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि कुल मिलाकर, बच्चों और किशोरों ने सभी पांच प्रकार के स्वरूपों के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता का कुछ नुकसान दिखाया, लेकिन ओमीक्रॉन को लेकर नुकसान सबसे अधिक स्पष्ट था.

शोधकर्ता रैंडोल्फ के मुताबिक ‘बिना टीकाकरण वाले बच्चे अतिसंवेदनशील हैं.’

इसके विपरीत, जिन बच्चों को कोविड-19 टीके की दो खुराकें मिली थीं, उनमें ओमीक्रॉन सहित सभी पांच स्वरूपों के खिलाफ उच्च प्रतिरोधक क्षमता दिखाई दी.

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ये निष्कर्ष माता-पिता को अपने बच्चों और किशोरों को टीका लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


यह भी पढ़ेंः मुकुल रॉय, बाबुल सुप्रियो और अब अर्जुन सिंह: आखिर क्यों ममता से बंगाल में ‘खेला’ हारती जा रही है BJP?


share & View comments