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Thursday, 21 November, 2024
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एडटेक प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने की नीति पर काम कर रही है मोदी सरकार: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

शिक्षा मंत्रालय इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय और कानून विभाग के साथ बातचीत कर रहा है. धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि व्यवसाय करने के लिए सभी फर्मों का स्वागत है लेकिन वे छात्रों का शोषण नहीं कर सकते.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार एडटेक प्लेटफॉर्म (ऑनलाइन पढ़ाई वाले मंच), जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर अकादमिक क्षेत्र में प्रवेश किया है, को विनियमित करने के लिए एक नीति पर काम कर रही है.

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की. इसी कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय भाषा में तकनीकी शिक्षा की किताबें और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम के कूपन भी जारी किए गए.

इस अवसर पर प्रधान ने इस से संबंधित नीतिगत मुद्दों के बारे में भी बात की और उनमें से एक एडटेक या शिक्षा प्रौद्योगिकी भी है, जो कोविड-19 के बाद से शिक्षण के हाइब्रिड मोड के दौरान काफी हद तक हावी हो गई है.

प्रधान ने कहा, ‘हमने पाया है कि कुछ एडटेक कंपनियां ऋण आधारित पाठ्यक्रमों के नाम पर छात्रों का शोषण कर रही हैं. सभी कंपनियों का भारत में व्यापार करने के लिए स्वागत है लेकिन वे छात्रों का शोषण नहीं कर सकती.’

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, ‘मैंने सभी विभागों से इस संबंध में एक सख्त परामर्श सूची (एडवाइजरी) जारी करने को कहा है. हम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ कानून विभाग से भी बात कर रहे हैं कि हम भारत में एडटेक प्लेटफॉर्म पर एक समान नीति कैसे बना सकते हैं.’

सार्वजनिक नीतियों और सरकारी वित्त पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक थिंक टैंक, सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटेबिलिटी (सीबीजीए) द्वारा सितंबर 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2021 तक, भारत में 4,530 विभिन्न एडटेक स्टार्ट-अप काम कर रहे थे, जिनमें से 453 पिछले दो वर्षों में ही सामने आए हैं.

अभी तक, सरकार द्वारा इन एडटेक प्लेटफार्मों का कोई नियमन नहीं किया गया है.


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मुफ्त सेवाओं के लालच में न आएं: पिछले महीने की एडवाइजरी

शिक्षा मंत्रालय ने 23 दिसंबर को छात्रों के अभिभावकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि वे विभिन्न एडटेक प्लेटफॉर्म द्वारा पेश की जाने वाली ‘मुफ्त सेवाओं’ के लालच में न आएं और खुद से शोध और छानबीन करने के बाद ही इसमें से किसी को चुनें.

इस एडवाइजरी में कहा गया है, ‘शिक्षा में प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रभाव को देखते हुए, कई एडटेक कंपनियों ने ऑनलाइन मोड में पाठ्यक्रम, ट्यूटोरियल, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग आदि की पेशकश करनी शुरू कर दी है… अभिभावकों, छात्रों और स्कूली शिक्षा में शामिल सभी हितधारकों को कई सारे एडटेक कंपनियों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन सामग्री और कोचिंग सुविधा का चयन करते समय सावधान रहना होगा.’

उसी समय सरकार ने यह भी कहा था कि उसे कई एडटेक प्लेटफॉर्म द्वारा अभिभावकों का शोषण किए जाने की भी जानकारी मिली है.

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने सोमवार को फिर से यह बात दोहराई. उन्होंने कहा, ‘भारत में किसी का भी एकाधिकार नहीं हो सकता… भारत सरकार का एक कल्याणकारी मॉडल है और हम धन के सृजन में भी विश्वास करते हैं… आप भारत में आकर अपना व्यापार कर सकते हैं, मगर आप छात्रों का शोषण नहीं कर सकते.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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