नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के कोचिंग संस्थानों के लिए उनके विज्ञापनों को रेगुलेट करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसका उद्देश्य “छात्रों और उनके अभिभावकों को भ्रामक या शोषणकारी प्रथाओं से बचाना” है.
CCPA ने एक समिति का नेतृत्व किया जिसमें शिक्षा मंत्रालय और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के प्रतिनिधि शामिल थे. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी YES ने भी विशेष आमंत्रित के तौर पर हिस्सा लिया.
बुधवार को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर, YES कोचिंग संस्थान प्रवेश प्रचार के लिए टॉपर की तस्वीरों और जानकारी का उपयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें सिलेक्शन के बाद उनकी सहमति लेनी होगी.
CCPA दिशा-निर्देशों में अनिवार्य किया गया है कि कोचिंग संस्थानों द्वारा किए गए सभी प्रचार दावे सच्चे और वेरिफाइड होने के योग्य होने चाहिए. इसमें सफलता की गारंटी, नौकरी मिलने या सफलता दर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के वादे शामिल हैं. छात्रों को आकर्षित करने के लिए झूठे दावे करने वाले संस्थानों को उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के तहत सख्त दंड का सामना करना पड़ेगा.
इन दिशा-निर्देशों का कोई भी उल्लंघन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन माना जाएगा. CCPA द्वारा साझा किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है, “केंद्रीय प्राधिकरण के पास अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की शक्ति है, जिसमें जुर्माना लगाना, जवाबदेही तय करना और इस तरह की भ्रामक प्रथाओं की आगे की घटनाओं को रोकना शामिल है.”
इसमें आगे कहा गया है, “दिशा-निर्देश कथित तौर पर कोचिंग केंद्रों को छात्रों की लिखित सहमति के बिना विज्ञापनों में उनके नाम, फोटो या प्रशंसापत्र का उपयोग करने से रोकेंगे — और सबसे ज़रूरी बात यह है कि यह सहमति छात्र की सफलता के बाद ही ली जा सकेगी. प्रावधान का उद्देश्य नामांकन के समय छात्रों पर पड़ने वाले दबाव को कम करना है, क्योंकि उन्हें अक्सर ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जाता है.”
पिछले साल, दिप्रिंट ने रिपोर्ट दी थी कि कैसे कई कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में एक ही टॉपर की तस्वीर लगा रहे थे. CCPA ने तब कई संस्थानों पर जुर्माना लगाया था.
अब, दिशा-निर्देश कोचिंग संस्थानों को निर्देश देते हैं कि वह अपने विज्ञापनों में किसी टॉपर के बारे में सभी जानकारी का खुलासा करें.
इसमें कहा गया है, “कोचिंग सेंटरों को विज्ञापन में छात्र की तस्वीर के साथ नाम, रैंक और कोर्स डिटेल्स जैसी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करना होगा. क्या कोर्स के लिए छात्र ने पैसै दिए हैं, यह भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए. इसके अलावा, किसी भी डिस्कलेमर को अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के समान फोन्ट आकार के साथ प्रमुखता से दिखाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उपभोक्ताओं को बारीक प्रिंट से गुमराह न किया जाए.”
नए दिशा-निर्देशों में कोचिंग सेंटरों को अपने विज्ञापनों में बढ़ा-चढ़ाकर या झूठे दावे करने से बचने को भी कहा गया है. इसमें नौकरी की गारंटी, नौकरी की पेशकश या अन्य आश्वासनों का कोई भी वादा शामिल है जिसे सत्यापित नहीं किया जा सकता है.
दिशा-निर्देशों में कहा गया है, “कोचिंग में लगे किसी भी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आम रणनीति को लक्षित किया जाएगा, यानी छात्रों पर तत्काल निर्णय लेने के लिए दबाव डालने के लिए सीमित सीटों या अधिक मांग जैसे तात्कालिकता या कमी की झूठी भावना पैदा करना.”
CCPA कोचिंग सेंटर को ऐसे किसी भी संस्थान के रूप में परिभाषित करता है जो छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल या सरकारी सेवाओं जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष निर्देश प्रदान करता है.
नए दिशा-निर्देश ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों कोचिंग सेंटरों पर लागू होंगे, जिन्हें अब पारंपरिक शैक्षणिक संस्थानों की तरह पारदर्शिता और निष्पक्षता के समान मानकों का पालन करना होगा.
CCPA ने कहा है कि नए दिशा-निर्देश शिक्षा क्षेत्र में अनुचित प्रथाओं, जैसे अचानक शुल्क वृद्धि, छिपे हुए शुल्क और झूठे विज्ञापन के बारे में व्यापक शिकायतों का सीधा जवाब हैं.
दिशा-निर्देशों में कहा गया है, “प्रत्येक कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ साझेदारी करनी होगी, जिससे छात्रों के लिए भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं के बारे में चिंता या शिकायत दर्ज करना आसान हो जाएगा.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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