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Sunday, 22 December, 2024
होमहेल्थलैंसेट स्टडी में खुलासा- आप मोटे हो या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता, कोविड वैक्सीन ने सभी पर काम किया

लैंसेट स्टडी में खुलासा- आप मोटे हो या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता, कोविड वैक्सीन ने सभी पर काम किया

यूके के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में कहा कि वैक्सीन ने गंभीर बीमारी के जोखिम को कम करने में स्वस्थ वजन और उच्च बीएमआई वाले लोगों पर समान रूप से काम किया. जबकि कम वजन वाले लोगों में इसका प्रभाव थोड़ा कम था.

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नई दिल्ली: द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोविड -19 टीकों ने सभी लोगों पर समान रूप से गंभीर बीमारी के जोखिम को कम किया है, चाहे उनके शरीर का आकार कुछ भी हो. अध्ययन ने विभिन्न बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) स्कोर वाले लोगों के बीच टीका के प्रभाव का आकलन किया था. बीएमआई किसी शख्स की हाइट और उसके वेट के आधार पर बॉडी फैट नापने का कैलकुलेटर है.

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड, लीसेस्टर और नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि वैक्सीन का प्रभाव उच्च बीएमआई वाले और स्वस्थ वजन समूह वाले लोगों के लिए समान था, लेकिन कम वजन वाले ग्रुप पर इसने थोड़ा कम असर किया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार लोगों को उनके बीएमआई के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. डब्ल्यूएचओ 18.5-24.9 किग्रा/एम2 के बीच बीएमआई वाले लोगों को स्वस्थ वजन के रूप में वर्गीकृत करता है, जबकि 18.5 किग्रा/एम2 से कम वजन वाले लोगों का वजन कम माना जाता है. 25-29.9 किग्रा/एम2 श्रेणी के लोग अधिक वजन वाले होते हैं, जबकि 30 किग्रा/एम2 या इससे अधिक के बीएमआई वाले मोटे लोगों की कैटेगरी में आते हैं.

इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने वैक्सीन लगवाने वाले और वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों (दूसरी खुराक के कम से कम 14 दिन बाद) में गंभीर बीमारी के जोखिम की तुलना की और पाया कि टीकाकरण ने सभी बीएमआई वाले लोगों को बीमारी से बचने के लिए उच्च सुरक्षा प्रदान की है, लेकिन इसका प्रभाव कम वजन वाले लोगों में थोड़ा कम था.

अध्ययन ने यूके के स्वास्थ्य रिकॉर्ड से अज्ञात डेटा का इस्तेमाल किया और यह नहीं बताया कि अध्ययन में शामिल लोगों ने कौन सी वैक्सीन लगवाई थी.

एक समान बीएमआई वाले टीका न लगवाने वाले लोगों की तुलना में कम वजन वाले टीके लगवाने वाले लोगों के अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर बीमारी से मरने की संभावना 50 प्रतिशत कम थी. जबकि स्वस्थ और उच्च बीएमआई समूहों में टीका लगाए गए लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों की तुलना में लगभग 70 प्रतिशत कम थी.

यूके में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता और अध्ययन के लेखकों में से एक कारमेन पियर्सन ने कहा, ‘हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि कोविड -19 वैक्सीन सभी आकार के लोगों का जीवन बचाने में सक्षम हैं. हमारे परिणाम मोटे लोगों को आश्वस्त करते हैं कि कोविड -19 टीके उनके लिए उतने ही प्रभावी हैं जितने कि कम बीएमआई वाले लोगों के लिए. अगर वे कोविड -19 से संक्रमित होते हैं तो वैक्सीन उनमें गंभीर बीमारी के जोखिम को काफी हद तक कम कर देता है.’

उन्होंने कहा, ‘ये आंकड़े कम बीएमआई वाले लोगों में वैक्सीन को लेकर उदासीनता की ओर भी इशारा करते हैं. मौजूदा समय में मोटे लोगों की तुलना में पतले लोगों ने वैक्सीन की तरफ कम रुझान दिखाया है और ये अध्ययन कम बीएमआई वाले लोगों में टीकाकरण बढ़ाने के लिए लक्षित प्रयासों की जरूरत को भी उजागर करते हैं.’


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1.2 करोड़ से ज्यादा रिकॉर्ड की जांच

विशेषज्ञों ने बताया कि महामारी के शुरुआती चरणों में मोटापा कोविड -19 से जुड़े गंभीर जोखिम के कारणों में से एक रहा. नतीजतन, यूके जैसे देशों ने टीकाकरण कार्यक्रमों में 40 से अधिक बीएमआई वाले लोगों को प्राथमिकता दी और उन्हें एक हाइ रिस्क ग्रुप घोषित किया.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, मोटापे से ग्रस्त लोगों पर कोविड -19 वैक्सीन के प्रभाव को लेकर काफी कम जानकारी थी.

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड में 1,738 सामान्य चिकित्सकों द्वारा इलाज किए गए 1.2 करोड़ से ज्यादा मरीजों के अज्ञात स्वास्थ्य रिकॉर्ड की जांच की. इन सभी ने QResearch में भाग लिया, जो सत्यापित शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का एक सुरक्षित डेटाबेस है.

इनमें से 9,171,524 (18 साल से ज्यादा उम्र के) बीएमआई डेटा वाले मरीज जो पहले सार्स-कोव-2 से संक्रमित नहीं थे, उन्हें अध्ययन में शामिल किया गया था.

अध्ययन में शामिल 90 लाख से ज्यादा लोगों में से 566,461 लोग, 8 दिसंबर 2020 और 17 नवंबर 2021 के बीच कोविड -19 पॉजिटिव पाए गए थे. उनमें से 32,808 को अस्पताल में भर्ती कराया गया और 14,389 ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था.

अध्ययन के अंत तक, स्वस्थ वजन ग्रुप में 23.3 फीसदी, कम वजन वाले समूह में 32.6 फीसदी, अधिक वजन वाले समूह में 16.8 फीसदी और मोटापे से ग्रस्त समूह में 14.2 फीसदी लोगों ने कोविड -19 वैक्सीन की कोई खुराक नहीं ली थी.

वैक्सीन न लगवाने वाले समकक्षों की तुलना में, स्वस्थ बीएमआई वाले और उच्च बीएमआई वाले लोगों में गंभीर बीमारी के जोखिम को कम करने में टीका समान रूप से प्रभावी था. लेकिन अध्ययन में पाया गया कि उच्च बीएमआई वाले व्यक्ति – जिन्हें शुरू में उच्च जोखिम का सामना करना पड़ा था – कम बीएमआई वाले लोगों की तुलना में टीकाकरण के बाद भी ज्यादा जोखिम में थे.

मोटे लोगों में ज्यादा जोखिम के कारणों के बारे में अभी कोई निश्चित जानकारी नहीं है. लेकिन शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि इसकी वजह, ज्यादा वजन वाले व्यक्तियों का ऑल्टर इम्यून रिस्पांस भी हो सकता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार, कम बीएमआई वाले लोगों के बीच कोविड -19 टीकों की उतना प्रभावी न होना, शरीर के वजन से जुड़ी कमजोरियों या अन्य बीमारियों की वजह से इम्यून सिस्टम का कमजोर हो जाना भी हो सकता है.

उन्होंने कहा कि बीएमआई और इम्यून रिस्पांस के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए और शोध की जरूरत है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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