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Sunday, 22 December, 2024
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Covid लहर में ऐसे वेंटिलेटर्स के साथ लड़ रहा बिहार का बक्सर, जो या तो काम नहीं कर रहे या कमरे में बंद पड़े हैं

सिविल लाइन्स कोविड केयर सेंटर से कोई 2 किमी. दूर सदर अस्पताल में 4 वेंटिलेटर्स हैं, जो पिछले साल पीएम केयर्स फंड से मिले थे. लेकिन वे अस्पताल की दूसरी मंज़िल पर एक कमरे में बंद पड़े हैं.

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बक्सर: 3 मई को शाम 4 बजे के क़रीब, बक्सर सिविल लाइन्स में ज़िला कोविड देखभाल केंद्र के गेट पर एक कार तेज़ी से आकर रुकी. वहां पर तैनात पुलिसकर्मी ने कुछ सवाल पूछे और एक स्ट्रेचर मंगाया. जैसे ही परिवार के चार सदस्यों ने, तेज़ी से अंदर जाने की कोशिश की पुलिसकर्मी ने कहा: ‘अब जल्दी करने से कोई फायदा नहीं है. मरीज़ तो लगता है गुज़र गया है’.

पता चला, वो सही कह रहा था. 70 वर्षीय मरीज़ वीरेंद्र तिवारी को अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. परिवार जल्द ही शव को लेकर बाहर आ गया और अपनी कार में बैठकर, दाह-संस्कार के लिए निकल गया.

अतिरिक्त सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट (एएसडीएम) दीपक कुमार के अनुसार, 17 जनवरी को ‘आख़िरी केस’ दर्ज किए जाने के बाद, ज़िले को ‘कोविड-मुक्त’ घोषित कर दिया गया था लेकिन अब यहां हर रोज़ 100 से अधिक केस आ रहे हैं. बिहार स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 3 मई को बक्सर में 104 नए कोविड मामले और 25 मौतें दर्ज की गईं.

और हालांकि अधिकारी दावा कर रहे हैं कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, लेकिन वहां पर ज़्यादातर मौतें ऑक्सीजन के काम न करने की वजह से हो रही हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए ऊपर हवाला दिए गए पुलिसकर्मी ने कहा, ‘हमारे ज़िले में कोई वेंटिलेटर नहीं है. डॉक्टर ऐसे आदमी को नहीं बचा सकते, जो बेहद नाज़ुक हालत में है. अब तो मैं देखकर बता सकता हूं कि कोई मरीज़ बचेगा या नहीं’.

कुमार ने, जो ज़िले में कोविड प्रबंधन के नोडल अधिकारी भी हैं कहा कि 21 अप्रैल को एक कोविड मरीज़ के मरने के बाद, उसके परिवार ने अस्पताल के डॉक्टरों पर हमला कर दिया था. उसके बाद से ज़िला अधिकारियों ने डॉक्टरों तथा दूसरे मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात कर दिए हैं.

कुमार ने बताया कि इस कोविड देखभाल केंद्र में 67 ऑक्सीजन युक्त बिस्तर हैं. उन्होंने ये भी कहा, ‘लेकिन, पिछले एक सप्ताह से, केंद्र से हर रोज़ 4-5 मरीज़ों की मौत की ख़बर आ रही है. जो मरीज़ गंभीर हैं, वो बच नहीं रहे’.

वेंटिलेटर्स के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने बताया कि केंद्र में दो मशीनें हैं, लेकिन वो इस्तेमाल नहीं हो सकतीं. उन्होंने कहा ‘…फिलहाल, दोनों काम नहीं कर रहीं हैं, क्योंकि हमारे पास उन्हें चलाने के लिए कोई टेक्नीशियन नहीं है’.

सिविल लाइन्स कोविड केयर सेंटर से कोई 2 किलोमीटर दूर सदर अस्पताल में चार वेंटिलेटर हैं, जो उसे पिछले साल पीएम केयर्स फंड से मिले थे. लेकिन वो अस्पताल की दूसरी मंज़िल पर एक कमरे में बंद पड़े हैं.

अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर भूपेंद्र सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘वो हमें पिछले साल मिले थे लेकिन बिना किसी एक्सपर्ट या एनेस्थेटिस्ट के हम उन्हें नहीं चला सकते’.

कोविड इलाज के लिए समर्पित बक्सर के दो सरकारी अस्पतालों में कुल मिलाकर छह वेंटिलेटर्स हैं और उनमें से एक भी, चालू हालत में नहीं है.

इस बीच, ज़िले के चार निजी अस्पतालों में कुल मिलाकर छह वेंटिलेटर्स हैं लेकिन उनमें से भी सभी काम नहीं कर रहे हैं.

ज़िला मजिस्ट्रेट अमन समीर ने कहा: ‘मैंने निजी अस्पतालों के साथ बैठकें की हैं. हम बाहर से टेक्नीशियंस बुला रहे हैं, जो इन वेंटिलेटर्स को चलाने में हमारी मदद कर सकते हैं. एक हफ्ते के अंदर चारों वेंटिलेटर्स चालू हो जाएंगे’.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3 मई तक बिहार में कुल 1,07,667 एक्टिव मामले थे, जिनमें से 1,458 बक्सर में थे.


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A tent for patients' attendants outside the District Covid Care Centre in Civil, Lines, Buxar | Photo: Jyoti Yadav | ThePrint
जिला कोविड सेंटर, सिविल लाइंस के बाहर मरीजों के परिजनों के लिए लगाया गया टेंट | फोटो- ज्योति यादव, दिप्रिंट

‘कोरोना-मुक्त ज़िले’ से एक दिन में 25 मौतें

कुमार ने बताया कि 17 जनवरी से 19 मार्च के बीच बक्सर में कोविड का कोई नया केस सामने नहीं आया था और इस बीच उसे ‘कोविड-मुक्त’ ज़िला घोषित कर दिया गया था.

लेकिन, होली के आस-पास भारी संख्या में प्रवासी लोग घर वापस लौट आए. बक्सर रेलवे स्टेशन पर दिनभर में, 23 रेलगाड़ियां रुकती हैं.

डीएम समीर ने कहा कि इसने स्थिति को बदल दिया.

2011 की जनगणना के अनुसार, बक्सर की आबादी 17 लाख से अधिक है. कोविड की दूसरी लहर के देश से टकराने के बाद 17 जनवरी के बाद से 19 मार्च को ज़िले में पहला केस सामने आया.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल को ज़िले में 23 मामले दर्ज किए गए. 15 अप्रैल तक ये संख्या बढ़कर 100 प्रतिदिन हो गई और उसके बाद से बढ़ ही रही है.

टेस्टिंग की संख्या भी उत्साहजनक नहीं है, हालांकि प्रशासन का दावा था कि ज़िले को कोविड-मुक्त करने के बाद भी, उन्होंने जांच करानी बंद नहीं किया था.

डीएम ने कहा, ‘पहले हम हर रोज़ 4,000 टेस्ट कर रहे थे लेकिन अब ये संख्या कम कर दी गई है. हम रोज़ाना 2,000 टेस्ट करते हैं, जिनमें 750 आरटी-पीसीआर होते हैं और बाक़ी एंटिजेन होते हैं’.

प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा कि आरटीपीसीआर नमूनों को पटना भेजना होता है और वहां की लैब्स पर बहुत बोझ है, जिस कारण वो ज़्यादा जांच नहीं कर पा रहे हैं.

कोविड मामलों में उछाल और मौतों के बीच, सांस फूलने की शिकायत लेकर आने वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है, और ज़िला बिना किसी चालू वेंटिलेटर के काम कर रहा है. ज़िला प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है, किसी पल्मोनॉलजिस्ट की तलाश, जो वेंटिलेटर को चला सके.

दिप्रिंट ने वीके ग्लोबल अस्पताल का भी दौरा किया, जो एक निजी सुविधा है और पाया कि उसका तीन में से एक वेंटिलेटर, काम नहीं कर रहा है. अस्पताल में, जिसके कुछ हिस्से निर्माणाधीन हैं, 20 ऑक्सीजन बेड्स हैं और ऑक्सीजन के लिए वो मरीज़ों से, 150 रुपए प्रति घंटा वसूल करता है.

अस्पतालों ने ये भी कहा कि मरीज़ों की ‘चिंताजनक हद तक’ बड़ी संख्या ऐसी है, जिनके कोविड टेस्ट निगेटिव थे लेकिन उनके सीटी स्कैन्स लक्षण दिखाते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे बहुत से मरीज़ मर रहे हैं, हालांकि कोविड मौतों के आधिकारिक आंकड़ों में ये नज़र नहीं आता.

बक्सर में, जो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री, अश्विनी कुमार चौबे का लोकसभा चुनाव क्षेत्र है, अपना कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. देश में कोविड-19 का प्रकोप फैलने से पहले भी ऐसी किसी भी सर्जरी या इमरजेंसी के लिए, जिसमें वेंटिलेटर सपोर्ट की ज़रूरत हो, ये ज़िला बहुत हद तक वाराणसी और पटना पर निर्भर करता था.

दिप्रिंट ने बृहस्पतिवार को स्थानीय विधायक कांग्रेस नेता मुन्ना तिवारी से एक टिप्पणी लेने के लिए संपर्क किया लेकिन उनके दफ्तर से कहा गया कि वो उस दिन बाद में ही बात कर पाएंगे. उनका जवाब हासिल होने पर इस ख़बर को अपडेट कर दिया जाएगा.


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VK Global Hospital, a private Covid facility in Buxar, charges Rs 150/hour for oxygen from patients | Photo: Jyoti Yadav | ThePrint
बक्सर की वीके ग्लोबल अस्पताल, एक प्राइवेट कोविड सुविधा जहां 150 रुपये हर दिन का चार्ज है. फोटो- ज्योति यादव | ThePrint

चिकित्सा स्टाफ की कमी

इधर ज़िला प्रशासन टेक्नीशियंस की तलाश में जूझ रहा है, उधर अस्पताल अपर्याप्त मेडिकल स्टाफ की भी शिकायत कर रहे हैं.

सदर अस्पताल में, जहां 20 से अधिक मरीज़ों को ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ रखा जा सकता है, डॉक्टरों के 34 और नर्सों के 63 स्वीकृत पद हैं लेकिन फिलहाल, केवल 24 डॉक्टर और 46 नर्सें काम कर रहे हैं.

सिविल लाइन्स अस्पताल में 16 डॉक्टर और 20 नर्सें हैं. दिप्रिंट से बात करने वाले अधिकांश डॉक्टरों और अन्य स्टाफ ने, जो अपने नाम नहीं बताना चाहते थे कहा कि ये संख्या ‘बहुत कम’ है.

वीके ग्लोबल अस्पताल के मालिक डॉ. वीके सिंह ने भी दिप्रिंट को बताया कि वो केवल ‘4 डॉक्टरों और चार नर्सों’ के साथ काम कर रहे हैं.

सदर अस्पताल के डॉ. भूपेंद्र नाथ ने कहा, ‘ये सब मरीज़ जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, कोविड-19 टेस्ट में निगेटिव पाए गए हैं, लेकिन उनमें लगातार कोविड के लक्षण बने हुए हैं. सांस फूलने की समस्या बहुत चिंताजनक है. हमारे पास ऑक्सीजन सप्लाई पर्याप्त तो है लेकिन उपकरण काफी नहीं हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने हर जगह प्रयास किया लेकिन पूरे बिहार में एक भी ऑक्सीजन फ्लोमीटर उपलब्ध नहीं है’.

दिप्रिंट को सदर अस्पताल में सामाजिक कार्यकर्त्ता रामजी सिंह मिल गए, जो अस्पताल को पांच ऑक्सीजन फ्लोमीटर सौंपने आए थे.

वो भी नाथ के साथ सहमत थे कि ये बिहार में कहीं भी उपलब्ध नहीं थे और उन्होंने इन्हें मेरठ से मंगाया है.

An attendant waits for an ambulance to take the body of a patient for cremation, at Sadar Hospital in Buxar | VK Global Hospital, a private Covid facility in Buxar, charges Rs 150/hour for oxygen from patients | Photo: Jyoti Yadav | ThePrint
बक्सर के सदर अस्पताल में परिजन लाश के अंतिम संस्कार के लिए एंबुलेंस का इंतजार करते हुए | फोटो- ज्योति यादव | ThePrint

इस बीच, कोधी गांव के 62 वर्षीय प्रदुमन पाल का शव सदर अस्पताल के एक स्ट्रेचर पर लावारिस हालत में पड़ा हुआ था. एक नर्स ने, जिसकी शिफ्ट तभी ख़त्म हुई थी, बताया, ‘ये ऑक्सीजन के लिए हांफ रहे थे. हमने एक एंटिजन टेस्ट किया. उसका नतीजा आधे घंटे में आया, तब तक ये ख़त्म हो चुके थे’.

एंटिजन टेस्ट में पता चला कि वो कोविड पॉज़िटिव थे.

शव स्ट्रेचर पर रखा रहा, क्योंकि एक स्टाफ मेंबर ने बताया कि दो दिन पहले, एंबुलेंस के ड्राइवर भी बीमार हो गए थे. मरीज़ का भाई पास ही था- शोक में डूबा लेकिन साथ में ये भी चिंता कि शव को क्रिया-कर्म के लिए कैसे लेकर जाए.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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