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Monday, 23 December, 2024
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लैंसेट अध्ययन, भारत 90 फीसदी से ज्यादा महिलाओं, किशोरियों को गर्भनिरोधक मुहैया कराने में सक्षम

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 1970 से 2019 तक दुनिया भर में गर्भनिरोधक के इस्तेमाल, उसकी जरूरत, उसके तरीके और उपलब्धता को लेकर अपने शोध से प्राप्त आकड़े जारी किए है.

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नई दिल्ली: भारत में 1970 से लेकर 2019 के बीच ऐसी महिलाओं की संख्या में 13 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है जो प्रजनन आयु (15-49 ) वाली हैं और गर्भधारण रोकने के उपाय अपनाना चाहती हैं लेकिन गर्भ निरोधकों तक उनकी पहुंच नहीं है. दुनिया भर में गर्भनिरोधक के इस्तेमाल पर शुक्रवार को लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से ये आंकड़े सामने आए हैं.

अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में 16 करोड़ से ज्यादा किशोरियों (15-19 वर्ष) और महिलाओं (20-49 वर्ष) की गर्भनिरोधकों की जरूरतें पूरा नहीं हो पाईं. लेकिन गर्भनिरोधकों की अपनी जरूरतों तक पहुंच बनाने वाली महिलाओं का प्रतिशत 1970 में 55 था, जो 2019 में बढ़कर 79 पर पहुंच गया.

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह अध्ययन दुनिया भर में गर्भनिरोधक के इस्तेमाल, उसकी जरूरत, उसके तरीके और उपलब्धता पर एक अनुमान बताता है. इस पर 1970 से 2019 तक देश, आयु समूह और वैवाहिक स्थिति के आधार पर आकड़े इकट्ठा किए गए थे.

प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2019 में भारत में लगभग 8.5 फीसदी महिलाएं और किशोरियां अपनी गर्भ निरोधक जरूरतों तक पहुंच नहीं बना पाई थीं. भारत में कम से कम 62.2 फीसदी महिलाओं ने गर्भनिरोधक के रूप में नसबंदी के तरीके को अपनाया.

लेखकों ने अध्ययन में लिखा, ‘संभवतः भारत में नसबंदी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं का बड़ा अनुपात भारत सरकार के नसबंदी प्रोत्साहन के प्रयासों से जुड़ा है.’

शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि गर्भ निरोधकों तक महिलाओं की पहुंच का बढ़ना, उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल न केवल अनचाहे गर्भधारण को रोककर मां और नवजात की मृत्यु दर को कम करता है, बल्कि यह किशोरियों और महिलाओं को स्कूल जाने , आगे की शिक्षा पूरी करने और नौकरी पर बने रहने में सक्षम बनाता है.

महिलाओं के गर्भनिरोधक इस्तेमाल पर 1,162 स्व-रिपोर्ट किए गए प्रतिनिधि सर्वे के आंकड़ों के आधार पर, अध्ययन ने विभिन्न परिवार नियोजन संकेतकों के राष्ट्रीय अनुमान तैयार करने के लिए एक मॉडलिंग पद्धति- किसी भी गर्भनिरोधक विधि का इस्तेमाल करने वाली प्रजनन आयु की महिलाओं का अनुपात, प्रजनन आयु की महिलाओं का अनुपात, आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल, गर्भ निरोधकों के प्रकार, आधुनिक तरीकों से मांग का पूरा होना और किसी भी गर्भनिरोधक तरीके तक पहुंच न बना पाना- का इस्तेमाल गया था.

अध्ययन से पता चलता है कि दुनिया भर में आधुनिक गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करने वाली प्रजनन आयु की महिलाओं की हिस्सेदारी 2019 में बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई, जो 1970 में 28 प्रतिशत थी.

हालांकि आंकड़ों में इतना उछाल आने के बावजूद, 2019 में गर्भनिरोधक की मांग करने वाली कुल 120 करोड़ महिलाओं में से लगभग 16.3 करोड़ महिलाएं अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाई.

वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) से एनी हाकेनस्टेड, ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि हमने वैश्विक स्तर पर 1970 के दशक से गर्भनिरोधक उपलब्धता में काफी प्रगति देखी है. लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है कि हर महिला और किशोर लड़की को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का फायदा मिल पाए जो उसे गर्भनिरोधक तरीकों के इस्तेमाल करने के बाद मिल सकता हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमारे नतीजे बताते हैं कि इस दुनिया में जहां कहीं भी एक महिला रहती है और उनकी उम्र अभी भी गर्भनिरोधक के इस्तेमाल को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है.’


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युवा, शादीशुदा महिलाओं में देखा गया बड़ा अंतर

अध्ययन से पता चला है कि दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया और ओशिनिया में आधुनिक गर्भ निरोधकों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल (65 प्रतिशत) किया गया और इन तरीकों तक उनकी पहुंच (90 प्रतिशत) भी सबसे ज्यादा थी. वहीं, सब-सहारा अफ्रीका में 2019 में आधुनिक गर्भ निरोधकों (24 प्रतिशत) का इस्तेमाल और उन तक पहुंच (52 प्रतिशत) सबसे कम रही.

देशों में आधुनिक गर्भनिरोधक इस्तेमाल का स्तर दक्षिण सूडान में 2 फीसदी से लेकर नॉर्वे में 88 फीसदी तक था. 2019 में गर्भनिरोधकों को अपनाने की चाह रखने वाली महिलाओं की मांग को पूरा न कर पाने वाले देशों में वानुअतु (28 फीसदी) सबसे निचले पायदान पर था. लिस्ट में उससे ऊपर मध्य अफ्रीकी गणराज्य (29 फीसदी) और दक्षिण सूडान (35 फीसदी) जैसे देश थे.

अध्ययन में कहा गया है कि 2019 में 15-19 और 20-24 की उम्र की महिलाओं की वैश्विक स्तर पर मांग- और उसके पूरे होने की दर सबसे कम थी – क्रमशः 65 प्रतिशत और 72 प्रतिशत.

15-24 की उम्र की वो महिलाएं जिन्हें गर्भनिरोधकों की जरूरत थी, उनका प्रतिशत 16 था. तो वहीं जरूरत पूरी न होने वाली महिलाओं का प्रतिशत 27 रहा. दूसरे शब्दों में कहें तो 4.3 करोड़ युवा महिलाओं और किशोरियों की गर्भ निरोधकों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं.

शोधकर्ताओं ने देखा कि विश्व स्तर पर सबसे बड़ा अंतर युवा और शादी-शुदा महिलाओं के बीच में था.

हाकेनस्टैड ने बयान में कहा, ‘खासतौर पर हमारा अध्ययन उन युवा महिलाओं पर ध्यान आकर्षित करता है जो गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल करना तो चाहती हैं लेकिन वो तरीके उन्हें समय पर मुहैया नहीं हो पाए हैं. ये वो महिलाएं हैं जो गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से अपनी स्थिति को सुधार सकती हैं. क्योंकि बच्चे होने में देरी से महिलाएं अपनी पढ़ाई पूरी करने या अन्य प्रशिक्षण के अवसर प्राप्त करने और रोजगार के अवसर प्राप्त करने और अपनी नौकरी पर बने रहने में सफल हो सकती हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इससे सामाजिक और आर्थिक लाभ हो सकते हैं जो एक महिला के जीवन भर उसके साथ बने रहते हैं, और लैंगिक समानता की दिशा में एक जरूरी कदम है.’

जहां कहीं भी महिला रह रही है, उसके हिसाब से गर्भनिरोधक के अलग-अलग तरीके महत्वपूर्ण होते हैं. लेखकों का सुझाव है कि एक ही तरीकों का इस्तेमाल महिलाओं और किशोर लड़कियों के लिए उपयुक्त विकल्पों की कमी का संकेत हो सकता है.

2019 में महिला नसबंदी और ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में काफी ज्यादा रहा. जबकि उच्च आय वाले देशों में ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव गोली और कंडोम को ज्यादा तरजीह दी गई. वहीं मध्य और पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में आईयूडी और कंडोम प्रमुख थे.

दक्षिण एशिया में आधी महिलाओं ने महिला नसबंदी की ओर जाना पसंद किया और बाकी अन्य गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल की तरफ गईं. इसके अलावा 28 देशों में आधी से ज्यादा महिलाएं एक ही तरीके का इस्तेमाल कर रही थीं. यह दर्शाता है कि शायद इन क्षेत्रों में उपलब्ध गर्भनिरोधकों के विकल्प सीमित हैं.

IHME के प्रोफेसर राफेल लोज़ानो ने बयान में कहा, ‘हमारा अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि न केवल सभी महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक उपलब्ध होना चाहिए, बल्कि गर्भ निरोधकों के उपयुक्त विकल्प भी मुहैया कराए जाने चाहिए. जहां महिलाएं गर्भनिरोधक के एक तरीके पर ज्यादा निर्भर हैं, उन क्षेत्रों में विविध विकल्प, गर्भनिरोधक के इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा कर सकते हैं. खासकर जब सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका स्थायी हो.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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