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Sunday, 22 December, 2024
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कोवैक्सीन पर छत्तीसगढ़ और केंद्र के बीच गतिरोध जारी, दूसरे राज्य भेजनी पड़ सकती है वैक्सीन

प्रदेश के कोविड टीकाकरण अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कोवैक्सीन के लगाने से इनकार करने के बाद वैक्सीन के सभी डोज स्टोर में रखे हुए हैं.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के बीच भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर चल रही रस्साकशी के चलते प्रदेश को मिलने वाले वैक्सीन के करीब 72,000 हजार डोज के इस्तेमाल पर खतरा मंडराने लगा है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य को मिली कोवैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है लेकिन मई-जून में इसके टीके एक्सपायर हो जाएंगे जिसके पहले सरकार को कोई रास्ता निकालना पड़ेगा नहीं तो इन्हें दूसरे राज्यों में भेजना पड़ेगा.

प्रदेश के कोविड टीकाकरण अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कोवैक्सीन के लगाने से इनकार करने के बाद वैक्सीन के सभी डोज स्टोर में रखे हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘समय रहते यदि इनका इस्तेमाल नहीं हुआ तो ये खराब हो सकते हैं.’

अधिकारियों का यह भी कहना है कि इन टीकों का इस्तेमाल यदि प्रदेश में नहीं हो पाया तो इन्हें खराब होने से बचाने के लिए दूसरे राज्यों में भेजना उचित होगा.

राज्य में कोविड वैक्सीनेशन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर अमर सिंह ठाकुर ने दिप्रिंट को बताया, ‘छत्तीसगढ़ को कोवैक्सीन की दो खेप जनवरी और फरवरी में क्रमशः 37,720 और 34,500 डोसेज के साथ मिल चुकी है. इस तरह दोनों खेप मिलाकर राज्य को कोवैक्सीन की तकरीबन 72,000 डोज़ मिल चुके हैं.’

‘दूसरी खेप दो दिन पहले ही मिली है जबकि फरवरी में कोवैक्सीन की सप्लाई का कोई शिड्यूल नहीं था. मार्च में अभी बड़ी सप्लाई होने वाली है. जनवरी में मिली खेप की समय सीमा मई तक है जबकि फरवरी वाले लॉट की एक्सपायरी जून 2020 में है.’

डॉक्टर ठाकुर का कहना है कि राज्य सरकार के आदेश के बिना कोवैक्सीन नहीं लगाई जा सकती.

उन्होंने कहा कि यदि मार्च के पहले कोवैक्सीन के तीसरे चरण की ट्रायल रिपोर्ट मिल जाती है तो इसके सभी टीकों को राज्य में ही लगाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं होने पर इनको ऐसे राज्य में स्थानांतरित करना पड़ेगा जहां इसका इस्तेमाल हो रहा है.

ठाकुर ने कहा, ‘वैक्सीन को बचाने के लिए यही उचित विकल्प है. हालांकि यह भी केंद्र की अनुमति से ही होगा. फिलहाल इसकी एक्सपायरी को देखते हुए केंद्र को आगे की सप्लाई रोक देनी चाहिए.’

डॉक्टर ठाकुर के अनुसार, ‘अभी हमारे पास कोविशील्ड की पर्याप्त डोज़ हैं इसलिए मार्च तक कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन मार्च में मिलने वाली सप्लाई यदि कोविशील्ड की नहीं हुई तो उसके बाद कोविड टीकाकरण अभियान में परेशानी हो सकती है.’


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क्या है मामला

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने राज्य में कोवैक्सीन लगाने के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है.

सिंह देव ने केंद्र सरकार से साफ तौर पर कह दिया है कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के रिजल्ट आने तक इसका इस्तेमाल राज्य में नहीं किया जा सकता क्योंकि इसको लेकर लोगों के मन में काफी भ्रम है.

सिंह देव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को 8 फरवरी को लिखे एक पत्र में कहा था, ‘राज्य में करीब 37,760 कोवैक्सीन के डोसेज की सप्लाई दी जा चुकी है और 1.49 लाख टीके मार्च में और मिलने हैं.’

‘मेरे द्वारा कोवैक्सीन को लेकर राज्य में लोगों की चिंता से आपको पहले ही अवगत कराया गया है. हम कोवैक्सीन के सभी टीकों का इस्तेमाल तीसरे चरण के ट्रायल नतीजे आने के बाद ही कर पाएंगे. आपसे अनुरोध है कि कोवैक्सीन की सप्लाई राज्य को रोक दी जाए ताकि जल्द एक्सपायर होने वाली इस वैक्सीन को बर्बाद होने से भी बचाया जा सके.’

हालांकि सिंह देव के पत्र के जवाब में 12 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपने पत्र में राज्य सरकार से कहा, ‘छत्तीसगढ़ टीकाकरण में पीछे चल रहा है, सरकार किसी प्रकार का भ्रम न फैलाए और कोवैक्सीन लगाए.’

हर्षवर्धन ने साफ किया कि कोवैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसे देश की सभी संबंधित संस्थानों ने इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.


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