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Sunday, 13 October, 2024
होमहेल्थकर्नाटक डॉक्टर को ओमीक्रॉन कैसे हुआ इस पर रहस्य बरक़रार, कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन की ‘संभावना नहीं’

कर्नाटक डॉक्टर को ओमीक्रॉन कैसे हुआ इस पर रहस्य बरक़रार, कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन की ‘संभावना नहीं’

कर्नाटक देश का पहला राज्य था जहां 2 दिसंबर को ओमीक्रॉन के 2 मामले सामने आए थे. उनमें से एक मरीज़ एक स्थानीय डॉक्टर है जिसका अपना या उसके 200 संपर्कों का यात्रा का कोई इतिहास नहीं है.

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बेंगलुरू: क़रीब एक हफ्ते के बाद जब देश में कोविड के ओमीक्रॉन वेरिएंट के दो सबसे पहले मामले कर्नाटक में सामने आए थे जिनमें एक ऐसा डॉक्टर भी था जिसका सफर का कोई इतिहास नहीं था. उस संक्रमण का स्रोत अभी भी एक रहस्य बना हुआ है.

सरकार ने डॉक्टर की पिछले एक महीने की गतिविधियों का पता लगाने का फैसला किया ताकि संक्रमण के स्रोत का पता लग सकें लेकिन उसकी यात्रा का कोई इतिहास नहीं मिला. अभी तक डॉक्टर के लगभग 200 प्राइमरी और सेकेंडरी संपर्कों का पता लगाया जा चुका है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को उनमें कोई व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जिसका यात्रा का इतिहास रहा हो.

कर्नाटक के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ के सुधाकर ने दिप्रिंट से कहा, ‘विशेषज्ञ इसपर विचार कर रहे हैं कि क्या परिवर्तित वायरस स्थानीय आबादी में भी फैल रहा है? क्योंकि ये नया स्ट्रेन एक ऐसे व्यक्ति में मिला है जिसका सफर का कोई इतिहास नहीं रहा है. हालांकि, जब तक हमें कोई सबूत नहीं मिल जाता तब तक हर तार्किक विचार एक संभावना है’.

वायरोलॉजिस्ट डॉ वी रवि जो निमहंस बेंगलुरू की इंडियन सार्स-कोव-2 जिनॉमिक्स कंसॉर्शियम (इंसाकॉग) लैब के नोडल अधिकारी हैं और कर्नाटक की कोविड-19 जिनोम सीक्वेंसिंग कमेटी के अध्यक्ष हैं उन्हों कहा कि कर्नाटक के लिए एक पूर्वानुभव का अहसास हो रहा है.

रवि ने दिप्रिंट से कहा, ‘डॉक्टर के सभी प्राइमरी और सेकेंडरी संपर्कों का पता लगाया जा चुका है और उनमें किसी का भी ऐसे किसी व्यक्ति से संपर्क नहीं हुआ जिसका किसी विदेश यात्रा का इतिहास रहा हो. वायरस के नए म्यूटेशंस दुनिया में कहीं भी पैदा हो सकते हैं लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि कहीं कोई ऐसी गुमशुदा कड़ी है जिसे हम कभी स्थापित नहीं कर पाएंगे. ठीक वैसे ही जैसे पिछले साल जुबीलिएंट फार्मा के मामले में हुआ था’.

वायरोलॉजिस्ट राज्य में पिछले साल कोविड की पहली लहर का उल्लेख कर रहे थे जब मैसूरू की एक फार्मास्यूटिकल कंपनी जुबीलिएंट जेनेरिक्स, सबसे बड़े क्लस्टर का केंद्र बन गई और उस समय ज़िले के कुल 96 मामलों में से 74 अकेले उस कंपनी में थे. उसके नतीजे में 28 जगहों को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया गया. हालांकि, सरकार के जांच कराने के बावजूद, संक्रमण के स्रोत का कभी पता नहीं चल सका.

2020 में फार्मा कंपनी ने ज़ोर देकर कहा था कि उसके किसी भी कोविड-संक्रमित कर्मचारी का पिछले छह महीनों में विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं रहा था.


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कम्यूनिटी ट्रांसमीशन की स्टेज में नहीं

एक्सपर्ट्स ने ज़ोर देकर कहा है कि सिद्धांत रूप से अगर संक्रमण के स्रोत का पता नहीं चल पाता है तो उसके आधार पर कम्यूनिटी ट्रांसमीशन मान लिया जाता है लेकिन एक व्यवहारिक नज़रिया कुछ और ही सुझाता है.

डॉ रवि ने कहा, ‘अच्छी ख़बर ये है कि कोई नए क्लस्टर्स नहीं हैं. अगर कोई व्यापक कम्यूनिटी ट्रांसमीशन होता तो हमें अभी तक कई क्लस्टर्स मिल जाने चाहिए थे’.

उन्होंने आगे कहा कि एक ही तरह के म्यूटेशंस के एक से अधिक भौगोलिक स्थान पर स्वतंत्र रूप से विकसित होने की संभावना बहुत कम है. उन्होंने कहा, ‘सिद्धांत रूप से ऐसा हो सकता है लेकिन उसकी संभावना बहुत कम है’.

ओमीक्रॉन वेरिएंट को लेकर फैले डर के बीच कर्नाटक में टीकाककरण में बढ़ोतरी देखी जा रही है. 4 दिसंबर तक, राज्य ने अपनी पात्र आबादी के 93 प्रतिशत लोगों को एक डोज़ लगा दिया था और 64 प्रतिशत को दोनों ख़ुराकें मिल गईं थीं.

बृहत बेंगलुरू महानगर पालिके आयुक्त गौरव गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘अब ज़्यादा संख्या में लोग टीका लगवाने के लिए आ रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में हमने देखा था कि लोगों में एक तरह का आत्मसंतोष आ रहा था जिससे टीकाकरण की मांग में कमी आ गई थी. हमारी प्राथमिकता है कि सभी पात्र नागरिकों को वैक्सीन के दोनों डोज़ दे दिए जाएं’.

कर्नाटक में 103 स्कूली छात्र संक्रमित

6 दिसंबर तक कर्नाटक के कुल 7,067 एक्टिव कोविड मामलों में पहली से 10वीं क्लास तक के 103 स्कूली छात्र शामिल थे. इस संख्या में सबसे बड़ा योगदान चिकमंगलुरू क्लस्टर का है जहां एक आवासीय स्कूल से 103 मामले सामने आए हैं जिनमें 92 बच्चे, स्टाफ और स्टाफ के पेरेंट्स शामिल हैं. इस क्लस्टर में इंडेक्स (सबसे पहले पहचान वाला) मरीज़ भी अभी तक एक रहस्य बना हुआ है.

ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मंजुनाथ ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने 40 और सैम्पल जांच के लिए भेजे हैं. क्लस्टर के हर पॉज़िटिव सैम्पल को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है. हम इंडेक्स मरीज़ का पता नहीं लगा पाए हैं क्योंकि कोविड-19 का पता बाद की स्टेज में चला था. पिछले तीन हफ्तों में कोई भी छात्र या स्टाफ, स्कूल परिसर से बाहर नहीं निकला है और हमें नहीं मालूम कि फिर भी उन्हें इनफेक्शन कैसे हो गया’.

कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी नागेश ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि सरकार स्कूलों को बंद करने पर तभी विचार करेगी जब ऐसा करना आवश्यक होगा.

नागेश ने कहा, ‘स्कूलों और कॉलेजों में क्लस्टर्स को लेकर हमें भी उतनी ही चिंता है जितनी पेरेंट्स को है लेकिन संक्रमण का प्रतिशत अभी बहुत कम है. हमें ये भी देखना चाहिए कि लगभग सभी छात्र बिना लक्षण वाले हैं. पिछले स्कूल क्लस्टर्स में भी बच्चे बिना कोई लक्षण दिखाए ठीक हो गए थे’.

डॉ रवि ने कहा कि कोविड-19 के वैश्विक रुझान ने दिखाया है कि बच्चों की आबादी (18 वर्ष से कम आयु) में बहुत हल्की बीमारी देखने को मिली है लेकिन दक्षिण अफ्रीका से मिले आंकड़े कहते हैं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट युवा लोगों में आम है. उन्होंने कहा, ‘शुक्र है कि हमने यहां अभी तक ऐसा नज़ारा नहीं देखा है’.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों में चिंता बढ़ रही है कि वायरस और उसके तमाम वेरिएंट्स की रोकथाम कैसे की जाए. इससे पहले कि संक्रमण बढ़ने शुरू हों और हेल्थकेयर प्रणाली पर दबाव बनाने लगें’.

रवि ने आगे कहा, ‘मसलन, हम उसे संभाल सकते हैं अगर 10,000 लोग संक्रमित हो जाएं लेकिन अगर ये संक्रमण 1,00,000 लोगों को हो जाएं और उनमें मुश्किल से 5 प्रतिशत को भी अस्पताल भर्ती की ज़रूरत पड़ जाए तो उससे सिस्टम पर दबाव पड़ने लगता है. फिलहाल हम एक सुरक्षित ज़ोन में हैं और हमें इनफेक्शंस को नीचे रखना होगा’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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