नोएडा के जितेंद्र यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश के विवेक तिवारी की तरह ही पुलिस ने मुझे भी गोली मारी जिससे मेरे शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया.
नोएडा. एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की बीते शनिवार को गोली मार कर हत्या कर दी गई. नोएडा के जितेंद्र यादव का कहना है कि वे भी बिना किसी उकसावे के उत्तर प्रदेश पुलिस के गुस्से का शिकार हो चुके हैं.
26 वर्षीय यादव नोएडा के पारथला गांव के रहने वाले हैं. वे बॉडीबिल्डर थे. पिछली फरवरी में एक सब इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर उनकी गर्दन में गोली मार दी थी, जिससे उनका कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. बाद में यह ‘एनकाउंटर’ फर्जी पाया गया. यादव का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था.
चार फरवरी की रात जितेंद्र यादव अपनी बहन की शादी से वापस लौट रहे थे. जब वे रास्ते में थे, सब इंस्पेक्टर विजय दर्शन शर्मा ने कथित तौर पर ईनाम और प्रमोशन पाने के लिए उन्हें गोली मार दी.
इसके कुछ ही समय बाद शर्मा को गिरफ्तार किया गया था. जबकि उनका साथ देने वाले तीन अन्य पुलिसकर्मी जो सस्पेंड हुए थे, उन्हें बाद में बहाल कर दिया गया.
मंगलवार को ‘दिप्रिंट’ ने यादव से मुलाकात की. वे चारपाई पर लेटे थे. उन्होंने अपना दाहिना पैर उठाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे. फिर उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं, एक लंबी सांस भरी, ज्यादा जोर लगाने की कोशिश की, फिर भी कामयाब नहीं हुए.
यह उनके उस अतीत से अलग है जब वे बॉडीबिल्डिंग के लिए मिस्टर उत्तराखंड समेत कई अवॉर्ड जीते थे.
इस दुर्घटना के बाद उनका 20 किलो से ज्यादा वजन घट चुका है. तभी से वे बिस्तर पर हैं और उनके पास अपनी पत्नी और बच्चों की मदद के लिए आय का कोई साधन नहीं है. इसके अलावा हर महीने करीब 70,000 रुपये हर महीने उनके इलाज पर खर्च हो रहा है.
क्या हुआ था उस रात
यादव कहते हैं, ‘मुझे याद है कि जब मुझे गोली लगी, कैसे मेरा दिमाग सुन्न हो गया था. मेरी गर्दन से खून की धार बह रही थी और उसे रोकने के लिए मैंने अपना हाथ रख लिया था. लेकिन कुछ ही देर में मैं बेहोश हो गया.’
यादव ने बताया कि शादी के बाद वे अपने दोस्तों को छोड़ने गए. जब वे अपनी महिंद्रा स्कारपियो के बाहर खड़े थे, तभी मारुति सुजुकी (Vitara Brezza) से चार पुलिसकर्मी आए.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस वाले ने पूछा कि हम वहां रात को क्या कर रहे हैं. जब मैंने कहा कि मैं अपने दोस्तों को छोड़ने आया हूं. इस पर वे बोले कि योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद नया कानून आया है, जिसके मुताबिक आधी रात को चार आदमी एक साथ नहीं खड़े हो सकते. इसलिए हम लोग कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.’
यादव आगे कहते हैं, ‘पुलिसवाले ने शराब पी रखी थी. मैंने उससे कहा कि मैं उसके साथ थाने चल सकता हूं लेकिन मेरे दोस्तों को जाने दो.’
आरोप है कि पुलिस वाले ने यादव और उनके दो दोस्तों को स्कार्पियो कार में बैठने को कहा. वह पुलिस वाला खुद स्कार्पियो की ड्राइवर सीट पर बैठ गया. तीन अन्य पुलिसकर्मियों ने यादव और उनके दोस्त को पिछली सीट पर धकेल कर बैठा दिया.
यादव का आरोप है कि ‘मैंने उनसे कहा कि मुझे ऐसे किसी कानून की जानकारी नहीं है. हमें प्रताड़ित करने के बजाय थाने ले चलना चाहिए. उन्होंने पिस्टल निकाली और कहा कि ‘थाने भी ले चलूंगा, पहले एक दो का एनकाउंटर करके प्रमोशन तो ले हूं’.’
जब जितेंद्र यादव और उनके दोस्तों ने विरोध किया और कार से निकलने की कोशिश की तो ड्राइवर सीट पर बैठे सब इंस्पेक्टर शर्मा ने पिस्टल लोड की और बिना देखे ही पीछे की तरफ फायरिंग कर दी. यादव का कहना है, ‘यहां तक कि उसने पीछे देखा तक नहीं. गोली मेरी गर्दन में घुसी और फाड़ कर बाहर निकल गई.’ यादव के दोस्त उसे अस्पताल ले गए.
वे आरोप लगाते हैं, ‘मेरे दोस्तों ने पुलिसवालों से कहा कि यदि वे मेरा इलाज करवाने दें तो हम लोग इस मामले की रिपोर्ट नहीं दर्ज कराएंगे. बावजूद इसके, उन्होंने मुझे अस्पताल ले जाने देने में दो घंटे लगाए. मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि वह पुलिस वाला पहले गियर में गाड़ी चला रहा था और अस्पताल पहुंचने के पहले कई जगह रुका.’
‘वे चाहते थे कि खून बहने से मेरी मौत हो जाए ताकि वे बच जाएं, लेकिन मेरे दोस्तों की वजह से मैं बच गया. अगर मैं अकेला होता तो पुलिस वाले मेरी लाश को कहीं पर फेंक देते और किसी को पता न चलता. वे तीन और लोगों की मारने को जायज नहीं ठहरा सकते थे, इसलिए उनके पास कोई विकल्प नहीं था, सिवाय इसके कि वे मुझे अस्पताल ले जाएं.’
‘उसे हराना चाहिए था’
जब यह घटना घटी, जितेंद्र यादव राष्ट्रीय स्तर की बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रहे थे. लेकिन उनका सपना उस समय चूर चूर हो गया जब डॉक्टर ने उन्हें बताया कि अब वे चल नहीं पाएंगे.
वे कहते हैं, ‘वह बहुत कठिन समय था. गोली खाने की अपेक्षा इस बात ने मुझे ज्यादा प्रभावित किया. राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना मेरा सपना था और इसके लिए मैं बहुत मेहनत कर रहा था. लेकिन सब व्यर्थ गया.’
यादव उदास होकर बताते हैं, ‘आज मैं अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो सकता. मैं रात को सो नहीं पाता क्योंकि रात को मुझे बुरे सपने आते हैं कि पुलिस वाले मेरा पीछा कर रहे हैं. गोली की आवाज अब भी मेरे कानों में गूंजती है. मेरा जीवन अब वैसा कभी नहीं हो पाएगा.’
यादव इस बात पर अफसोस जताते हैं कि उन्होंने शर्मा को उस रात हराया नहीं. वे कहते हैं, ‘अगर मैंने कार के बाहर ही उसे हरा दिया होता तो आज मैं इस बिस्तर पर नहीं पड़ा होता. उसके कहने पर मुझे कार के अंदर नहीं बैठना चाहिए था. मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैंने कोई गलती नहीं की थी. मैंने भागने की कोशिश नहीं की, न ही मैंने लड़ाई की.’
वे कहते हैं, ‘कानून का पालन करने वाले नागरिक की तरह मैंने वह किया जो उसने मुझसे कहा, क्योंकि वह पुलिस की वर्दी में था. लेकिन हमें यह समझना चाहिए था कि वह पुलिस की वर्दी में एक बदमाश था.’
सरकार ने कोई मदद नहीं की
इस घटना के बाद कई जाने माने नेता जितेंद्र यादव के घर गए, उत्तर प्रदेश सरकार से मुआवजा और इलाज का खर्च दिलाने का वादा किया. लेकिन जैसे ही मामला मीडिया की चमक दमक से गायब हुआ, यादव यह लड़ाई लड़ने के लिए अकेले हो गए.
वे कहते हैं, ‘मुझे अपने इलाज के लिए कोई पैसा या मुआवजा नहीं मिला. आज मैं कमर से नीचे लकवाग्रस्त हूं. मैं चल नहीं सकता. यहां तक कि प्राकृतिक जरूरतों के लिए भी नहीं. या तो मेरी पत्नी या घरेलू सहायक को दिनरात मेरे आसपास रहना पड़ता है.’
अपनी मजबूरियां गिनाते हुए वे कहते हैं, ‘हर महीने हम 70,000 रुपये इलाज पर खर्च कर रहे हैं. हमारी सारी बचत के पैसे खत्म हो गए हैं. अब हम पर कर्ज हो गया है. अब मैं पूरी तरह अपने बड़े भाई पर निर्भर हूं.’
जितेंद्र की मां सुमन देवी आरोप लगाती हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने सिपाहियों को बढ़ावा देती है. वे पुरस्कार के लिए चारों तरफ निर्दोष लोगों को गोली मारते घूम रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘कोई पुलिस वाला बिना जरूरत के किसी पर गोली कैसे चला सकता है? वे लुटेरे हो गए हैं. मेरा बेटा अपने दोस्तों को छोड़ने गया था. उन्होंने उसे क्यों मारा? मतलब साफ है कि उन्हें खुली छूट है कि वे जैसे चाहें वैसे पिस्टल का इस्तेमाल करें.’
वे कहती हैं, ‘काश मैं वह समय वापस ला पाती, जब वह शादी की उस रात निकलने से पहले मेरे सामने काले सूट में खड़ा था. वह बहुत खूबसूरत लग रहा था. अब उसे ऐसे देखना बहुत दुख देता है. उस एक पुलिस वाले ने मेरे बेटे की खुशी, उसका कॅरियर सब छीन लिया.’
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