नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा आयोजित करवाए जाने के एक दिन बाद ही बुधवार देर रात जून 2024 की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) को रद्द कर दिया. एक बयान में, मंत्रालय ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “हो सकता है कि परीक्षा में अपेक्षित ईमानदारी की कमी रह गई हो” और साथ ही यह भी घोषणा की कि नई परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी जिसके बारे में आगे की जानकारी अलग से साझा की जाएगी. आगे उन्होंने कहा कि मामले की गहन जांच के लिए इसे सीबीआई को सौंप दिया गया है.
कथित तौर पर 9 लाख छात्रों को प्रभावित करने वाली यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाती है, जो राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) को लेकर चल रहे विवाद के केंद्र में है.
परीक्षा रद्द होने के बाद, कई छात्रों ने एनटीए के प्रति अपनी निराशा और खीझ व्यक्त की, जो पहले से ही NEET UG 2024 में कथित कुप्रबंधन और अनियमितताओं को लेकर कानूनी लड़ाई का सामना कर रहा है. एजेंसी की प्रभावी ढंग से परीक्षा आयोजित करने की क्षमता गंभीर जांच के दायरे में आ गई है.
उम्मीदवारों का कहना है कि वे खराब प्रबंधन से जूझ रहे हैं, जिसमें एडमिट कार्ड देर से जारी होना और परीक्षा केंद्रों पर अपर्याप्त सुविधाएं और कथित पेपर लीक शामिल हैं.
मंत्रालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “शिक्षा मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से मिली जानकारी के आधार पर UGC-NET जून 2024 परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया है, जो प्रथम दृष्टया संकेत देता है कि परीक्षा में बरती जाने वाली शुचिता या ईमानदारी से समझौता किया गया है.” इसमें कहा गया, “सरकार परीक्षाओं की पवित्रता सुनिश्चित करने और छात्रों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
इस बीच, विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के परीक्षा रद्द करने के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक छात्र ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, “हमारे केंद्रों पर कुछ भी संदिग्ध नहीं हुआ और हमें अन्य छात्रों से भी ऐसी कोई बात सुनने को नहीं मिली.”
VIDEO | Here’s what UGC-NET aspirants from UP’s Prayagraj said on NTA cancelling the exam.
“We are shocked. Nothing like that had happened at the examination centre that hinted that the exam could get cancelled.” #UGCNET
(Full video available on PTI Videos -… pic.twitter.com/xw46OCELyi
— Press Trust of India (@PTI_News) June 19, 2024
इस बीच, परीक्षा में अपने प्रदर्शन से खुश छात्र ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर करने वाले संदीप चौबे ने दिप्रिंट से कहा, “परीक्षा के बाद मैंने अपने उत्तरों का मिलान किया और मुझे पूरा विश्वास था कि मैं इस बार परीक्षा पास कर लूंगा. मेरा जश्न मातम में बदल गया है. लेकिन मेरे पास दुखी होने का समय नहीं है. मुझे अपनी किताबें खोलनी होंगी और तुरंत पढ़ाई शुरू करनी होगी. यह मेरे भविष्य का सवाल है.”
महाराष्ट्र के वर्धा में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर पल्लवी आनंद ने भी यूजीसी नेट की परीक्षा देने के लिए महीनों तक तैयारी की थी. मंगलवार को परीक्षा देने के बाद 27 वर्षीय पल्लवी ने सोचा कि वह आखिरकार अपनी थकाऊ पढ़ाई से छुट्टी ले सकती है. लेकिन परीक्षा रद्द होने की खबर ने उन्हें फिर से किताबें खोलने पर मजबूर कर दिया है.
आनंद ने कहा, “एनटीए ने इस बार पूरी तरह से निराश किया है. पहले तो वे परीक्षा की तारीखें और एलॉटमेंट बदलते रहे. इस बार परीक्षा ऑफलाइन मोड में हो रही थी. लेकिन जब यह ऑनलाइन आयोजित की गई, तो भी कुछ समस्याएं थीं.”
उन्होंने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “लोग ऑनलाइन मोड में भी बहुत धोखाधड़ी करते थे. मुझे दो लाख रुपये में प्रश्नपत्र देने की पेशकश की गई थी. मैंने मना कर दिया. मुझे नहीं पता था कि यह इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि परीक्षा रद्द कर दी जाएगी. सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए,”
यूजीसी नेट या एनटीए यूजीसी नेट एक राष्ट्रीय परीक्षा है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और सहायक प्रोफेसर पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए बनाई गई है. यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है. जून 2018 तक, यूजीसी नेट को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा संचालित किया जाता था. लेकिन दिसंबर 2018 से यह जिम्मेदारी एनटीए को दे दी गई.
एनएसयूआई के अध्यक्ष वरुण चौधरी ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, “देश की सबसे बड़ी शोध प्रवेश परीक्षा नेट का पेपर लीक हो गया. आप देख सकते हैं कि कैसे 9.5 लाख छात्रों को धोखा दिया गया. मैंने कई बार कहा है कि एनटीए पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए. मैं फिर से मांग करता हूं कि धर्मेंद्र प्रधान अपनी आंखें खोलें और एनटीए पर प्रतिबंध लगाएं.”
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‘परीक्षा केंद्रों पर खराब सुविधाएं, सुरक्षा की कमी’
कई छात्रों ने ऐसी परीक्षा आयोजित करने में एनटीए के प्रबंधन पर चिंता जताई है. केंद्रों पर खराब सुविधाएं, उनके निजी सामान की सुरक्षा की कमी और अब दोबारा परीक्षा देने की संभावना ने कई छात्रों के लिए अतिरिक्त मानसिक तनाव पैदा कर दिया है.
मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री रखने वाले विवेक मिश्रा ने दिप्रिंट से कहा, “परीक्षा करवाने की जिम्मेदारी को एनटीए से ले लेना चाहिए, इससे युवाओं और देश को नुकसान हो रहा है. मेरा केंद्र नोएडा में था, और वहां लगभग सभी छात्रों का सामान चोरी हो गया, मेट्रो कार्ड से लेकर फोन और बैग तक. कोई भी जवाबदेही नहीं लेता. आप इस पर पैसा खर्च करते हैं, और इसके अलावा, यह आपकी मानसिक ऊर्जा को खत्म कर देता है. इस देश में युवाओं की स्थिति बहुत दुखद है.”
यह परीक्षा 317 शहरों में 1205 परीक्षा केंद्रों पर 11,21,225 उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी. कुल पंजीकृत उम्मीदवारों में से लगभग 81 प्रतिशत परीक्षा में शामिल हुए.
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय ने पीटीआई से कहा, “हम जानते हैं कि इसके पीछे एनटीए ही दोषी है. नीट से लेकर नेट तक, एनटीए परीक्षा आयोजित करने में असमर्थ है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.”
‘सरकार को जवाब देना चाहिए’
इस बीच विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘नीट परीक्षा पर चर्चा’ करने को कहा.
खड़गे ने हिंदी में लिखा, ‘यह मोदी सरकार के अहंकार की हार है, जिसने हमारे युवाओं के भविष्य को कुचलने का कुत्सित प्रयास किया है.’
.@narendramodi जी,
आप “परीक्षा पर चर्चा” तो बहुत करते हैं, “NEET परीक्षा पर चर्चा” कब करेंगे?
UGC-NET परीक्षा को रद्द करना लाखों छात्र-छात्राओं के जज़्बे की जीत है।
ये मोदी सरकार के अहंकार की हार है जिसके चलते उन्होंने हमारे युवाओं के भविष्य को रौंदने का कुत्सित प्रयास…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 19, 2024
राजस्थान कांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, “एनटीए आज विवादों में घिरा हुआ है. ग्यारह लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे और अब इसे रद्द कर दिया गया है. लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. सरकार को जवाब देना होगा.”
शिक्षाविद भी चिंतित हैं. उनके अनुसार, परीक्षा न केवल छात्रों बल्कि उनके परिवारों को भी प्रभावित करती है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में एड हॉक असिस्टेंट प्रोफेसर अनिता ने कहा, “छात्र तैयारी करते हैं इस गर्मी में अपने परिवार के साथ परीक्षा देने जाते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए था. इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.”
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