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Wednesday, 25 December, 2024
होमहेल्थकोरोना संक्रमित सहयोगियों की जगह काम करके परेशान हैं मुंबई के डॉक्टर्स, थकान और चिंता से हैं घिरे

कोरोना संक्रमित सहयोगियों की जगह काम करके परेशान हैं मुंबई के डॉक्टर्स, थकान और चिंता से हैं घिरे

महाराष्ट्र रेजिडेंट डॉक्टरों के निकाय के अनुसार, 1 जनवरी से महाराष्ट्र रेजिडेंट डॉक्टरों के निकाय के अनुसार, लगभग 500 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

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मुंबई: मुंबई के सबसे बड़े नगरपालिका अस्पतालों में से किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल में काम करने वाली दूसरे साल की रेजिंडेट डॉक्टर संचारी पाल को ओवर टाइम करना पड़ रहा है. उन्हें अपने बीमार सहयोगियों की कमी को पूरा करने के लिए ज्यादा काम करना पड़ रहा है.

उनके विभाग, प्रसूति और स्त्री रोग में 21 रेजिडेंट डॉक्टर हैं, लेकिन उनमें से 15 कोरोा पॉजिटिव होने के कारण काम पर नहीं है.

दिप्रिंट से बातचीत में डॉ पाल कहती हैं कि उन्होंने लंबे समय से न ठीक से ब्रेक लिया, न अच्छे खाना खाया और न ही पर्याप्त नींद ली है. वो लगाता 36-40 घंटे तक लगातार काम कर रही हैं.

वो कहती हैं,’ हम बहुत ही ज्यादा कम संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं. हमारे पास वर्कफोर्स नहीं है. हम थकावट के उस लेवल तक पहुंच गए चुके हैं जहां यह हमारी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है.’

वह कहती हैं, ‘हम अपनी तरफ से कितनी भी कोशिश कर लें, कहीं न कहीं मरीज की देखभाल प्रभावित हो रही है क्योंकि दिन के अंत में, एक थका हुआ इंसान और डॉक्टर और गलतियां कर सकता है.’

लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज एंड जनरल हॉस्पिटल, जिसे सायन हॉस्पिटल के नाम से भी जाना जाता है वहां भी स्थिति कुछ ऐसी ही है.

कान, नाक और गले (ईएनटी) विभाग की प्रोफेसर और प्रमुख डॉ रेणुका ब्रैडू बताती हैं कि जब मरीज उनके पास ऐसे लक्षण लेकर आते हैं जो कोविड -19 और फ्लू दोनों जैसे होते हैं, तो यह पहचानना मुश्किल है कि क्या वे संक्रमित हैं या नहीं.

वो आगे कहती हैं, ‘इसके अलावा, तीसरी लहर में ट्रांसमिसिबिलिटी अधिक होने के कारण, डॉक्टर भी जल्दी संक्रमित हो रहे हैं.’

डॉ रेणुका कहती हैं, ‘मेरे पास 23 रेजिडेंट डॉक्टर हैं जो मेरे साथ काम कर रहे हैं और तीन अन्य फैकल्टी हैं. इनमें 23 में से नौ ही काम पर हैं। मेरा एक फैकेल्टी मेंबर भी काम पर नहीं है. चूंकि हम अपना ऑपरेशन थिएटर और आउट पेशेंट सेवाएं हर दिन चलाते हैं, इसलिए हमें ऐच्छिक (गैर-आवश्यक) सर्जरी स्थगित करनी पड़ती है क्योंकि आधे से भी कम डॉक्टर ड्यूटी पर हैं.’

वह कहती हैं कि संसाधनों की कमी के कारण मेडिकल छात्रों और इंटर्न की शिक्षा और प्रशिक्षण भी प्रभावित हो रहा है.

मामले फिर से बढ़ने पर डॉक्टर सकारात्मक परीक्षण कर रहे हैं

पहली और दूसरी कोविड लहरें मुंबई के लिए विनाशकारी थीं. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आंकड़ों के मुताबिक, 10 अप्रैल 2021 को – दूसरी लहर के बीच में – शहर का कुल कोविड मामलों का आंकड़ा 5,10,255 था, और कुल 25,162 कोविड अस्पताल के बिस्तरों में से 19,781 भर गए थे.

नागरिक निकाय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च और दिसंबर 2020 के बीच, 11,000 से अधिक लोगों ने कथित तौर पर अपनी जान गंवाई, जबकि दूसरी लहर (मार्च और जून 2021 के बीच) में मरने वालों की संख्या लगभग 5,000 थी.

दिसंबर 2021 तक, दूसरी लहर के दौरान, 4 अप्रैल 2021 को शहर के लगभग 11,000 मामलों का उच्चतम दैनिक मिलान दर्ज किया गया था। हालाँकि, जनवरी 2022 में यह आंकड़ा टूट गया क्योंकि मामले फिर से बढ़ने लगे.

साल 2021 दे दिसंबर को शहर में कोरोना के कुल 7,73,298 मामले थे, उस दिन कोरोना के 1,377 मामले दर्ज किए गए थे.

हालांकि 12 जनवरी को शहर में 16,420 नए मामले सामने आए, और कुल मिलाकर 9,56,287 मामले सामने आए. कोविड मामलों की समग्र वृद्धि दर भी 0.09 प्रतिशत से बढ़कर 1.85 प्रतिशत हो गई है.

महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (MARD) के अनुसार, 1 जनवरी से, लगभग 500 रेजिडेंट डॉक्टरों शहर के प्रमुख सरकारी और नगरपालिका अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

कई सरकारी अस्पताल वर्तमान में केवल आपातकालीन सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि बाकी के ऑपरेशन को एक या दो सप्ताह के लिए टाल दिया गया है.

नॉन स्टॉप शिफ्ट

मुंबई से सटे ठाणे में मौजूद एक त्वचा विशेषज्ञ तन्वी वैद्य अभी कोरोना से ठीक हो रही हैं, वह पिछले हफ्ते अपने बच्चे और डॉ अभिषेक ओका के साथ कोरोना संक्रमित पाई गई थीं. उनके पति चेंबूर में एक सरकारी सुविधा बीएआरसी अस्पताल के कोविड वार्ड में काम करते हैं.

वह दिप्रिंट को बताती है कि उनके पति ने अपने 80 प्रतिशत सहयोगियों को खुद के साथ पॉजिटिव होते हुए देखा था.

उनका अपना क्लिनिक पिछले 10 दिनों से बंद है, क्योंकि उनके 90 प्रतिशत कर्मचारियों भी संक्रमण की चपेट में आ गए थे.

मुंबई के घाटकोपर इलाके के न्यूलाइफ अस्पताल के चिकित्सक डॉ. दीपक बैद कहते हैं: ‘ठीक होने में कम से कम पांच दिन लगते हैं, इसलिए जो कर्मचारी अपने सहयोगियों की जगह काम कर रहे हैं उन्हें 5-7 दिनों तक लगातार काम करना होगा और इसने निश्चित रूप से उन्हें प्रभावित किया है. ‘

हालांकि, केईएम अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर और इसके एमएआरडी विंग के प्रमुख डॉ सचिन पाटीदार को उम्मीद है कि हालात बदल जाएंगे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘इतने सारे डॉक्टर 31 दिसंबर से सकारात्मक परीक्षण कर रहे हैं. लेकिन अब धीरे-धीरे रिकवरी देखने को मिल रही है. शुरुआत में, हर दिन कम से कम 10 डॉक्टर सकारात्मक परीक्षण कर रहे थे लेकिन अब यह संख्या 4-5 के आसपास है’

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

केईएम के डॉ ब्रैडू का कहना है कि चिकित्सा पेशेवर लगातार दो साल से एक ही काम करते-करते थक चुके हैं. वो कहती हैं, ‘बेहद थकान है और न केवल वे बीमार पड़ रहे हैं, बल्कि दो साल से इससे जूझ रहे हैं.’

मनोचिकित्सक डॉ सागर मुंडाडा, जो पहले केईएम और जेजे अस्पतालों में काम कर चुके हैं, इससे सहमत हैं. वे कहते हैं, ‘डॉक्टरों ने अब उनके मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए परामर्श लेना शुरू कर दिया है क्योंकि वह भी प्रभावित हुआ है’ उन्होंने कहा कि कम से कम 20 डॉक्टर उनके साथ परामर्श कर रहे हैं.

वो कहते हैं, ‘सरकारी और निजी सेट-अप के कई युवा डॉक्टर इलाज के लिए मेरे पास आ रहे हैं क्योंकि वे बेहद थक चुके हैं. वे जिस प्रमुख समस्या का सामना कर रहे हैं, वह यह है कि वे बहुत काम कर चुके हैं.’

वो कहते हैं, ‘वे हमें बताते हैं कि उन्हें अपने काम में कोई खुशी नहीं मिलती है। वे सुबह भी लगातार थकान महसूस करते हैं, भीतर से कोई ऊर्जा नहीं होती है, और उन्हें शरीर में दर्द होता है.’

कई डॉक्टरों ने उन्हें यह भी बताया है कि वे हर समय कोविड के संपर्क में आने के डर से चिंतित महसूस करते हैं.


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