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Thursday, 21 November, 2024
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हेटेरो का दावा- कोविड के हल्के लक्षण वाले रोगियों को जल्द ठीक होने में मदद करता है मोलनुपिराविर

हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी, हेटेरो ने तीसरे चरण के परीक्षणों के आशाजनक अंतरिम परिणामों की घोषणा की है और भारत में इस दवा के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए डीसीजीआई से संपर्क किया है.

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नई दिल्लीः हैदराबाद स्थित फार्मास्यूटिकल्स कंपनी हेटेरो ने शुक्रवार को यह घोषणा की कि उसके द्वारा भारत में निर्मित एंटीवायरल कोविड दवा, मोलनुपिराविर, के तीसरे चरण के परीक्षणों के अंतरिम विश्लेषण से आशाजनक परिणाम देखने को मिले हैं.

कंपनी ने कहा कि जब इस दवा – जो की मुंह से लिया जाने वाला एंटीवायरल है – को हल्के कोविड रोगियों को दिया जाता है, तो उन्हें सिर्फ देखभाल के तय मानक (स्टैण्डर्ड ऑफ़ केयर अथवा एस.ओ.सी.) का पालन करने वाले रोगियों की तुलना में तेजी से ठीक होने में मदद मिली. एस.ओ.सी रोगी की आवश्यकताओं, बीमारी, नैदानिक परिस्थितियों के आधार पर एक डॉक्टर द्वारा अपनाई जाने वाली उपचार प्रक्रिया होती है.

कंपनी ने अपने एक बयान में दावा किया कि तीसरे चरण के परीक्षणों में उसे सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण अस्पताल में कम भर्ती किये जाने वाले मामले, नैदानिक ​​​​सुधार हेतु कम समय के अलावा हल्के कोविड -19 रोगियों में सिर्फ एस.ओ.सी के तहत उपचारित रोगियों की तुलना में मोलनुपिराविर से उपचार के बाद जल्द ही नकारात्मक सार्स कोव -2 आर. टी. पी. सी. आर. परिणाम देखने की मिले.

कंपनी ने अब भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से संपर्क किया है ताकि भारत में इस दवा के लिए आपातकालीन उपयोग की मंजूरी की मांग की जा सके.

एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कंपनी ने सिर्फ एसओसी उपचार की तुलना में कोविड रोगियों को एसओसी के साथ-साथ मोलनुपिराविर दिए जाने की प्रभावकारिता और इसकी सुरक्षा का मूल्यांकन करने के लिए 1,218 हल्के कोविड रोगियों पर चरण- 3 के तुलनात्मक, यादृच्छिक (रैंडम), बहुकेंद्रीय नैदानिक ​​परीक्षण किये. ये परीक्षण रोगियों के अंदर लक्षणों की शुरुआत के पांच दिनों के भीतर पर किए गए थे.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नियमों के अनुसार, क्लिनिकल परीक्षण में मरीजों को यादृच्छिक रूप से या तो एसओसी के साथ 800 मिलीग्राम (200 मिलीग्राम की ताकत के चार कैप्सूल) की ताकत के मोलनुपिराविर कैप्सूल को हर 12 घंटे (दिन में दो बार) पर पांच दिनों तक देने के लिए और या फिर सिर्फ एसओसी के साथ उपचार प्राप्त करने के लिए चुना गया था.

इस दवा, मोलुनुपिराविर को अमेरिकी फार्मा दिग्गज एमएसडी द्वारा अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी फर्म रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. यह एक शक्तिशाली राइबोन्यूक्लियोसाइड एनालॉग है (जो इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों से जुड़े आरएनए वायरस को रोकने के लिए जाना जाता है) और जो सार्स – कोव -2 (कोविड रोग उत्पन्न करने वाला कारक) सहित कई आरएनए वायरसों (जिनमें राइबोन्यूक्लिक एसिड आनुवंशिक सामग्री के रूप में होता है) को उनकी प्रतिकृति बनाने से रोकता है.

इस साल अप्रैल में, हेटेरो ने एमएसडी के साथ भारत और दुनिया भर में 100 से अधिक अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मोलनुपिराविर के निर्माण और आपूर्ति के लिए एक नॉन-इक्स्क्लूसिव लाइसेंसिंग समझौता किया था. सिप्ला, डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज, एमक्योर फार्मास्युटिकल्स और सन फार्मास्युटिकल्स जैसे अन्य भारतीय दवा निर्माताओं के साथ भी इस अमेरिकी कंपनी ने करार किया है. हेटेरो भारत में इस दवा के तीसरे चरण के परीक्षण के परिणामों की घोषणा करने वाली पहली कंपनी है.


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‘ठीक होने का औसत समय आठ दिन है’

अनुसंधानात्मक आधार पर दी जा रही दवा के परिणामों ने प्रारंभिक तौर पर नैदानिक ​​सुधार (क्लिनिकल इम्प्रूवमेंट) दिखाया. कंपनी ने बताया कि लक्षणों की शुरुआत के पांचवें दिन उन्होंने दवा (मोलनुपिरवीर) लेने वाले समूह के 63.43 प्रतिशत लोगों में नैदानिक ​​सुधार देखा, जबकि सिर्फ एसओसी प्राप्त करने वालों में यह केवल 22.33 प्रतिशत थे.
दसवें दिन, मोलनुपिराविर प्राप्त करने वालों रोगियों में से 78.96 प्रतिशत में सुधार देखा गया और उनकी तुलना में इसे न लेने वालों में से सिर्फ 49.49 प्रतिशत में सुधार दिखे. इसी तरह चौदहवें दिन मोलनुपिरवीर प्राप्त करने वालों में से 81.55 प्रतिशत ने सुधार दिखाया जबकि अकेले एसओसी पाने वालों में यह संख्या 73.22 फीसदी थी.

कंपनी ने बताया कि, ‘मोलनुपिराविर समूह में नैदानिक ​​​​सुधार के लिए जरुरी औसत समय आठ दिनों के रूप में देखा गया था, जबकि सिर्फ एसओसी वाले समूह यह 12 दिन था’

कंपनी ने कहा कि 14 दिनों की अवलोकन अवधि (ऑब्जरवेशन पीरियड) में, उन्होंने सिर्फ देखभाल के मानक का पालन करने वालों की तुलना में मोलनुपिराविर प्राप्त करने वाले समूह के बीच कम संख्या में अस्पताल में भर्ती होने वाले मामले – क्रमशः 23 प्रतिशत बनाम 7 प्रतिशत – पाए.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘किसी भी समूह में किसी भी प्रकार की मृत्यु दर नहीं थी. दवा के उपयोग से होने वाली सभी प्रतिकूल घटनाएं या तो कतई गंभीर नहीं थीं, अथवा उनकी गंभीरता हल्की थीं, और उनमें से किसी ने भी दवा बंद नहीं की. नजर में आई सबसे आम प्रतिकूल घटनाएं मतली, दस्त और सिरदर्द थीं, जिन्हें पूरी तरह से ठीक कर लिया गया था.’

हेटेरो ने यह भी कहा है कि वह मध्यम लक्षण वाले कोविड रोगियों पर एक अलग प्रकार का मोलनुपिराविर अध्ययन कर रहा है, जिसे सेंट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाईजेशन (सीडीएससीओ) द्वारा भी अनुमोदित किया गया है. इस के अंतरिम और अंतिम नैदानिक ​​​​परिणाम नियत समय पर साझा किए जाएंगे.

(इस खबर को अग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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