नई दिल्ली: बच्चों को कोविड वैक्सीन लगाने का रास्ता साफ होता दिख रहा है. अब 2 से 18 साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लग सकेगी. मंगलवार को वैक्सीन से जुड़े एक्सपर्ट पैनल ने आपातकाल में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगाने की सिफारिश की है.
बता दें कि पिछले कई महीनों से बच्चों को कोविड वैक्सीन देने के लिए ट्रायल चल रहे थे. अभी तक बच्चों पर ट्रायल के दौरान उन्हें किसी तरह का नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है. कोविड से लड़ने में कोवैक्सीन 78 प्रतिशत असरदार है. भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने मिलकर कोवैक्सीन बनाई है. भारत बायोटेक का हेडक्वार्टर हैदराबाद में है.
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में सहयोगी लेकिन दादरा और नगर हवेली उपचुनाव में आमने सामने हैं कांग्रेस और शिवसेना
एक्सपर्ट की सिफारिशों की बाद अब ड्रग रेगुलेटर वैक्सीन को लेकर अंतिम फैसला लेगा.
एक्सपर्ट कमेटी वैक्सीन ट्रायल के परिणामों का वैज्ञानिक परीक्षण करती है और देश विदेश के कायदे कानूनों के मुताबिक सिफारिश करती हैं.
कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने आंकड़ों की समीक्षा की और ईयूए के आवेदन पर सोमवार को विचार-विमर्श किया था.
एसईसी ने अपनी सिफारिशों में कहा, ‘समिति ने विस्तार से विचार-विमर्श करने के बाद कुछ शर्तों के साथ आपात स्थितियों में दो साल से 18 साल तक के आयुवर्ग में टीके के सीमित इस्तेमाल के लिए बाजार में इसका वितरण करने की मंजूरी देने की सिफारिश की है.’
कंपनी ने आपात स्थिति में दो साल से 18 साल तक के आयुवर्ग में सीमित इस्तेमाल के लिए अपने ‘होल विरिअन, इनएक्टिवेटिट कोरोना वायरस टीके’ (बीबीवी152) के बाजार में डिस्ट्रब्यूशन की मंजूरी के मकसद से प्रस्ताव भेजा था. इसके साथ कंपनी ने रोग प्रतिराधी क्षमता पैदा करने और अंतरिम सुरक्षा संबंधी दूसरे-तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के आंकड़े भी पेश किए थे.
यह भी पढ़ें: दिल्लीवासी प्रदूषण को कम करने की जिम्मेदारी अब अपने हाथ में लें : अरविंद केजरीवाल
सूत्रों ने बताया कि समिति ने विस्तार से विचार-विमर्श करने के बाद कुछ शर्तों के साथ आपात स्थितियों में दो से 18 वर्ष तक के बच्चों और किशोरों में टीके के सीमित इस्तेमाल के लिए बाजार में इसके वितरण को मंजूरी देने की सिफारिश की है.
एक सूत्र ने बताया कि शर्तों के अनुसार, कंपनी को स्वीकृत क्लीनिकल परीक्षण प्रोटोकॉल के अनुसार अध्ययन जारी रखना होगा और ताजा जानकारी/पैकेज इंसर्ट (दवा और उसके उपयोग संबंधी जानकारी देने वाला दस्तावेज, जिसे दवा के साथ मुहैया कराया जाता है), उत्पाद विशेषताओं का सारांश (एसएमपीसी) और तथ्य पत्र मुहैया कराने होंगे.
इसके अलावा कंपनी को शुरुआती दो महीनों में पर्याप्त विश्लेषण के साथ एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं) और एईएसआई (विशेष हित संबंधी प्रतिकूल घटनाओं) के आंकड़ों समेत सुरक्षा संबंधी आंकड़े हर 15 दिन में मुहैया कराने होंगे. इसके बाद उसे यह आंकड़े हर महीने और नई औषधि और नैदानिक परीक्षण नियम,2019 की जरूरत पड़ने पर उपलब्ध कराने होंगे.
खबरों के मुताबिक 2 से 18 साल के बच्चों को दो डोज़ में ही वैक्सीन लगाई जाएगी. यह भी कहा जा रहा है कि जिन बच्चों को अस्थमा जैसी बीमारी है उन्हें पहले वैक्सीन दी जा सकती है. दुनिया में बच्चों के लिए सबसे पहले अमेरिकी कंपनी फाइजर ने वैक्सीन बनाई थी जिसे फूड एंड ड्रग रेगुलेटर की तरफ से इजाजत मिलने के बाद इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें: त्योहारों से पहले कम हो रहे हैं कोरोना संक्रमण के मामले, मरीजों के ठीक होने की दर 98% पहुंची