गुरुग्राम: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में गेस्ट टीचर्स, जो वर्षों से अपनी सेवाओं को रेगुलर करने की मांग कर रहे हैं, सात सितंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विधानसभा क्षेत्र करनाल में एक विरोध मार्च आयोजित करेंगे.
योजनाओं की पुष्टि करते हुए, गेस्ट टीचर्स के संगठन राजकीय अतिथि अध्यापक मंच (आरएएएम) के प्रवक्ता अजय लोहान ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उनके वेतन में वृद्धि हुई है, लेकिन रेगुलर टीचर्स को मिलने वाले वेतन की तुलना में अभी भी भारी असमानता है.
इतने साल में गेस्ट टीचर्स ने दर्जनों आंदोलन किए हैं, जिनमें सात सितंबर 2008 का वो आंदोलन भी शामिल है, जब उनमें से एक राज रानी की तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के आवास की ओर मार्च कर रहे 5,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोलीबारी के दौरान मृत्यु हो गई थी.
गेस्ट टीचर्स को नियुक्त करने की प्रक्रिया कैसे शुरू हुई, यह बताते हुए हरियाणा शिक्षा विभाग के रिटायर्ड जिला अधिकारी यज्ञ दत्त वर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “जब अक्टूबर 2005 में हुडा सरकार सत्ता में आई, तो स्कूलों में टीचर्स की कमी थी. चूंकि, नई भर्तियां लंबी प्रक्रिया है, इसलिए सरकार ने गेस्ट टीचर्स के रूप में एक स्टॉप-गैप व्यवस्था की है. रेगुलर टीचर्स के शामिल होने तक उन्हें नौकरी पर रखने का विचार था. हालांकि, राजनीतिक कारणों से उन्हें कभी नहीं हटाया गया, भले ही रेगुलर टीचर्स आते रहे.”
आरएएएम के प्रवक्ता लोहान के अनुसार, राज्य सरकार ने 2005 में गेस्ट टीचर्स की भर्ती शुरू की और यह अगले दो साल तक जारी रही. इन 13,000 टीचर्स में से कुछ ने पहले ही 18 साल की सेवा पूरी कर ली है, जबकि सरकार ने नियमित रूप से विभिन्न श्रेणियों के लिए रेगुलर टीचर्स की भर्ती की है.
राज्य सरकार हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा अधिनियम, 2019 लेकर आई थी, जो 58 वर्ष की आयु तक उनकी सेवा जारी रखना और मूल्य सूचकांक के आधार पर साल में दो बार उनके वेतन में संशोधन सुनिश्चित करता है.
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, आरएएएम के अध्यक्ष राजेंद्र शास्त्री ने कहा कि गेस्ट टीचर्स की सेवाओं को नियमित करना 2014 के विधानसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी घोषणापत्र का एक हिस्सा था. हालांकि, वादा कभी पूरा नहीं किया गया.
इस बीच सीएम खट्टर के विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) जवाहर यादव ने दिप्रिंट को बताया, “सरकार ने न केवल उनकी सेवाएं जारी रखीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक अधिनियम भी लाया कि वे 58 वर्ष की आयु तक काम कर सकें. जेबीटी (जूनियर बेसिक शिक्षक) , टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक), और पीजीटी (स्नातकोत्तर शिक्षक) को अब क्रमशः 32,500 रुपये, 37,500 रुपये और 45,000 रुपये मिल रहे हैं.”
हालांकि, रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी वर्मा, जिनका पहले हवाला दिया गया था, ने कहा कि गेस्ट शिक्षकों को “रेगुलर टीचर्स के बराबर नहीं माना जा सकता”, क्योंकि गेस्ट टीचर्स के लिए एकमात्र मानदंड उम्मीदवारों का स्कूल के उसी गांव से होना था. अगर ऐसा कोई उम्मीदवार उपलब्ध नहीं था, तो उसी ब्लॉक, उसी उपखंड और अंत में उसी जिले से किसी को नियुक्त करने के लिए जाल फैलाया गया.
उन्होंने कहा, “इसका मतलब यह था कि अगर कोई उम्मीदवार उसी गांव से है, लेकिन उसके पास तृतीय श्रेणी की डिग्री है, तो उसे बेहतर अंक वाले किसी अन्य गांव के व्यक्ति की तुलना में प्राथमिकता मिलेगी. इस प्रकार, भर्ती ग्राम-स्तरीय योग्यता पर आधारित थी. आवेदन आमंत्रित करने के लिए कोई विज्ञापन नहीं दिया गया. किसी भी आरक्षण मानदंड का पालन नहीं किया गया.”
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शिक्षकों की मांगें क्या हैं
गेस्ट टीचर्स की नियमितीकरण की मांग में पेंशन, एलटीसी (अवकाश यात्रा रियायत), मेडिकल बीमा, भविष्य निधि (पीएफ) आदि में समानता शामिल है.
आरएएएम के प्रवक्ता लोहान ने कहा, “हम अपनी नौकरियों का नियमितीकरण चाहते हैं क्योंकि रेगुलर टीचर्स और गेस्ट टीचर्स के वेतन में भारी असमानता है. उदाहरण के लिए, एक गेस्ट टीजीटी को 18 साल की सेवा के बाद भी 37,500 रुपये प्रति माह मिलते हैं.”
वहीं, “इसके विपरीत,” उन्होंने आगे कहा, “एक नए भर्ती हुए टीजीटी को 44,900 रुपये का मूल वेतन मिलता है. 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता और मकान किराया भत्ता और कुछ अन्य लाभों के साथ, एक रेगुलर टीजीटी को प्रति माह लगभग 70,000 रुपये मिलते हैं. 18 साल के अनुभव वाले टीजीटी को 1 लाख रुपये से ऊपर मिल रहे हैं.”
लोहान ने आगे कहा कि शुरुआत में गेस्ट टीचर्स को काम के बोझ के आधार पर भुगतान किया जा रहा था. प्राइमरी टीचर्स, जेबीटी को 1 जनवरी 2008 तक 225 रुपये दैनिक वेतन निर्धारित था, जिसे बढ़ाकर 295 रुपये कर दिया गया.
उन्होंने कहा, “2008 में जब हमने पुलिस गोलीबारी में अपने सहयोगी की मौत के बाद एक निश्चित वेतन के लिए आंदोलन किया, तो तत्कालीन सरकार नरम पड़ गई. एक अप्रैल 2009 से सरकार ने जेबीटी और ड्राइंग सब्जेक्ट के टीचर्स को 10,000 रुपये, टीजीटी के लिए 11,000 रुपये और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स) को 13,500 रुपये का मासिक वेतन देना शुरू किया.”
प्रदेश में गेस्ट टीचर्स पर कार्यमुक्त होने की नौबत तक आ गई है. 30 मार्च 2011 को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण उम्मीदवारों की एक याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को गेस्ट टीचर्स को कार्यमुक्त करके नियमित शिक्षकों की रिक्तियों को 31 मार्च 2012 तक भरने का निर्देश दिया.
सरकार ने छह महीने की मोहलत मांगी, लेकिन अगले साल 16 मार्च को हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने 2016 में लगभग 3,000 गेस्ट टीचर्स को कार्यमुक्त कर दिया और उन्हें बहाल कर दिया.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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