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Monday, 18 November, 2024
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डायबिटीज की दवा की कीमत एक तिहाई रह जाएगी, पेटेंट के दायरे से बाहर हुई सीटाग्लिप्टिन

अमेरिकी फर्म मर्क एंड कंपनी निर्मित सीटाग्लिप्टिन का उपयोग टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में किया जाता है, यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें ब्लड शुगर बढ़ जाती है क्योंकि शरीर सामान्य रूप से इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता.

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नई दिल्ली: डायबिटीज रोधी दवा सीटाग्लिप्टिन सस्ती होने के आसार हैं क्योंकि इसी महीने इस दवा का पेटेंट खत्म हो गया है. कई भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां अब यह दवा लॉन्च करने की योजना बना रही हैं जिससे इसके दाम मौजूदा कीमतों की तुलना में एक-तिहाई ही रह जाने की उम्मीद है.

सीटाग्लिप्टिन का उपयोग टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में किया जाता है, यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें ब्लग शुगर बढ़ जाती है क्योंकि शरीर सामान्य रूप से इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग नहीं करता.

सीटाग्लिप्टिन एक लोकप्रिय दवा है जो टाइप-2 डायबिटीज वाले उन मरीजों को एक बेहतर विकल्प प्रदान करती है जिन पर मेटफॉर्मिन (टाइप-2 डायबिटीज की एक और दवा) जैसे दवाएं ज्यादा असर नहीं करतीं या फिर उनके साइड इफेक्ट का खतरा रहता है.

अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी मर्क एंड कंपनी द्वारा विकसित की गई सीटाग्लिप्टिन को 2006 में यूएस एफडीए की तरफ से मंजूरी मिली थी. यह डायबिटीज की पहली ऐसी दवा थी जिसे डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज-4 (डीपीपी-4) अवरोधक की श्रेणी में अनुमोदित किया गया था, जो शरीर को खुद ब्लड शुगर लेवल घटाने में सक्षम बनाती है.

मर्क अब तक भारत में जनुमेट ब्रांड नाम के तहत सीटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन के एक निश्चित डोज कॉम्बिनेश को बेच रही थी. मर्क के साथ लाइसेंस समझौते के तहत सन फार्मा भी सीटाग्लिप्टिन और सीटाग्लिप्टिन-मेटफोर्मिन कॉम्बिनेशन की बिक्री करती थी. भारत में इस दवा की खुदरा कीमत फिलहाल 38 से 45 रुपये प्रति टैबलेट है.

पेटेंट खत्म होने से पहले पिछले माह नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने सीटाग्लिप्टिन फॉर्मूलेशन के लिए खुदरा मूल्य 8 से 21 रुपये प्रति टैबलेट के बीच तय किया था.

रिपोर्टों के मुताबिक, 2018 में मधुमेह की दवाओं का वैश्विक बाजार 48,753 मिलियन डॉलर था और 2026 के अंत तक यह 78,261 मिलियन डॉलर पहुंच जाने का अनुमान है.

लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित 2019 के एक अध्ययन के मुताबिक, 2017 में डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट ने बताया था कि भारत में लगभग 69.2 मिलियन लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और 2030 तक यह संख्या करीब 98 मिलियन तक पहुंच जाने के आसार हैं.


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कीमत घटेगी, उपलब्धता बढ़ेगी

ग्लेनमार्क और डॉ. रेड्डीज सहित कई भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां इस सप्ताह सीटाग्लिप्टिन लॉन्च करने की अपनी योजना की घोषणा कर चुकी हैं.

कंपनी के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम स्टिग ब्रांड नाम से सीटाग्लिप्टिन लॉन्च करने वाले हैं. ‘गुड हेल्थ कान्ट वेट’ के हमारे उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए डॉ. रेड्डीज स्टिग डायबिटीज के मरीजों के लिए उपलब्ध सबसे किफायती दवाओं में एक होगी.’

वहीं, ग्लेनमार्क ने एक बयान में कहा कि कंपनी ने टाइप-2 मधुमेह के मरीजों के लिए उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ ब्रांड नाम सीटाजिट और इसके वेरिएंट के तहत सीटाग्लिप्टिन-आधारित दवाओं के आठ अलग-अलग कॉम्बीनेशन पेश किए हैं.

ग्लेनमार्क ने दिप्रिंट को एक बयान में बताया, ‘टाइप-2 डायबिटीज जैसी असाध्य बीमारियों में मरीजों को लंबे समय तक डायबिटीज की कई दवाओं के सेवन की जरूरत पड़ती है. यही नहीं, भारत में मरीजों को दवा का खर्चा खुद ही उठाना पड़ता है. ऐसे में दवा की कीमत इलाज को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख फैक्टर बन जाती है. ग्लेनमार्क के सीटाग्लिप्टिन और इसके फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन की कीमत भारत में इसके इनोवेटर ब्रांड की लागत की करीब एक-तिहाई हैं.

ग्लेनमार्क के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि इस कंपनी की दवा की कीमत 10 रुपये से 20 रुपये के बीच होगी, जबकि मर्क के फॉर्मूलेशन की कीमत 23 रुपये से 41 रुपये प्रति टैबलेट के बीच थी.

मूल्य नियंत्रण पर एनपीपीए के आदेश से पता चलता है कि ज़ायडस, एबॉट हेल्थकेयर, अकम्स, टोरेंट, स्काईमैप और एमक्योर सहित कई अन्य फार्मास्यूटिकल कंपनियां भी इस दवा के उत्पादन में उतर सकती हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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