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Thursday, 25 April, 2024
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बॉर्नविटा विवाद के बीच पैकेज्ड फूड पर स्टार रेटिंग के फैसले पर FSSAI करेगा दोबारा विचार

बॉर्नविटा विवाद के बीच, खाद्य सुरक्षा नियामक ने इस महीने हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाई है ताकि इस बात पर चर्चा की जा सके कि एचएसआर या चित्र के साथ वाली चेतावनी लेबल बेहतर विचार है या नहीं.

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नई दिल्ली: भारत के शीर्ष खाद्य सुरक्षा नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), सभी पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर एक अनिवार्य हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR) शुरू करने की अपनी योजना पर पुनर्विचार कर रहा है, दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है. एचएसआर एक फ्रंट-ऑफ़-पैक लेबलिंग सिस्टम है जो पैकेज्ड फूड के पोषण स्तर को रेट करता है.

एक महीने पहले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंगका ने एक वीडियो में कैडबरी बॉर्नविटा को ‘हेल्थ ड्रिंक’ के रूप में समर्थन देने की आलोचना की थी और दावा किया था कि ब्रांड ने उत्पाद के ‘पोषण मूल्य’ और इसमें प्रयोग की गई चीनी की मात्रा की जानकारी दी गलत गई है.

जबकि बॉर्नविटा के मालिक मोंडेलेज़ इंडिया ने हिमतसिंगका के दावों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद इन्फ्लुएंसर ने यह कहते हुए अपने वीडियो को हटा दिया था कि उन्हें कानूनी नोटिस मिला है. साथ ही उन्होंने इस मामले में पैकेज्ड फूड इंडस्ट्री से और जानकारी मांगी थी.

एफएसएसएआई के आधिकारिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि यह निर्णय सीधे तौर पर बॉर्नविटा विवाद से जुड़ा नहीं है, लेकिन इस मामले के कारण स्टॉकहोल्डर्स इस महीने के अंत तक एक मीटिंग कर सकते हैं.

एफएसएसएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि एचएसआर पर एक ड्राफ्ट आने के बाद, हमें विभिन्न हितधारकों से 10,000 से अधिक कॉमेंट्स प्राप्त हुए हैं और वर्तमान में उन पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि “हालांकि, विचार-विमर्श अभी भी जारी है और जल्द ही एक बैठक की योजना बनाई जा रही है कि क्या स्वास्थ्य स्टार रेटिंग या पैकेज्ड फूड पर छापी गई चेतावनी एक बेहतर विचार होगा. हम इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दृष्टिकोण को भी इसमें शामिल करेंगे.

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अगर एफएसएसएआई अपने फैसले पर आगे बढ़ने का फैसला करता है, तो यह पहली बार होगा जब देश में हेल्थ स्टार रेटिंग पेश की जाएगी.

दिप्रिंट ने एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जी. कमला वर्धन राव से टिप्पणी के लिए ईमेल के जरिए संपर्क किया. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.


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हेल्थ स्टार रेटिंग पर अलग-अलग विचार

एक प्रणाली जो पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड को एक से पांच के बीच रेट करती है, एचएसआर का उद्देश्य पैकेज्ड फूड के फ्रंट पर उत्पाद की प्रमुख पोषण संबंधी जानकारी प्रदान करना है, ताकि उपभोक्ता एक ही श्रेणी के उत्पादों के बीच तुलना कर सकें.

पिछले साल मार्च में, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद की एक रिपोर्ट के आधार पर पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के लिए फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग के प्रभाव के बारे में एफएसएसएआई ने पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के लिए एचएसआर शुरू करने के अपने इरादे की घोषणा की थी. अध्ययन में पाया गया कि एचएसआर प्रारूप भारतीयों को स्वस्थ पैकेज्ड खाद्य पदार्थों को चुनने में मदद करने के लिए सबसे उपयुक्त था.

एफएसएसएआई ने इस कदम पर विचार करते हुए, इसे भारत के मोटापे और गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करने में मदद करने के लिए एक ‘प्रगतिशील कदम’ के रूप में पेश किया. नवंबर 2022 में रेगुलेटर ने पॉलिसी पर पब्लिक फीडबैक भी मांगा था.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कई स्वास्थ्य और पोषण कार्यकर्ताओं ने एचएसआर के खिलाफ तर्क दिया था कि यह रेटिंग सिस्टम केवल उपभोक्ताओं को भ्रमित करेगा. इसके बजाय, उन्होंने अधिक ‘वैज्ञानिक और स्वास्थ्य के अनुकूल’ नीति पर जोर दिया और यह तर्क दिया कि पैकेज के सामने चित्रित चेतावनी ज्यादा बेहतर ढंग से समझा जा सकता है.

इसके खिलाफ तर्कों के बावजूद, कई विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली प्रभावी होगी.

दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक जो सार्वजनिक पोषण के क्षेत्र में काम करता है, और भारत की पोषण चुनौतियों पर पीएम की परिषद के एक पूर्व सदस्य, न्यूट्रिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट (एनएपीआई) के संयोजक डॉ. अरुण गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, “अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि जिन देशों ने पैकेज्ड फूड पर सचित्र चेतावनियों को अपनाया है, उन्होंने लोगों के पोषण मानकों में सुधार के मामले में बेहतर काम किया है.”

पिछले साल एफएसएसएआई को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन – पोषण पर भारत का प्रमुख शोध संस्थान – ने भी कहा कि HSR चेतावनी से खाद्य उत्पादों की स्वास्थ्य धारणा को बदलने में काफी मदद मिली, और पैकेट पर एक भी स्टार का कम होना उन्हें अधिक जागरूक निर्णयकर्ता बनाती है.

बॉर्नविटा विवाद

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंगका ने 1 अप्रैल को बॉर्नविटा के वीडियो के साथ कैप्शन डालते हुए लिखा: “क्या सरकार को कंपनियों को अपने पैकेज पर खुलकर झूठ बोलने की अनुमति देनी चाहिए? माता-पिता अपने बच्चों को कम उम्र में ही चीनी की लत लगा रहे हैं, और बच्चे जीवन भर इसी प्रकार से चीनी का सेवन कर रहे है.”

वीडियो, जिसे ट्विटर और लिंक्डइन जैसे प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से शेयर किया गया था, ने कई ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं, पूर्व क्रिकेटर और सांसद कीर्ति आज़ाद की प्रतिक्रियाओं को आकर्षित किया, जिन्होंने कैडबरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का दावा किया.

लेकिन हिमतसिंगका ने अंततः इस वीडियो को हटा दिया और बॉर्नविटा से माफी मांगी.

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “मैंने 13 अप्रैल को भारत की सबसे बड़ी लॉ फर्मों में से एक से कानूनी नोटिस प्राप्त करने के बाद (बॉर्नविटा) वीडियो को हटाने का फैसला किया है. वीडियो बनाने के लिए मैं कैडबरी से माफी मांगता हूं. मेरा किसी भी प्रकार का ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने या किसी कंपनी को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था और न ही मुझे किसी भी अदालती केस में उलझना है. मैं बहुराष्ट्रीय कंपनियों से इसे कानूनी रूप से आगे नहीं बढ़ाने का अनुरोध करता हूं.”

इस बीच, हालांकि इस मुद्दे पर FSSAI की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मोंडेलेज़ को एक नोटिस जारी किया. जिसमें कहा गया कि उसने एक पैकेज्ड खाद्य उत्पाद में शुगर कंटेंट के बारे में बताने से संबंधित मानदंडों का उल्लंघन किया है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) और दिल्ली स्थित उपभोक्ता स्वैच्छिक कार्रवाई समूह, कंज्यूमर वॉयस के सचिव, आशिम सान्याल ने बताया कि अगर चीनी, नमक और फैट की मात्रा के संबंध में एफएसएसएआई के सख्त नियम होते तो यह घटना नहीं होती.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “यही वजह है कि हम सभी प्रोसेस्ड फूड पर (चित्रात्मक) चेतावनी लेबल लगा रहे हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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