नई दिल्ली: लाल किले के पास हुए धमाके की घटना के दो दिन बाद, नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी को उसकी वेबसाइट पर झूठी मान्यता दिखाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया. काउंसिल ने इस दावे को “गुमराह करने वाला” और अपने नियमों के खिलाफ बताया.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच चल रही है क्योंकि इसके मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के तीन स्टाफ सदस्य — उमर उन नबी, मुजम्मिल शकील और शाहीन सईद दिल्ली में सोमवार शाम हुए कार धमाके से जुड़े पाए गए थे, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हुई.
दिप्रिंट ने बुधवार को रिपोर्ट की थी कि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर लिखा है कि उसके दो स्कूल — अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को NAAC की मान्यता प्राप्त है, लेकिन काउंसिल के अधिकारियों ने कहा कि यह मान्यता अब मान्य नहीं है क्योंकि यह केवल पांच साल के लिए होती है. खुद यूनिवर्सिटी को कभी मान्यता नहीं मिली थी.
NAAC शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है, जो उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता और मानकों को सुनिश्चित करने के लिए उनका मूल्यांकन और मान्यता देती है.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, भारत के उच्च शिक्षा नियामक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बुधवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से “हाल की घटना” को लेकर रिपोर्ट मांगी है.
एक अधिकारी ने कहा, “यूजीसी ने यूनिवर्सिटी से पूछा है कि उसने हाल की घटना के बाद क्या कदम उठाए हैं. आयोग ने इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है.”
बुधवार शाम को जारी कारण बताओ नोटिस में, NAAC निदेशक गणेशन कन्नबीरण ने कहा कि ध्यान में आया है कि अल-फलाह का स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी मार्च 2013 से मार्च 2018 तक NAAC साइकिल का हिस्सा था और टीचर एजुकेशन डिपार्टमेंट को 2011 से 2016 की साइकिल के लिए मान्यता मिली थी. दोनों को ए ग्रेड दिया गया था, लेकिन अब उनकी मान्यता समाप्त हो चुकी है.
नोटिस में लिखा है, “उपरोक्त दोनों कॉलेजों की मान्यता समाप्त हो चुकी है. दोनों में से किसी ने भी अब तक NAAC की साइकिल-2 असेसमेंट और एक्रेडिटेशन (A&A) प्रक्रिया के लिए आवेदन नहीं किया है.” दिप्रिंट ने इस नोटिस को देखा है.
इसमें चिंता जताई गई है कि जबकि यूनिवर्सिटी को कभी मान्यता नहीं मिली और उसने इसके लिए आवेदन भी नहीं किया, फिर भी उसने अपनी वेबसाइट पर झूठा दावा किया है कि उसके दो कॉलेजों को NAAC की मान्यता प्राप्त है.
नोटिस में कहा गया है, “…जो बिल्कुल गलत है और जनता को, खासकर अभिभावकों, छात्रों और हितधारकों को गुमराह कर रहा है. ऊपर बताए गए तथ्यों के आधार पर, NAAC की कार्यकारी समिति (ईसी) ने कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला लिया है.”
नोटिस में यूनिवर्सिटी से पूछा गया है कि क्यों उस पर उपयुक्त कार्रवाई, जिसमें कानूनी कार्रवाई भी शामिल है, नहीं की जानी चाहिए. इसमें कहा गया है, “यूनिवर्सिटी को भविष्य में NAAC की मूल्यांकन और मान्यता प्रक्रिया से अयोग्य क्यों न घोषित किया जाए?”
नोटिस में आगे कहा गया है कि यूनिवर्सिटी यह भी बताए कि क्यों NAAC, यूजीसी को यह सिफारिश न करे कि वह यूजीसी अधिनियम की धारा 2(एफ) और 12बी के तहत यूनिवर्सिटी की मान्यता वापस ले ले, और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को यह सिफारिश न करे कि वह उसके मेडिकल स्कूल की मान्यता रद्द करे.
जहां यह प्राइवेट यूनिवर्सिटी यूजीसी से मान्यता प्राप्त है, वहीं इसका मेडिकल स्कूल एनएमसी के अधिकार क्षेत्र में आता है.
नोटिस में कहा गया है, “इस बीच, आपको अपनी वेबसाइट और किसी भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध या वितरित दस्तावेज़ों से NAAC मान्यता से संबंधित सभी जानकारी हटानी होगी और यह सुनिश्चित करने के बाद NAAC को रिपोर्ट भेजनी होगी कि निर्देशों का पालन किया गया है.”
यूनिवर्सिटी से सात दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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