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Sunday, 22 December, 2024
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सरकारी डाटा बताते हैं कि IIT, NIT और विश्वविद्यालयों के STEM कोर्स में बढ़ रही है छात्राओं की संख्या

जूनियर शिक्षा मंत्री सुभाष सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में उन कई सरकारी योजनाओं और स्कॉलरशिप्स पर प्रकाश डाला, जिन्होंने उच्च और तकनीकी शिक्षा के लिए छात्राओं को आकर्षित किया हैं.

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नई दिल्ली: नए सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संस्थानों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) कोर्सेज में एडमिशन लेने में लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ी है.

शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि आईआईटी द्वारा सीटें बढ़ाने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में बी.टेक कार्यक्रमों में छात्राओं का नामांकन 2016 में आठ प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 20 प्रतिशत हो गया है.

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) में भी समान विकास के साथ, 2021 में यह आंकड़ा 23 प्रतिशत हो गया.

आईआईटी और एनआईटी जैसे तकनीकी क्षेत्रों में अधिक से अधिक लड़कियां शामिल हों इसके लिए 2017 में अतिरिक्त सीटें बनाई गईं थीं. मंत्रालय के सूत्रों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, आईआईटी में लड़कियों की संख्या 2017 में 995 से बढ़कर 2021 में 2,990 हो गई है.

केंद्रीय, राज्य और अन्य विश्वविद्यालयों में अब एसटीईएम में छात्राओं की संख्या बढ़ी हैं. 2019-20 अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) रिपोर्ट के अनुसार, एसटीईएम पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्राओं की संख्या 2016-17 में 41.97 लाख से बढ़कर 2020-21 में 43.87 लाख हो गई.

इसके पीछे के कारणों को सूचीबद्ध करते हुए, सरकार ने ऐसे कई सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला, जिनके कारण तकनीकी शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी को बढ़ावा दिया है.

सरकार ने कहा, ‘उच्च शिक्षा और रिसर्च में छात्राओं को बढ़ावा देने के लिए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) देश भर में छात्राओं के लिए एक विशेष स्कॉलरशिप योजना प्रदान करता है – मां बाप की एकलौती बेटी लिए पोस्ट ग्रेजुएट इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप’ है.

उन्होंने आगे कहा कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की उन लड़कियों को सालाना 10,000 ‘प्रगति’ स्कॉलरशिप देती है जो तकनीकी शिक्षा में आगे पढ़ना चाहती हैं.

सरकार ने आगे कहा, ‘परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग, फार्मेसी और आर्किटेक्चर कोर्स करने वाले छात्रों पर ही यह स्कॉलरशिप लागू होता है.

उन्होंने कहा एसटीईएम में लड़कियों का नामांकन बढ़ने से अधिक लड़कियां ‘जॉब के लिए तैयार’ होंगी और प्रोफेसरशिप में भी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी.

इस साल की शुरुआत में प्रकाशित विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भारत में कुल एसटीईएम ग्रेजुएट में 43 प्रतिशत महिलाएं हैं. यह आंकड़ा विकसित देशों की तुलना में काफी बेहतर हैं. रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में महिला एसटीईएम ग्रेजुएट्स का प्रतिशत 34 प्रतिशत है, यह कनाडा में 31 प्रतिशत और यूके में 38 प्रतिशत हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद/संपादन: अलमिना खातून)


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