नई दिल्ली: पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के द्वारा लिए गए फैसलों में से जिस पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह है सरकारी कर्मचारियों के लिए सप्ताह में दी जाने वाली दो छुट्टियों को खत्म करना. अब से पाकिस्तान के सभी सरकारी दफ्तर सप्ताह में छह दिन खुले रहेंगे. इतना ही नहीं, पीएम शहबाज शरीफ ने काम के घंटों को बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया है.
जहां कुछ पाकिस्तानी पीएम के इस फैसले को फास्ट-ट्रैक गवर्नेंस के लिए जरूरी माना तो वहीं कुछ ने चीटी घोटाले में आरोपी रहे शरीफ और उनके बेटे को लेकर कहा कि वे सप्ताह में छह दिन भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करना चाहते हैं.
ऐसा नहीं है कि पीएम शहबाज शरीफ ने कहने के लिए ये बाते कह दी हैं, वे स्वयं भी मंगलवार को सुबह 7 बजे ही दफ्तर पहुंच गए थे जिससे पूरा पीएम ऑफिस सकते में आ गया था. इंटरनेशनल न्यजू ने रिपोर्ट किया कि सरकारी अधिकारी पीएम के दफ्तर जल्दी पहुंचने की खबर सुनकर उन्होंने भी जल्दी मचा दी.
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट और महंगाई से जूझ रहा है. पीएम शहबाज शरीफ ने मीडिया से कहा, ‘चुनौतियों से जूझने के लिए पाकिस्तान में तेजी के साथ काम करना होगा.’
पूर्व संघीय वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल जैसे कुछ पीएमएलएन नेताओं ने इसे ‘शहबाज़ स्पीड’ कहकर इस कदम की प्रशंसा की.
पाकिस्तान पीछे जा रहा
सोशल मीडिया पर लोगों ने हफ्ते में छह दिन काम करने को लेकर कहा कि हेल्थी नहीं है और लोग गधे नहीं है.
बाकी लोगों ने कहा कि एक तरफ जहां दुनिया हफ्ते में चार दिन काम करने को लेकर आगे बढ़ रही है वहीं पाकिस्तान हफ्ते में छह दिन काम को लेकर पीछे जा रहा है.
इस कदम के बारे में समाचार पोर्टल द करेंट के फेसबुक पोस्ट का जवाब देते हुए, एक यूजर्स ने लिखा, ‘काम के घंटे बढ़ाने से उत्पादकता में सुधार कैसे होता है? क्या प्रगतिशील राष्ट्र मूर्ख हैं कि [वे] 4 दिन के कार्य सप्ताह की ओर बढ़ रहे हैं?’
हालांकि शहबाज शरीफ के समर्थकों ने उनके इस कदम का समर्थन किया. आदिल सर्फराज नाम के एक यूजर ने लिखा, पाकिस्तान को जितना हो सके उतनी मेहनत के साथ काम करने की जरूरत है. हालांकि इसके साथ सोशल मीडिया पर यह जोक भी चल रहा है कि अब 5 दिन की जगह हफ्ते में 6 दिन भ्रष्टाचार होगा.
पीएम शहबाज शरीफ को उनके समय की पाबंदी के लिए जाना जाता है और वो ऐसी ही उम्मीद अपने स्टाफ से भी करते हैं. उन्होंने लोगों को समय बर्बाद न करने की सलाह दी है. पाकिस्तान के अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में उन्हें वर्कॉहोलिक कहा है.
प्रधानमंत्री ने नागरिक और सैन्य पेंशन में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि की है और न्यूनतम वेतन 25,000 रुपये तक बढ़ाया है.
पहले भी हुए हैं बदलाव
शहबाज शरीफ ऐसे पहले प्रधानमंत्री नहीं है जिन्होंने साप्ताहिक छुट्टियों में बदलाव किए हैं. इससे पहले भी दो बार ऐसा किया जा चुका है. आजादी के बाद सप्ताह की छुट्टियों के मामले में पश्चिमी प्रणाली का पालन किया गया लेकिन फिर जनरल जिया-उल हक ने मुस्लिम मौलवियों को खुश करने और नागरिकों को शुक्रवार की नमाज के लिए जाने की अनुमति देने के लिए 1977 में शुक्रवार और शनिवार की छुट्टियां देने की शुरुआत की.
इसी के दो दशकों बाद 1997 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर से शनिवार और रविवार को छुट्टी देने वाली प्रणाली को अपनाया ताकि ताकि पाकिस्तान अधिक विदेशी व्यापार और व्यापार को आकर्षित कर सके.
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