नई दिल्ली: शनिवार को पाकिस्तान में खानेवाल इलाके में भीड़ ने एक शख्स की पत्थरों से पीट-पीट कर हत्या कर दी. उस पर आरोप था कि उसने कुरान के कुछ पन्नों को जला दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित शख्स मानसिक रूप से बीमार और विकलांग था.
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस ने आरोपी को खुद को बचाने के लिए मियां चुन्नू थाने से बाहर जाने दिया जहां भीड़ उसका इंतजार कर रही थी. वहां से भीड़ पीड़ित को घसीट कर दूसरी जगह ले गई फिर उसे एक पेड़ से बांधकर उस पर ईंट-पत्थरों से हमला किया. इससे उसकी मौत हो गई.
प्रधानमंत्री इमरान खान ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान में मॉब लिंचिंग के लिए ‘जीरो सहिष्णुता’ है. उन्होंने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं.
We have zero tolerance for anyone taking the law into their own hands & mob lynchings will be dealt with full severity of the law. Have asked Punjab IG for report on action taken against perpetrators of the lynching in MIan Channu & against the police who failed in their duty.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) February 13, 2022
पुलिस ने इस मामले में अभी तक 102 लोगों को हिरासत में ले लिया है जिनमें से 21 मुख्य संदिग्ध माने जा रहे हैं.
पाकिस्तान में इस घटना को लेकर चौतरफा आलोचना हो रही है और वहां की मीडिया ने इसे कानून व्यवस्था की विफलता बताया है.
सोमवार को, पाकिस्तानी समाचार वेबसाइट द न्यूज इंटरनेशनल ने कहा: ‘सियालकोट घटना के 10 हफ्ते बाद: खानेवाल में 85 लोग एक शख्स की हत्या के लिए गिरफ्तार’
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी 12 फरवरी की रिपोर्ट में आरोप लगाया कि जब भीड़ पीड़ित को प्रताड़ित कर रही थी तो पुलिस ‘मूक दर्शक’ के रूप में खड़ी थी. रिपोर्ट में कहा गया, ‘शख्स को पास की जगह पर घसीटा गया, प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया, जबकि पुलिस कथित तौर पर मूक दर्शक बनकर खड़ी रही.’
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि ‘नागरिकों के जज, जूरी और जल्लाद बनने की यह पहली घटना नहीं है.’
13 फरवरी को पाकिस्तान टुडे ने अपने संपादकीय में लिंचिंग को कानून-व्यवस्था और न्याय व्यवस्था की विफलता बताया. संपादकीय में पुलिस और सरकार पर सवाल किया गया. इसने सरकार के बारे में आगे लिखा कि ‘जिस तरह से यह तहरीक लब्बैक पाकिस्तान और तहरीक तालिबान पाकिस्तान जैसी चरमपंथी ताकतों को सहला रही है, उससे स्टेट बहुत मददगार नहीं रहा है. इसने सिर्फ यह संकेत दिया है कि चीजों को करने का तरीका उन्हें खुद करना है.’
बोल न्यूज ने घटना को अफसोसजनक बताया. इस मुद्दे पर बात करते हुए इसके एडिटर-इन-चीफ नज़ीर लेगारी ने कहा कि खानेवाल और सियालकोट मामले में स्पेशल कोर्ट बैठनी चाहिए और आरोपियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए.
इसे लेकर लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर भी निकला. साथ ही विपक्षी पार्टी ने इस मामले को लेकर इमरान सरकार को घेरा.
विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने घटना की निंदा की और कहा कि समाज में उग्रवाद राष्ट्रीय मुद्दा होना चाहिए.
Mob lynching incident in Khanewal is bone chilling. Reversal of extremism in society should be a national cause that requires concerted efforts from all. The present situation can't be allowed to persist. A public dialogue can be the first step in the process of de-radicalisation
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) February 13, 2022
सत्तारूढ़ पार्टी पीटीआई की सूचना सचिव रिजवाना गजानफर ने ट्वीट किया कि अगर सियालकोट मामले की ठीक से जांच की जाती तो ऐसी घटना दोबारा नहीं होती.
Another man was killed in #Khanewal for #blasphemy Quran.This would not have happened if the Sialkot incident had been properly investigated The police are silent spectators there.Sometimes people do it for their own benefit.#Pakistani pic.twitter.com/nJAVCw0oMX
— Rizwana Ghazanfar Official (@RizwanaGhazanf1) February 13, 2022
एक यूजर ने लिखा कि धार्मिक कट्टरता ने आज एक शख्स की हत्या की है, कल हमें भी मारा जाएगा.
सरकारी प्रतिनिधियों ने भी इस घटना की निंदा की है. वहां की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने लिखा कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए.
The mob lynching of a man in MIan Channu is condemnable & cannot be allowed to go unpunished. Punjab govt must immed take action against the police that watched it happen & the perpetrators. Laws exist – the police must enforce these laws & not allow mobs to rule the day.
— Shireen Mazari (@ShireenMazari1) February 13, 2022
सूचना मंत्री, फवाद चौधरी ने ट्वीट किया कि ‘मैंने हमारी शिक्षा प्रणाली में विनाशकारी उग्रवाद के बारे में कई बार बात की है. सियालकोट और मियां चन्नू जैसी घटनाएं दशकों से शिक्षा प्रणाली को लागू करने का परिणाम हैं. यह मसला कानून को लागू करने का भी है और समाज में पदावनति का भी है. अगर इन तीनों की मरम्मत नहीं की गई तो तबाही के लिए तैयार रहना चाहिए.’
میں نے بارہا اپنے نظام تعلیم میں تباہ کن شدت پسندی کی طرف توجہ دلائ ہے،سیالکوٹ اور میاں چنوں جیسے واقعات عشروں سے نافذ تعلیمی نظام کا حاصل ہیں یہ مسئلہ قانون کے نفاذ کا بھی ہے اور سماج کی تنزلی کا بھی، سکول، تھانہ اور منبر اگر ان تین کی اصلاح نہ ہوئ تو بڑی تباہی کیلئے تیار رہیں
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) February 13, 2022
बता दें कि शनिवार को फैसलाबाद में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था लेकिन पुलिस उस शख्स को भीड़ से बचाने में कामयाब रही थी.
इससे पहले भी 3 दिसंबर 2021 को सियालकोट में एक श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा को ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था और उसके शव को जला दिया था. कुमारा ने कथित तौर पर कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कथित क़ुरान की आयतें लिखा हुआ एक पोस्टर फाड़कर उसे कूड़ेदान में फेंक दिया था.
इसी तरह पिछले साल नवंबर में खैबर पख्तूनख्वा के चारसद्दा जिले में जब पुलिस ने भीड़ को कुरान का अपमान करने के आरोपी को उसे सौंपने से इनकार कर दिया तो हमलावरों ने थाने को जला दिया था.
साल 2010 में भी इसी तरह की घटना सियालकोट में हुई थी जब दो भाइयों को डकैत समझकर पुलिस की मौजूदगी में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था.
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