नई दिल्ली: कोविड-19 की तीसरी लहर के बीच देश एक बार फिर से इसकी चपेट में है. बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र इस वायरस के ऊंचे जोखिम वाले राज्य बन गए हैं. भारत में बढ़ रहे कोविड-19 के मामलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बुधवार को जानकारी दी.
लव अग्रवाल ने कहा कि भारत में कोविड के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. 159 देशों में मामले बढ़ रहे हैं. यूरोप के 8 देशों में पिछले 2 सप्ताह में 2 गुना से अधिक वृद्धि दर्ज़ की गई है. देश में सक्रिय मामलों की संख्या 9,55,319 के करीब है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मामलों में दुनियाभर में तेजी देखी जा रही है; पूरी दुनिया में एक दिन में संक्रमण के मामलों में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि 10 जनवरी को 31.59 लाख थी.
कुछ राज्यों में हालात चिंताजनक
संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल और गुजरात में मामलों में उभार चिंता का विषय हैं.
उन्होंने कहा कि ओमीक्रॉन के कारण विश्व स्तर पर कुल 115 मौतों की पुष्टि हुई और भारत में 1 मौत हुई है.
अग्रवाल ने कहा कि उच्च सकारात्मक दरों वाले राज्य जिनमें 22.39% की सकारात्मकता दर के साथ महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल 32.18%, दिल्ली 23.1% और यूपी 4.47% हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार डेल्टा की अपेक्षा ओमीक्रॉन तेजी से फैल रहा है. हालांकि दक्षिण अफ्रीका, यूके, कनाडा, डेनमार्क में डेटा डेल्टा की तुलना में ओमीक्रॉन के मामलों के मरीज अस्पताल में कम भर्ती हो रहे हैं.
अग्रवाल ने कहा कि यदि लक्षणों का समाधान होता है, तो रोगी लगातार 3 दिनों तक O2 को सैचुरेशन 93% (O2 के बिना) बनाए रखता है तो ऐसी हालत मे उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.
हल्के लक्षण वाले मरीजों को दोबारा टेस्ट की जरूरत नहीं
लगातार 3 दिनों तक सकारात्मक और गैर-इमरजेंसी मामलों में कम से कम 7 दिनों के बाद माइल्ड केस वाले मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले टेस्ट की कोई जरूरत नहीं.
लव अग्रवाल ने कहा कि COVID के हालात पर पीएम द्वारा समीक्षा बैठक के बाद, हमने हल्के और मध्यम मामलों में गंभीरता के साथ अपनी डिस्चार्ज नीति को संशोधित किया है.
वहीं आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि सभी जोखिम वाले संपर्कों समेत सभी सिम्पटोमैटिक मामलों के टेस्ट करने की जरूरत है … एसिपटोमैटिक मामलों को तब तक टेस्ट करने की जरूरत नहीं है जब तक कि वे ऊंचे जोखिम में न हों. गाइडलाइन के मुताबिक सभी संपर्क में आए लोगों को 7 दिनों तक होम क्वारेंटाइन रहना है.