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Thursday, 2 January, 2025
होमहेल्थफंड की कमी और FCRA लाइसेंस गंवाने के बाद भोपाल त्रासदी से बचे लोगों की सेवा करने वाला क्लिनिक होगा बंद

फंड की कमी और FCRA लाइसेंस गंवाने के बाद भोपाल त्रासदी से बचे लोगों की सेवा करने वाला क्लिनिक होगा बंद

2019 में, नियमों के कथित उल्लंघन के कारण संभावना ट्रस्ट का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया था और उसका बैंक खाता फ्रीज़ कर दिया गया था. विदेशी फंड्स के लिए सर्टिफिकेशन ज़रूरी है.

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नई दिल्ली: 51-वर्षीय संजय सक्सेना और उनके जैसे हज़ारों लोग अब अपनी बीमारियों के लिए संघर्ष करेंगे क्योंकि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को दो दशकों से अधिक समय से मुफ्त मेडिकल सेवाएं देने वाला संभावना ट्रस्ट क्लिनिक इस साल के अंत में फंड्स की भारी कमी के कारण बंद होने की कगार पर है.

29 साल पुराना यह संस्थान 1984 के यूनियन कार्बाइड आपदा के पीड़ितों के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रणाली रहा है. 1996 में स्थापित इस क्लिनिक ने शुरुआत में औसतन प्रतिदिन 63 मरीज़ों का इलाज किया, 2019 तक यह संख्या बढ़कर 92 हो गई. हाल के वर्षों में संख्या में कमी आई और 2024 तक रोज़ाना की औसत घटकर 75 हो गई है.

संभावना ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी हरि प्रसाद जोशी ने बताया, “ज़िंदा लोगों में से अधिकांश सांस लेने से संबंधित, इम्यूनोलॉजी, न्यूरोलॉजी, रिप्रोडक्टिव, एंड्रोक्रिनाल, मस्कुलोस्केलेटल और अन्य चीज़ों को प्रभावित करने वाली दिक्कतों से घिरे हैं. क्लिनिक को चलाए रखने के लिए हर महीने 20 लाख रुपये की ज़रूरत पड़ती है.”

अक्टूबर 2019 में ट्रस्ट का FCRA (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) रजिस्ट्रेशन जो 31 अक्टूबर, 2021 तक वैध था, FCRA नियमों के कथित उल्लंघन के लिए अचानक रद्द कर दिया गया और इसके बैंक खाते को गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा फ्रीज कर दिया गया.

FCRA रजिस्ट्रेशन भारत में संगठनों के लिए एक ज़रूरी सर्टिफिकेशन है, जो उन्हें कानूनी रूप से विदेशी फंड हासिल करने में सक्षम बनाता है.

ट्रस्ट को तीन साल के लिए FCRA के तहत फिर से रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने से प्रतिबंधित कर दिया गया और 18 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.

जोशी ने दिप्रिंट को बताया, “इसका कारण 31 मार्च 2019 की समय सीमा तक 2017-18 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जमा करने में कथित विफलता थी.”

उन्होंने कहा, हालांकि, रिपोर्ट दाखिल करने के लिए MHA पोर्टल खराब था, जिससे ज़रूरी दस्तावेज़ अपलोड करना असंभव हो गया.

पोर्टल की तकनीकी समस्याओं को साबित करने वाले स्क्रीनशॉट के साथ MHA अधिकारियों को ईमेल भेजने के बावजूद, संभावना ट्रस्ट का दावा है कि उन्हें कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद, ट्रस्ट ने 18 लाख रुपये का जुर्माना भरा और तीन साल के प्रतिबंध का इंतज़ार किया.

दिप्रिंट के पास स्क्रीनशॉट और गृह मंत्रालय को भेजे गए मेल मौजूद हैं और हमने ईमेल के ज़रिए जवाब के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

जोशी के अनुसार, ट्रस्ट ने 2 फरवरी 2023 को FCRA में दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था, “जबकि पोर्टल तीन महीने के भीतर फैसला सुनाता है, 22 महीने बीत चुके हैं और संभावना के बाद दायर किए गए 65 प्रतिशत आवेदनों पर कार्रवाई की गई है. फिर भी, ट्रस्ट का आवेदन आज भी प्रक्रियाधीन है.”

क्लिनिक के लाभार्थियों और कर्मचारियों ने 15 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड ज़हर पीड़ित स्वास्थ्य सेवा अधिकार मोर्चा का गठन किया. अगले दिन, समूह ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर क्लिनिक के FCRA रजिस्ट्रेशन के लिए अनुरोध किया. फिलहाल, वह जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं.

पिछले कुछ वर्षों में क्लिनिक ने 45 देशों में 30,000 व्यक्तियों का एक मजबूत दानदाता आधार बनाया है, जिसका वार्षिक खर्च 1996 में 10.68 लाख रुपये से बढ़कर 2018 में 2.5 करोड़ रुपये हो गया है. यूके स्थित भोपाल मेडिकल अपील ने फंड जुटाने का नेतृत्व किया, जबकि क्लिनिक ने अंतर्राष्ट्रीय फंड हासिल करने के लिए अपने FCRA रजिस्ट्रेशन पर भरोसा किया. जोशी के अनुसार, इस प्रणाली ने क्लिनिक को 23 वर्षों तक ज़िंदा रखा.

2019 में FCRA रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद फंड्स जुटाने में कमी आई. 2019 में क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किए गए दो वीडियो विफल रहे क्योंकि संभावित फंड देने वालों को यह विश्वास नहीं था कि 1984 की आपदा के बचे लोगों को चार दशक बाद भी मेडिकल देखभाल की ज़रूरत है, जबकि दीर्घकालिक समर्थकों ने कुछ धन का योगदान दिया, मगर वह संचालन को पूरी तरह से चालू रखने के लिए काफी नहीं था.

जोशी ने कहा, “कर्मचारियों की सैलरी में 30 प्रतिशत की कटौती की गई और क्लिनिक ने कम बजट पर अपना काम जारी रखा, जिसे आंशिक रूप से अज़ीम प्रेमजी परोपकारी पहल (APPI) ने सपोर्ट किया.”

सक्सेना 2009 से ही भोपाल के संभावना ट्रस्ट क्लिनिक में नियमित रूप से आते रहे हैं, उनके साथ उनके परिवार के 14 अन्य सदस्य भी हैं, जिनमें से कुछ तो इससे भी लंबे समय से इलाज करवा रहे हैं.

वे अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए गैस त्रासदी से दूषित पानी पीने को जिम्मेदार मानते हैं. सक्सेना ने बताया, “दूषित पानी पीने से मुझे जोड़ों की समस्या हो गई और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी आईं. मुझे पीलिया हो गया और बाद में कमर और पैरों की नसों में ब्लॉकेज हो गया, जिससे जोड़ों में बहुत दर्द रहने लगा. मैं अभी भी ठीक से चलने में संघर्ष करता हूं.”

वे रक्तचाप, मधुमेह और थायरॉयड से संबंधित बीमारियों से भी पीड़ित हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “पंचकर्म और योग थेरेपी जैसे ट्रीटमेंट हमें बहुत मददगार लगे, लेकिन क्लिनिक बंद होने से हम सभी के लिए, खासकर मेरी 74-वर्षीय मां के लिए यह बुरा होगा.”


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लगभग 30 वर्षों से सेवारत

लगभग तीन दशक पहले, भोपाल स्थित एनजीओ संभावना ट्रस्ट (आईएस) द्वारा संचालित क्लिनिक ने आधुनिक मेडिकल, आयुर्वेद, योग और सामुदायिक स्वास्थ्य पहलों को एकीकृत करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ व्यवस्था शुरू की.

अक्टूबर 2019 तक, इसकी सेवाओं में रोग संबंधी जांच, अल्ट्रासाउंड, स्त्री रोग, नेत्र रोग क्लीनिक, जड़ी बूटी गार्डन और हर्बल दवाओं का प्रोडक्शन, इमरजेंसी और पैरामेडिकल सेवाएं और समुदाय-आधारित रिसर्च शामिल हो गए थे.

इन ​​​​कार्यों से परे, संभावना ट्रस्ट क्लिनिक 40,000 सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ समुदाय में अपनी पहुंच बढ़ाता है, जो मलेरिया, डेंगू और टीबी से निपटने के लिए स्वास्थ्य पहलों के साथ 30,000 से अधिक आबादी की सेवा करते हैं और शुरुआती सर्वाइकल कैंसर की जांच करते हैं.

इसके सामुदायिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण एक लाख से अधिक लोगों के सामने आने वाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य चुनौतियों का दस्तावेज़ीकरण करते हैं.

क्लिनिक 2 दिसंबर, 1984 को आधी रात के आसपास हुए गैस रिसाव के बचे लोगों और परिवारों की सेवा करता है. जब भोपाल में यू.एस. स्थित यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के स्वामित्व वाले कीटनाशक संयंत्र से लगभग 40 टन घातक मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई.

इस ज़हरीले बादल ने संयंत्र के पास बस्तियों में रहने वाले हज़ारों लोगों की जान ले ली. अनुमान है कि 22,000 से ज़्यादा लोग इसके संपर्क में आने के कारण समय से पहले मर चुके हैं और दशकों बाद भी मौतें जारी हैं.

इसके अलावा, 500,000 से ज़्यादा लोगों को चोटें आईं या दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हुईं. इनमें प्रजनन स्वास्थ्य पर पीढ़ीगत प्रभाव और साइट पर छोड़े गए रसायनों से जल स्रोतों का संदूषण शामिल है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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