नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा को मार्च में मंत्रालय द्वारा भेजे गए ‘कारण बताओ नोटिस’ के जवाब की जांच कर रहा है. साथ ही, दिप्रिंट को पता चला है कि मंत्रालय से कथित रूप से अपनी शैक्षणिक योग्यता छिपाने के लिए उनके खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई का विकल्प भी तलाशा जा रहा है.
मार्च में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में मंत्रालय द्वारा खुद से की गयी स्वीकृति के अनुसार शर्मा को निदेशक के पद को धारण करने के योग्य नहीं पाया गया था. सरकार के अनुसार, शर्मा ने अपनी स्नातक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास (उत्तीर्ण) की थी, जबकि प्रथम श्रेणी का परिणाम आईआईएम निदेशक पद के लिए एक मानदंड है.
अपनी तथाकथित अपर्याप्त शैक्षणिक योग्यता के बावजूद, शर्मा ने सरकार से कथित तौर पर अपने शैक्षणिक दस्तावेजों को छुपाकर, इस साल फरवरी में इस पद पर पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में कामयाबी हासिल की. आईआईएम-रोहतक के निदेशक को मार्च में इस पद पर फिर से नियुक्त भी कर दिया गया.
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता और दिल्ली के एक वकील द्वारा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में उनके चयन के खिलाफ दायर एक याचिका ने आखिरकार उनकी नियुक्ति को संदेह के घेरे में ला दिया. निदेशक के रूप में उनकी पुन: नियुक्ति के तुरंत बाद, सरकार ने उन्हें 28 मार्च को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजा, जिसमें उनसे पूछा गया कि ‘उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए?’ और यह भी कि ‘उन्होंने सरकार से अपनी शैक्षणिक योग्यता को क्यों छिपाया’.
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि आईआईएम-रोहतक निदेशक ने अपने बचाव में एक विस्तृत जवाब दायर किया है, और मंत्रालय फ़िलहाल भावी कार्रवाई की दशा-दिशा तय करने के लिए इस जवाब की पड़ताल कर रहा है और साथ ही इस मामले में कानूनी सलाह भी ले रहा है.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें शर्मा के पिछले कार्यकाल में बहुत अधिक वित्तीय धोखाधड़ी का संदेह है, जब उन्होंने इस पद के लिए योग्य नहीं होने के बावजूद निदेशक के रूप में कार्य करना जारी रखा. इसलिए हमने उन्हें वजाप्ते ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजकर पूछा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए. नोटिस पर उनका जवाब आखिरकार इस हफ्ते की शुरुआत में हमारे पास आया. अब हम उनके इस जवाब, जो काफी लंबा है, की जांच पड़ताल कर रहे हैं, और कानूनी सलाह ले रहे हैं (उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं).’
दिप्रिंट ने फोन कॉल और मोबाइल संदेशों के माध्यम से शर्मा और उनके वकील विवेक सिंगला के साथ संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के समय तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. उनकी तरफ से प्रतिक्रिया मिलने के बाद आलेख को अपडेट कर दिया जाएगा.
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दूसरे कार्यकाल पर है कड़ी नजर
इस साल 22 अप्रैल को दिए गए एक आदेश में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शर्मा को एक सप्ताह के भीतर मंत्रालय के नोटिस पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था और मंत्रालय को जुलाई में होने वाली अदालत की अगली सुनवाई तक निदेशक धीरज शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए भी कहा था.
अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘सुनवाई की अगली तारीख तक पक्षकारों को कार्रवाई के कारण को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है. इसलिए, यहां यह निर्देश देना उचित होगा कि याचिकाकर्ता आज से एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल कर कारण बताओ नोटिस का जवाब देंगे. हालांकि, सुनवाई की अगली तारीख तक, ‘कारण बताओ नोटिस’ की वजह से उत्पन्न होने वाली कोई भी आगे की कार्रवाई स्थगित रहेगी.’
मंत्रालय अब शर्मा के जवाब की जांच पड़ताल कर रहा है.
सूत्रों ने यह भी बताया कि मंत्रालय निदेशक के रूप में शर्मा के दूसरे कार्यकाल पर कड़ी नजर रख रहा है, जिसमें उनके बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के कामकाज पर नज़र रखा जाना भी शामिल है. अदालत में यह स्वीकार करने के बाद कि शर्मा की नियुक्ति आईआईएम निदेशक के लिए आवश्यक योग्यता के मापदंड को पूरा नहीं करती है, मंत्रालय ने निदेशक के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल पर आपत्ति जताई थी. लेकिन, बीओजी ने इन आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया और उन्हें दूसरा कार्यकाल दे दिया गया. मंत्रालय अब बीओजी पर कड़ी नजर रखे हुए है.
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