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Monday, 25 November, 2024
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भारत में कोविड की दूसरी लहर के दौरान 136% ‘अधिक मौतों’ की गवाही देते हैं जीवन बीमा दावों के आंकड़े

जीवन बीमा के दावों में हुई यह भारी वृद्धि ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ के बारे में व्यक्त किये जा रहे संदेहों की पुष्टि करती है, लेकिन यह उन अनुमानों के आस-पास भी नहीं है, जो आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में वास्तव में हुई मौतों को 6-10 गुना अधिक तक बताते हैं.

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नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर 2021) में निपटाए गए जीवन बीमा के दावे पिछले साल बिना महामारी वाले वर्षों के लिए इसी अवधि के औसत से लगभग 136 प्रतिशत अधिक थे– यह इस बात का एक स्पष्ट संकेत है कि वास्तव में कितने भारतीयों ने कोविड की दूसरी लहर के दौरान इसकी वजह से अपनी जान गंवाई.

दावों में आयी यह भारी वृद्धि भारत में ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ के बारे में व्यक्त किये गए उस संदेह की पुष्टि करती है, जो महामारी के दौरान होने वाली मृत्यु की संख्या में हुई बेहिसाब वृद्धि की तरफ संकेत करता है. परन्तु, यह उन कई अनुमानों के आस-पास भी नहीं है, जो आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में वास्तविक रूप से हुई अतिरिक्त मौतों को 6 से 10 गुना तक अधिक बताते हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महामारी की इस पूरी समय अवधि के दौरान कोविड संक्रमण से बुधवार शाम तक 5.05 लाख मौतें हो चुकी थी.

भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है और 31 मार्च को समाप्त होता है, जिसका अर्थ है कि दावों में आयी यह तीव्र वृद्धि 2021 में दूसरी कोविड लहर के चरम के साथ की आई थी

आठ शीर्ष जीवन बीमा कंपनियों- बजाज आलियांज लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ, कोटक महिंद्रा, मैक्स लाइफ, प्रामेरिका, एसबीआई और एलआईसी के तिमाही फाइनेंसियल डिस्क्लोसरस (वित्तीय खुलासों) के विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही (जुलाई और सितंबर 2021 के बीच) में, कुल 9,56,846 जीवन बीमा क्षतिपूर्ति संबंधी दावों का निपटारा किया गया.

ग्राफिक: मनीषा यादव/दिप्रिंट

यह वित्त वर्ष 2013-14 के बाद से किसी एक तिमाही में सबसे अधिक संख्या है. आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, साल 2020 में भारत में लोगों तक जीवन बीमा की पहुंच 3.2 प्रतिशत थी.

2020 के बाद से लगातार बढ़ रहे हैं जीवन बीमा के दावे

वित्तवर्ष 2020-21 की दूसरी और चौथी तिमाही के बीच जीवन बीमा दावों में काफी वृद्धि हुई है, जो मोटे तौर पर कोविड की पहली लहर के बाद के समय से मेल खाता है.

भारतीय बीमा नियामक, बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इंस्युरेन्स रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी – इरडा) का कहना है कि दावों को दाखिल किये जाने के 30 दिनों के भीतर इनका निपटारा कर दिया जाना चाहिए, लेकिन यह अवधि किसी भी हालत में 90 दिनों से अधिक नहीं हो सकती.

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल और जून 2020 के बीच) में 2,39,656 दावों का निपटारा किया गया, लेकिन अगली तीन तिमाहियों में क्रमशः 4,98,409, 6,50,842 और 6,44,140 दावों का निपटारा हुआ.

वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 4,97,909 जीवन बीमा दावों का निपटारा किया गया, जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 9,56,846 हो गए.

वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में लगभग 15 लाख जीवन बीमा दावों का निपटारा किया गया, जो कि वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर वित्त वर्ष 2019-20 से बीच के सात वर्षों में इसी अवधि में निपटाए गए दावों के औसत- जो कि 6 लाख है – से दोगुने से भी अधिक है.


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कोविड और बीमा दावों के बीच के संबंध के संभावित निष्कर्ष

यह तथ्य कि ये आंकड़े महामारी के पहले वर्ष के दौरान केवल तीसरी तिमाही (क्यू-3) और चौथी तिमाही (क्यू-4) – वह समय काल जब भारत में कोविड के मामलों की संख्या पहली लहर के बाद कम होने लगी थी – के दौरान ऐसे दावों में बढ़ोतरी दिखाते हैं, इस ओर इशारा करता है कि बीमारी के लहर की अवधि और दावों के निपटान की समयावधि के बीच अंतराल हो सकता है.

भारत में 97,000 से अधिक एक दिन में दर्ज किये गए मामलों की संख्या के साथ पहली लहर की ‘पीक’ सितंबर 2020 में दर्ज की गई थी, जबकि क्यू-3 और क्यू-4 अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक की अवधि थी.

जीवन बीमा दावों में हुई इस वृद्धि के लिए कोविड के कारण होने वाली मौतों के साथ-साथ इस महामारी के साथ होने वाले ‘कोलेटरल डैमेज’ को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

हालांकि इस बारे में कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है, मगर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड से संबंधित प्रतिबंधों और भय की वजह से – और साथ ही जिस तरह से इस महामारी ने चिकित्सा के बुनियादी ढांचे प्रभावित किया था उस कारण भी – कैंसर और टीबी जैसी अन्य बीमारियों का उपचार प्रभावित हुआ और जिसके कारण भी मृत्यु दर में वृद्धि हुई हो सकती है.

इसके अलावा, जीवन बीमा के दावों में यह भारी वृद्धि उन अध्ययनों के अनुरूप भी है जो भारत में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोविड के कारण ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ की उच्च दर की ओर इशारा करते हैं.


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ग्राफिक: मनीषा यादव/दिप्रिंट

भारत में हुई अतिरिक्त मौतों का अनुमान

हालांकि भारत के आधिकारिक रूप से कोविड से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा 5 लाख से थोड़ा ही ऊपर है, मगर विभिन्न अध्ययनों ने भारत की इस ‘गणना’ को चुनौती दी है.

सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट द्वारा प्रकाशित जुलाई 2021 में प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में, शोधकर्ताओं अभिषेक आनंद, जस्टिन सैंडफुर और भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कोविड महामारी के दौरान होने वाली अतिरिक्त मौतों के तीन अनुमान दिए थे, जो अलग-अलग तरीकों (मेथोडोलोजिज़) का उपयोग करके हासिल किये गए थे.

इस पेपर में इसे इस तरह समझाया गया था : ‘सबसे पहले, सात राज्यों से राज्य-स्तरीय नागरिक पंजीकरण का एक्सट्रपलेशन (पिछले अनुभव या ज्ञात डेटा के आधार पर अनुमानित किया गया निष्कर्ष) 34 लाख (3.4 मिलियन) अतिरिक्त मौतों का सुझाव देता है. दूसरा, आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (किसी विशेष आयु में संक्रमण होने पर मृत्यु की संभावित दर) के अंतर्राष्ट्रीय अनुमानों को भारतीय सेरोप्रवलेंस (खून में किसी विशिष्ट बीमारी के तत्वों की उपस्थिति की जांच) डेटा पर लागू करने से लगभग 4 मिलियन (40 लाख) मृतकों का आंकड़ा प्राप्त होता है. तीसरे, कंस्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे का हमारा विश्लेषण, सभी राज्यों में 800,000 से अधिक व्यक्तियों का एक लोंगिचुडिनल (देशांतरीय) पैनल, 4.9 मिलियन अतिरिक्त मौतों का अनुमान लगाता है.’

हालांकि, इस अध्ययन के लेखकों ने स्वीकार किया कि इनमें से प्रत्येक अनुमान की अपनी ‘कमियां’ थीं और सांख्यिकीय विश्वास के आधार पर कोविड की मौतों का अनुमान लगाना एक ‘छलावा’ साबित हो सकता है, लेकिन फिर भी उन्होंने जोर देकर यह कहा कि इस महामारी से मरने वालों की संख्या तत्कालीन आधिकारिक गणना से कहीं अधिक थी.

इस अध्ययन के लेखकों ने यह भी बताया कि इस बात की संभावना है कि 2020 में आई कोविड की पहली लहर ‘जितना माना जाता है उससे अधिक घातक थी’.

पिछले महीने, ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में भी यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में कोविड की वजह से होने वाली मौतों की संख्या लगभग 3 मिलियन (30 लाख) तक हो सकती है, जो आधिकारिक आंकड़ों से लगभग छह गुना अधिक है.

‘साइंस’ के शोध पत्र (रिसर्च पेपर) ने अप्रैल-मई 2021 में दूसरी कोविड लहर के दौरान होने वाली अतिरिक्त मौतों के अनुमानों की गणना करने के लिए विभिन्न राज्यों के आंकड़ों की भी जांच की. 2018-19 के लिए उपलब्ध आंकड़ों की तुलना में, इस अध्ययन में गुजरात में 230 फीसदी, मध्य प्रदेश में 215 फीसदी, तेलंगाना में 190 फीसदी, महाराष्ट्र में 173 फीसदी और हरियाणा में 169 फीसदी अतिरिक्त मौतों का अनुमान लगाया गया है.

इस पेपर के अनुसार अतिरिक्त मौतें केरल में सबसे कम- 37 प्रतिशत थीं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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