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Sunday, 6 October, 2024
होमहेल्थICMR-MDRF स्टडी में दावा- भारत के डायबिटिक कैपिटल बनने की वजह है फ्राईड, बेक्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स

ICMR-MDRF स्टडी में दावा- भारत के डायबिटिक कैपिटल बनने की वजह है फ्राईड, बेक्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य विज्ञान और पोषण पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि एडवॉन्स्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स में कम खाद्य पदार्थ खाने से मोटापे से जुड़ी टाइप-2 मधुमेह के बोझ को कम किया जा सकता है.

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नई दिल्ली: अपने तरह के पहले क्लिनिकल ट्रायल में पाया गया कि केक, चिप्स, कुकीज़, क्रैकर्स, फ्राइड फूड्स, मियोनीज़, मार्जरीन और अत्यधिक प्रसंस्कृत यानि अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ – जो एडवॉन्स्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) से भरपूर होते हैं – भारत के दुनिया की मधुमेह राजधानी बनने के पीछे एक प्रमुख कारण हैं.

AGEs रिएक्टिव और संभावित रूप से विषाक्त कंपाउंड्स होते हैं जो प्रोटीन या लिपिड के ग्लाइकेटेड होने या एल्डोज शर्करा द्वारा संशोधित होने पर बनते हैं, जो कि एल्डिहाइड समूह (CHO) वाले कार्बोहाइड्रेट होते हैं.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और चेन्नई में मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) सहित विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सरकारी वित्त पोषित परीक्षण से पता चला है कि AGE युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर में सूजन होती है, जो मधुमेह का एक अंतर्निहित कारण है.

अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्लाइकेशन शरीर में हानिकारक रिएक्शन का कारण बन सकता है. ग्लाइकेशन एक नॉन-एंजाइमेटिक केमिकल प्रोसेस है जिसमें एक शुगर मॉलीक्यूल एक प्रोटीन या लिपिड मॉलीक्यूल के साथ जुड़ जाता है.

जीवविज्ञान विभाग द्वारा वित्तपोषित अध्ययन के निष्कर्ष गुरुवार को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित किए गए.

कम-एजीई आहार वाली जीवन शैली अपनाकर अधिक वजन वाले और मोटे व्यक्ति अपने शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं, जो फ्री रेडिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट के असंतुलन के बारे में बताता है और जिसके परिणामस्वरूप सूजन और सेल डैमेज होता है. कम एजीई वाली डायट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लो-फैट मिल्क शामिल है.

शोधकर्ताओं ने शोधपत्र में उल्लेख किया है कि, “इस आहार हस्तक्षेप में मोटापे से जुड़ी टाइप 2 मधुमेह के बोझ को कम करने की क्षमता है.”

एजीई युक्त खाद्य पदार्थों को समझना और यह जानना कि उनमें एजीई की उच्च मात्रा किस प्रक्रिया के कारण होती है, मधुमेह से लड़ने में भारत की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, एमडीआरएफ के अध्यक्ष और शोधपत्र के लेखकों में से एक डॉ. वी. मोहन ने दिप्रिंट को बताया.

आईसीएमआर और एमडीआरएफ द्वारा जून 2023 में द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनॉलजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन, जो 2008 से 2020 के बीच 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए सर्वेक्षणों पर आधारित था, ने दिखाया कि 2021 में भारत में मधुमेह का प्रसार 11.4 प्रतिशत था. दूसरे शब्दों में, 2021 में अनुमानित 10.1 करोड़ भारतीय मधुमेह से पीड़ित पाए गए.

अध्ययन में क्या पाया गया

पश्चिम के पिछले अध्ययनों ने फैट, शुगर, सॉल्ट और एजीई से भरपूर अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण पुरानी बीमारियों के बढ़ते जोखिम को प्रदर्शित किया है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत जैसे विकासशील देशों में तेजी से हो रहे पोषण परिवर्तन के कारण परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट, वसा और पशु उत्पादों का सेवन बढ़ गया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी खाद्य आदतें, एक गतिहीन जीवनशैली के साथ मिलकर मोटापे, मधुमेह और संबंधित विकारों के प्रसार को और बढ़ा देती हैं.

हालांकि, भारतीय आहार में AGEs और कार्डियोमेटाबोलिक मार्कर्स या कार्डियोवैस्कुलर और मेटाबोलिक रोगों के इंडीकेटर्स पर उनके प्रभावों के बारे में डेटा की कमी रही है.

अध्ययन में कहा गया है कि इस तरह के डेटा मूल्यवान हैं क्योंकि भारतीयों में इंसुलिन रेज़िस्टेंस (एक ऐसी स्थिति जिसमें मांसपेशियों और यकृत में कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, पैंक्रियाज़ द्वारा उत्पादित एक हार्मोन, जिसके परिणामस्वरूप कोशिकाएं ग्लूकोज नहीं ले पाती हैं), टाइप 2 मधुमेह (इंसुलिन प्रतिरोध के परिणामस्वरूप उच्च रक्त शर्करा का स्तर) और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा अधिक होता है.

इसलिए, नए अध्ययन ने अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त भारतीय वयस्कों में ग्लूकोज और लिपिड मेटाबोलिज़म, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन पर कम और उच्च-एजीई आहार के प्रभावों की जांच की.

क्लिनिकल ट्रायल के भाग के रूप में, 38 वयस्कों को – या तो अधिक वजन वाले (जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 या उससे अधिक है, लेकिन 30 से कम है) या मोटे (जिनका बीएमआई 30 या उससे अधिक है) लेकिन मधुमेह नहीं है – दो समूहों में विभाजित किया गया था.

एक समूह को 12 सप्ताह के लिए कम-एजीई आहार दिया गया, जबकि दूसरे को उसी अवधि के दौरान उच्च-एजीई आहार दिया गया.

आहार में AGE की मात्रा खाना पकाने की विधि के आधार पर अलग-अलग होती है. इसलिए, प्रतिभागियों को कई तरह के खाद्य पदार्थ दिए गए – जैसे कि, डीप-फ्राइंग, भाप में पकाना, उबालना, प्रेशर कुकिंग और बेकिंग जैसी कई खाना पकाने की विधियों का उपयोग करके तैयार किए गए खाद्य पदार्थ.

योजनाबद्ध आहार को भारतीय वयस्कों की संस्कृति-विशिष्ट खाद्य आदतों के आधार पर कम और उच्च AGE के रूप में वर्गीकृत किया गया था, और कैलोरी और मैक्रोन्यूट्रिएंट संरचना के लिए मिलान किया गया था.

उच्च-AGE वाले खाद्य पदार्थों में भूनकर, डीप-फ्राइंग और हल्का-फ्राई करके तैयार किए गए खाद्य पदार्थ शामिल थे, जबकि कम-AGE वाले खाद्य पदार्थों में कम समय में उबालकर और भाप में पकाए गए खाद्य पदार्थ शामिल थे.

12 सप्ताह के अंत में, शोधकर्ताओं ने पाया कि इंसुलिन ओरल डिस्पोज़िशन इंडेक्स में उच्च-AGE आहार समूह की तुलना में कम-AGE आहार समूह में काफी वृद्धि हुई थी. ओरल डिस्पोज़िशन इंडेक्स इंसुलिन संवेदनशीलता का एक माप हे जो दिखाता है कि इंसुलिन का उत्पादन करने वाली पैंक्रियाटिक बीटा कोशिकाएं कितनी अच्छी तरह से काम कर रही हैं.

इंसुलिन संवेदनशीलता से तात्पर्य है कि रक्त से ग्लूकोज के अवशोषण के लिए कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कितनी अच्छी तरह प्रतिक्रिया करती हैं.

कम-AGE आहार समूह ने उच्च-AGE आहार समूह की तुलना में 30 मिनट के पोस्टलोड प्लाज्मा ग्लूकोज (PG) के स्तर में भी उल्लेखनीय कमी दिखाई, जिसका उपयोग भविष्य में टाइप 2 मधुमेह के जोखिम की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है.

अध्ययन का महत्व

अध्ययन में समूहों के आहार में संस्कृति-विशिष्ट, आम तौर पर खाए जाने वाले भारतीय खाद्य पदार्थ शामिल थे. इंटरवेंशन डायट मेन्यू की योजना बनाने से पहले इन खाद्य पदार्थों को आहार AGE संरचना के लिए मापा गया था.

डॉ. मोहन ने बताया कि निष्कर्ष भारतीय संदर्भ में साक्ष्य के माध्यम से स्थापित करते हैं कि स्वस्थ खाद्य पदार्थ, जैसे कि फल, सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां और साबुत अनाज, और जो चीजें प्रसंस्कृत नहीं हैं, उनमें AGE कम है.

उन्होंने कहा, “इसके अलावा, अगर आप भोजन को उबालते हैं और उसे तलते, ग्रिल नहीं करते या भूनते नहीं हैं, या उसमें बहुत ज़्यादा तेल, घी या अन्य लिपिड नहीं मिलाते हैं, तो आप आहार संबंधी AGE को कम रख सकते हैं.”

अध्ययन के लेखकों ने कहा है, आम तौर पर, तले हुए, ग्रिल किए गए और बेक किए गए खाद्य पदार्थों में AGE का स्तर सबसे ज़्यादा होता है. अन्य उच्च-AGE खाद्य पदार्थों में सूखे मेवे, भुने हुए अखरोट, सूरजमुखी के बीज, तला हुआ चिकन, बेकन और बीफ़ शामिल हैं. इसके अलावा, पशु प्रोटीन और प्रसंस्कृत पौधों के खाद्य पदार्थों में ऐसे मॉलीक्यूल होते हैं जो उन्हें ग्लाइकेशन के लिए संभावनायुक्त बनाते हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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