नई दिल्ली: ज़ांज़ीबार में आईआईटी मद्रास और अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली—भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों के दो अंतरराष्ट्रीय परिसरों—में पहले बैच में अधिकांश छात्र भारतीय हैं. दोनों संस्थान पड़ोसी देशों में व्यापक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं और इस वर्ष अपने पाठ्यक्रमों में उल्लेखनीय विस्तार करने जा रहे हैं.
ज़ांज़ीबार, तंज़ानिया में स्थित आईआईटी मद्रास परिसर—जो विदेश में स्थापित होने वाला पहला आईआईटी है—पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है. वहीं, अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली परिसर भारत, यूएई और दक्षिण-पूर्व एशिया के पड़ोसी देशों में सक्रिय प्रचार अभियान चला रहा है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, आईआईटी मद्रास ज़ांज़ीबार परिसर की निदेशक-प्रभारी प्रीति अघलायम ने बताया कि पहले बैच में 100 छात्रों में से 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं.
उन्होंने कहा कि भारत में आईआईटी ब्रांड को व्यापक पहचान मिली है, लेकिन अफ्रीका में इसकी दृश्यता अभी बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि संस्थान इस अंतर को कम करने के लिए लक्षित आउटरीच कर रहा है—जिसमें पड़ोसी देशों की प्रत्यक्ष यात्राएं, प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन ट्यूटोरियल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सक्रिय उपयोग शामिल है.
अघलायम ने कहा, “मैं अक्सर कहती हूं कि अगर आप भारत में कहीं भी यह कहें कि आप आईआईटी या आईआईटी मद्रास से हैं, तो लोग तुरंत समझ जाते हैं. लेकिन अफ्रीका में हमारे बारे में जागरूकता इतनी ज्यादा नहीं है. इसी कारण हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं—चाहे वह युगांडा, ज़ाम्बिया, इथियोपिया और केन्या जैसे देशों की प्रत्यक्ष यात्राएं हों या नियमित वेबिनार और ऑनलाइन सत्र हों, जिनमें छात्र आवेदन प्रक्रिया के बारे में बात की जाती है. हमें जहां भी थोड़ा सा भी अवसर मिलता है, हम वहां पहुंच कर संपर्क स्थापित करते हैं.”
ज़ांज़ीबार परिसर का पहला बैच, जिसकी शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी, अब अपने चौथे सेमेस्टर में प्रवेश कर रहा है. अघलायम के अनुसार, संस्थान के दो कार्यक्रमों—डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में चार वर्षीय बैचलर ऑफ साइंस (बीएस) और दो वर्षीय मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (MTech)—में वर्तमान में लगभग 100 छात्र नामांकित हैं, जिनमें से आधे भारतीय हैं।.
उन्होंने कहा, “करीब 50 प्रतिशत छात्र भारत से हैं, कुछ भारतीय प्रवासी समुदाय से हैं, और बाकी अफ्रीकी छात्र हैं। अब तक हमारे पास ज़ांज़ीबार, मुख्य भूमि तंज़ानिया, केन्या और ज़ाम्बिया से छात्र हैं. हम आगामी शैक्षणिक वर्ष में और देशों से प्रतिनिधित्व की उम्मीद कर रहे हैं.”
अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली परिसर—जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की भारत सरकार की पहल का हिस्सा है—के पहले बैच में 77 छात्रों में से 50, यानी लगभग 65 प्रतिशत, भारत से हैं.
आईआईटी दिल्ली अबू धाबी के कार्यकारी निदेशक शांतनु रॉय ने दिप्रिंट को बताया, “53 बीटेक छात्रों में से 39 भारत से हैं; 17 एमटेक छात्रों में से छह भारतीय हैं; और सात पीएचडी छात्रों में से पांच भारतीय हैं. बाकी में कुछ अमीराती और अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्र शामिल हैं.”
रॉय ने कहा कि संस्थान भारत, यूएई और दक्षिण-पूर्व एशिया के पड़ोसी देशों में गहन प्रचार पहल शुरू कर चुका है. “हम यूएई में मौजूद बड़े अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी संपर्क कर रहे हैं और अफ्रीका में भी अतिरिक्त प्रचार गतिविधियों की योजना बनाई जा रही है.”
मूल कैंपस पहले की तरह चल रहे हैं
रॉय के अनुसार, अबू धाबी कैंपस के संचालन में भारत स्थित आईआईटी दिल्ली कैंपस पूरी तरह से शामिल है, जिसमें फैकल्टी की मौजूदगी भी शामिल है.
उन्होंने समझाया, “अभी तक अबू धाबी कैंपस में जितने भी फैकल्टी हैं, वे सभी दिल्ली कैंपस से आए हैं. सामान्य तौर पर हम ऑनलाइन क्लासेस से बचने की कोशिश करते हैं और केवल जरूरी होने पर ही इसका उपयोग करते हैं, जैसा कि हमारे सीनट के नियमों में है. ज़्यादातर क्लासेस इन-पर्सन होती हैं, जैसे कि लैब्स, ट्यूटोरियल्स और हेल्प सेशंस भी.”
अघलायम ने ज़ांज़ीबार कैंपस को भारत स्थित आईआईटी मद्रास कैंपस से मिली अमूल्य मदद पर ज़ोर दिया— न सिर्फ़ वर्चुअल मेंटरशिप के ज़रिए बल्कि वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर्स के ज़ांज़ीबार आकर पूरे सेमेस्टर पढ़ाने के ज़रिए भी.
उन्होंने कहा, “ये प्रतिष्ठित प्रोफेसर, जो भारत और विदेश की शीर्ष संस्थाओं से अनुभव रखते हैं, हमारे छात्रों के लिए बहुत सारी विशेषज्ञता लेकर आते हैं.”
इसके अलावा, ज़ांज़ीबार कैंपस ने हाल ही में एक केन्याई फैकल्टी सदस्य को नियुक्त किया है जो किस्वाहिली भाषा बोलते हैं, जिससे संस्थान का स्थानीय जुड़ाव और मज़बूत हुआ है. “इस सेमेस्टर में हमारे साथ आईआईटी बॉम्बे के फैकल्टी भी शामिल हो रहे हैं,” अघलायम ने आगे कहा.
नए कोर्सिस, नया कैंपस
दोनों अग्रणी कैंपस इस साल नए प्रोग्राम शुरू करने के लिए तैयार हैं. जहां आईआईटी दिल्ली का अबू धाबी कैंपस केमिकल इंजीनियरिंग में एक कोर्स शुरू करेगा, वहीं आईआईटी मद्रास का ज़ांज़ीबार कैंपस केमिकल और प्रोसेस इंजीनियरिंग में एक प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी कर रहा है.
“अफ्रीका, विशेषकर पूर्वी अफ्रीका में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता को देखते हुए, हमें लगता है कि ये प्रोग्राम्स महत्वपूर्ण मूल्य प्रदान कर सकते हैं,” अघलायम ने कहा.
उन्होंने कहा, “पिछले साल हमने डेटा साइंस और एआई कोर्सेज के अलावा महासागरीय संरचनाओं में मास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया था. हम कुछ विशेष मास्टर्स प्रोग्राम पर भी विचार कर रहे हैं—संभवत: सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और केमिकल इंजीनियरिंग में, हालांकि ये अभी योजना के चरण में हैं. अंडरग्रेजुएट स्तर पर, हम आने वाले हफ्तों में, या फिर महीनों में, केमिकल और प्रोसेस इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं.”
आईआईटी मद्रास का ज़ांज़ीबार कैंपस जल्द ही एक बड़े परिसर में स्थानांतरित होने वाला है. अघलायम ने बताया कि ज़ांज़ीबार सरकार ने संस्थान को 200 एकड़ ज़मीन आवंटित की है, और संस्थान स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर इसे एक स्थायी कैंपस में विकसित करने पर काम कर रहा है.
उन्होंने बताया, “अच्छी खबर यह है कि हम पहले ही अपनी मौजूदा जगह से बाहर बढ़ रहे हैं, और निकट भविष्य में हमारे पास आईआईटी मद्रास ज़ांज़ीबार के सभी योजनाओं को समाहित करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होगी. इसलिए हम चरणबद्ध तरीके से नए कैंपस की ओर शिफ्ट होना शुरू करेंगे, और भविष्य में पूरी तरह से वहां चले जाएंगे. हालांकि, हम इस वर्तमान परिसर को छात्रों की नवाचार गतिविधियों के लिए बनाए रखेंगे.”
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