रायपुर, राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ घातक दूसरी कोविड-19 लहर के बीच एक और बड़े संकट से जूझ रहा है—यहां न केवल आरटी-पीसीआर बल्कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट के लिए भी टेस्टिंग किट का अभाव हो गया है.
इस अभाव, खासकर रैपिड एंटीजेन टेस्टिंग किट की कमी, ने राजधानी रायपुर और इसके आस-पास के जिलों में परीक्षण शिविरों में लंबी कतारें लगवा दी हैं और प्रतीक्षा अवधि भी बहुत ज्यादा लंबी हो गई है.
मंगलवार शाम करीब 4 बजे रायपुर के कालीबाड़ी सरकार के टेस्टिंग सेंटर में इंतजार कर रहे मुनीम तिवारी ने बताया, ‘मैं यहां सुबह 10 बजे से इंतजार कर रहा हूं. दो हफ्ते पहले टेस्ट में पॉजीटिव आया था, इसलिए मैं फिर से जांच कराने के लिए आया हूं कि क्या मैं अभी भी पॉजीटिव हूं.’
जांच केंद्र में स्वास्थ्य विभाग की एक अधिकारी डॉ. अंतरा ने माना कि टेस्टिंग किट की बेहद कमी है.
डॉ. अंतरा ने कहा, ‘किट की कमी है, इसीलिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. हम केवल बहुत गंभीर मामलों में ही आरटी-पीसीआर टेस्ट कर रहे हैं. कुल मिलाकर हम आरटी-पीसीआर टेस्ट करने से बचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि नतीजों का इंतजार एक सप्ताह लंबा हो गया है. बड़ी संख्या में लोग टेस्ट के लिए आ रहे हैं इसलिए हम एंटीजेट किट पर अधिक भरोसा कर रहे हैं.’
रायपुर के दीन दयाल उपाध्याय सभागार में स्थित सरकारी टेस्टिंग सेंटर में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी तुषार बाग ने कहा कि टेस्टिंग के लिए लगी लंबी कतारों ने एक और समस्या पैदा कर दी है.
उन्होंने बताया, ‘हम चाहते हैं कि हमारी किट किसी भी तरह से बर्बाद न हो क्योंकि इनकी कमी है. हमारे यहां पर हर दिन कम से कम 500 से 700 लोग टेस्ट कराने के लिए आ रहे हैं. कभी-कभी लोग फॉर्म भर देते हैं लेकिन प्रतीक्षा कतार बहुत लंबी होने के कारण जांच कराए बिना ही चले जाते हैं. लेकिन ऐसे में हमारी किट बर्बाद हो जाती है क्योंकि हम तब तक पंजीकृत रोगियों के अनुसार उसमें लेबल लगा चुके होते हैं.’
उन्होंने कहा कि बढ़ते मामलों के साथ ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ी है जो टेस्ट कराना चाहते हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार के डेली कोविड बुलेटिन के मुताबिक, राज्य में कुल मामले लगभग दोगुने हो चुके हैं, जो 20 मार्च को 3,23,153 की तुलना में बढ़कर 20 अप्रैल को कुल 5,74,299 केस पर पहुंच गए.
इस तरह हर रोज नए केस के मामले में भी आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ा है, 20 अप्रैल को महज 1,273 केस से बढ़कर 20 अप्रैल को यह संख्या 15,625 तक पहुंच गई.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 20 अप्रैल तक कुल 6,274 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं.
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अभाव के बीच काम करना
न केवल राजधानी रायपुर बल्कि आसपास के जिलों को भी टेस्टिंग किट्स के खासे अभाव का सामना करना पड़ रहा है.
राजनांदगांव के दो सरकारी टेस्टिंग सेंटर में तो रविवार को टेस्ट रोकना पड़ा क्योंकि वहां पर टेस्टिंग किट खत्म हो चुकी थी. राजनांदगांव के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. मिथिलेश चौधरी ने सोमवार को दिप्रिंट से बातचीत में पुष्टि की कि एक दिन पहले किट खत्म हो गई थी.
उन्होंने कहा, ‘हमें टेस्ट रोकना पड़ा क्योंकि किट खत्म हो गई थी. लेकिन अब हमने किट की व्यवस्था कर ली है और टेस्ट फिर से शुरू हो गए हैं.
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक रायपुर रेलवे स्टेशन पर लगाए गए टेस्टिंग शिविर में भी सोमवार सुबह 11 बजे किट खत्म हो गई थी. इस स्वास्थ्य शिविर की जिम्मेदारी संभाल रहे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के.एल यादव ने बताया, ‘हमें हर रोज 600 किट की जरूरत होती है. आज किट कुछ पहले ही खत्म हो चुकी हैं, इसलिए हमारे कर्मचारी और किट लेने कोशिश में स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय गए हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि दोपहर तक किट मिल जाएंगी.’
यादव ने यह भी बताया कि किट की कमी को देखते हुए उन्हें शिविर में अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है. उन्होंने कहा, ‘हम 13 तारीख को यहां टेस्ट शुरू होने के बाद से अन्य राज्यों से आने वाले सभी यात्रियों का टेस्ट कर रहे थे लेकिन अब चूंकि किट की कमी है, हम केवल उन्हीं का टेस्ट कर रहे हैं जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे है.’
‘कमी पूरी करने के लिए एंटीजेन किट का ऑर्डर किया’
मंगलवार को दिप्रिंट से बातचीत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में टेस्टिंग किट के अभाव की वजह बड़ी संख्या में हो रहे टेस्ट को बताया.
उन्होंने कहा, ‘जनवरी में हम प्रतिदिन 22,000 सैंपल का टेस्ट कर रहे थे, मार्च में यह संख्या बढ़कर 30,000 तक हो गई और मामले तेजी से बढ़ने के साथ हम 50,000 से 53,000 टेस्ट रोज कर रहे हैं. हम अब प्रति मिलियन आबादी पर 1,700 लोगों का टेस्ट कर रहे हैं और इस मामले में केवल तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ही हमसे आगे हैं. हमारे यहां प्रति 10 लाख आबादी पर टेस्टिंग राष्ट्रीय औसत से भी ऊपर है, जो 1,000 प्रति दस लाख है. इसलिए जब कुछ जिलों ने कमी होने की जानकारी दी है, हम इस कमी को दूर करने की कोशिश में जुटे हैं. इसके अलावा, अब जब हम रेलवे स्टेशनों, बस स्टॉप और एयरपोर्ट पर भी टेस्टिंग की शुरुआत कर चुके हैं, बढ़ी जरूरतों को देखते हुए अतिरिक्त किट के लिए ऑर्डर भी किया है.’
राज्य सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 20 मार्च को कुल 36,393 टेस्ट से बढ़कर डेली टेस्ट का आंकड़ा 20 अप्रैल को 50,699 हो गया है.
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जहां एंटीजेन किट की कमी है, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट में भी 20,000 का एक बैकलॉग है.
बघेल ने कहा कि आरटी पीसीआर टेस्ट में बैकलॉग राज्य में आरटी-पीसीआर लैब की सीमित क्षमता के कारण है. उन्होंने कहा, ‘पहले, केवल एम्स रायपुर ही आरटी पीसीआर टेस्ट कर सकता था, लेकिन अब हमारे पास सात और लैब हैं और चार अन्य जल्द ही शुरू हो जाएंगी. इस तरह हमारे पास कुल 11 आरटी-पीसीआर लैब हो जाएंगी. हमारे पास पांच निजी आरटी पीसीआर लैब भी हैं. हां, लैब की क्षमताएं सीमित है, इसलिए आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजे आने में लंबा समय लग रहा है. लेकिन हम इन टेस्ट को पटरी पर लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए लैब की संख्या भी बढ़ा रहे हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि टेस्टिंग की मांग बढ़ने के पीछे कारण सिर्फ मामलों में आया उछाल नहीं है बल्कि अब इसे लेकर लोगों की सोच भी बदली है. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पहले लोग टेस्ट कराने में संकोच करते थे, लेकिन अब केस बढ़ने के बीच ज्यादा से ज्यादा लोग टेस्ट कराना चाहते हैं और यह टेस्टिंग सेंटर में लग रही लंबी कतारों से साफ है.’
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