नई दिल्ली: देश में स्कूली छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एक नया सिलेबस लागू हो सकता है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ)—जो स्कूली पाठ्यपुस्तकों को डिजाइन करने के संदर्भ में तैयार किया जाने वाला एक डॉक्यूमेंट होता है—अगले साल के शुरू में तैयार हो जाने की संभावना है.
एनसीएफ सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के हिस्से के तौर पर डेवलप किया जा रहा है. शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया है कि संशोधित करिकुलम का फोकस ‘भारतीयता के मूल’ पर केंद्रित है और इससे छात्रों में ‘गर्व की भावना’ बढ़ेगी.
एक उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘एनसीएफ डॉक्यूमेंट अगले साल की शुरुआत—बहुत संभव है फरवरी तक—में तैयार हो जाएगा और फिर इसके आधार पर देश भर के स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित किया जाएगा.’
सूत्र ने कहा, ‘सरकार की योजना शैक्षणिक सत्र 2023-24 की शुरुआत से पहले डॉक्यूमेंट को ‘सही तरह से जारी करने की है ताकि नए पाठ्यक्रम के मुताबिक किताबें छापी जा सकें.’
दिप्रिंट ने इस पर टिप्पणी के लिए ईमेल के जरिये शिक्षा मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता से संपर्क साधा. उनका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
एनसीएफ को सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के एक हिस्से के तौर पर तैयार किया जा रहा है, जो कि देश के शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधारों का प्रस्ताव करने वाली एक योजना है.
ये सारी जिम्मेदारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति संभाल रही है, जिनकी एनईपी को आकार देने में भी प्रमुख भूमिका थी. यह कवायद राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की देखरेख में चल रही है, जो स्कूल स्तर का पाठ्यक्रम तैयार करती है.
नया एनसीएफ डिजाइन करने का काम मौजूदा समय में 25 नेशनल फोकस ग्रुप के साथ विचार-विमर्श के आधार पर चल रहा है.
देश में अभी लागू एनसीएफ 2005 से अमल में आया था.
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बड़े बदलाव
करिकुलम में बदलाव की तैयारियों से अवगत अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले कुछ सालों में स्कूली सिलेबस में मामूली संशोधन हुए हैं, जिसमें महामारी के दौरान पाठ्यक्रम घटाना शामिल है, लेकिन इस बार होने वाले बदलाव काफी बड़े होंगे.
एनसीईआरटी की तरफ तैयार एक मैंडेट डॉक्यूमेंट के मुताबिक, नए करिकुलम में प्रस्तावित सारे बदलावों में छात्रों के बीच ‘देश के लिए गर्व की भावना बढ़ाने” के उद्देश्य से ‘भारतीयता के मूल’ पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य उन्हें लैंगिक समानता सिखाना और एक दयालु इंसान बनाना है.
एनसीएफ पर काम कर रही सरकारी समिति ने अन्य हितधारकों के साथ-साथ कम से कम 20 धार्मिक समूहों से मुलाकात की है.
समिति ने जिन धार्मिक समूहों से मुलाकात की है उनमें रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, अरबिंदो आश्रम, सरस्वती विद्या मंदिर, चेन्नई स्थित दो ईसाई मिशनरी संगठन और देशभर में पंजीकृत मदरसे चलाने वाला अलीम मदरसा शामिल है.
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