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Thursday, 25 April, 2024
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अब गणित और संगीत की डिग्री एक साथ, UGC के दो डिग्री प्रोग्राम पर दो गुटों में क्यों बंटे प्रोफेसर?

यूजीसी ने बुधवार को अपनी प्रस्तावित एक साथ दो-डिग्री प्रोग्राम संबंधी आधिकारिक गाइडलाइन जारी कर दी हैं. ये नई शिक्षा नीति छात्रों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक समय में एक साथ दो-डिग्री हासिल करने की अनुमति देती है.

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नई दिल्ली: उच्च शिक्षा के लिए देश के सबसे बड़े संस्थान ने हाल ही में एक साथ दो डिग्री पूरी करने से जुड़ी गाइडलाइन जारी की हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अपने दो-डिग्री कार्यक्रम के जरिए छात्रों के बीच ‘अकादमिक और गैर- अकादमिक’ दोनों क्षेत्रों में समग्र विकास को बढ़ावा देना चाहता है.

यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने मंगलवार को इसकी घोषणा की थी और उसके एक दिन बाद यूजीसी ने बुधवार को देश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अपने प्रस्तावित दो-डिग्री प्रोग्राम पर आधिकारिक दिशा निर्देश भेज दिए. कुमार ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों के लिए दिशानिर्देशों को अपनाना अनिवार्य नहीं है.

इस नई नीति के जरिए छात्र दो स्नातक डिग्री, दो स्नातकोत्तर डिग्री या दो डिप्लोमा कोर्स एक साथ कर सकता है.

कुमार ने मंगलवार को कहा कि एक साथ दो डिग्री या तो फिजिकल क्लासरूम मोड में, एक ऑनलाइन और एक ऑफलाइन या दोनों ऑनलाइन मोड में पूरी की जा सकती हैं.

यूजीसी का कहना है कि दो डिग्री कार्यक्रम का मकसद छात्रों के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करना और उन्हें हर तरह से सक्षम बनाना है. लेकिन कुछ शिक्षाविद इसे लेकर चिंतित हैं. उनके अनुसार इससे छात्रों पर पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है और यहां तक कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी गिरावट आ सकती है. इसके उलट कुछ प्रोफेसर इस नीति को समर्थन करते दिख रहे हैं. उनकी नजर में इस नीति के लागू हो जाने के बाद संगीत जैसे उन पाठ्यक्रमों को बढ़ावा मिल सकता है जिनकी तरफ आमतौर पर छात्रों का झुकाव कम होता है.

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क्या है यूजीसी का दो -डिग्री प्रोग्राम?

यूजीसी ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा कि छात्र मौजूदा शिक्षा प्रणाली में एक समय में एक ही डिग्री ले सकते थे। लेकिन अब छात्र एक समय में एक साथ दो डिग्री कोर्स कर सकते हैं.

दिप्रिंट को मिले यूजीसी के दो -डिग्री प्रोग्राम के नीति दस्तावेजों में कहा गया है कि इस विचार के पीछे व्यक्ति को ‘अपनी पसंद के एक से ज्यादा विषयों में एक साथ गहन स्तर पर अध्ययन करने में सक्षम बनाना है. इसके साथ उसके चरित्र, नैतिक और संवैधानिक मूल्यों, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा की भावना आदि का विकास करना है.’

नीति दस्तावेज़ में कहा गया है कि कार्यक्रम का मकसद छात्रों को साइंस, सोशल साइंस, आर्ट्स, ह्युमिनिटी और भाषा के साथ प्रोफेशनल टेक्निकल और व्यावसायिक कोर्स की पेशकश करना है, ताकि उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास किया जा सके, उन्हें ज्यादा विचारशील और रचनात्मक बनाया जा सके. छात्रों को न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना बल्कि अपने कार्यक्षेत्र और जिंदगी में बेहतर तरीके से प्रदर्शन करने में सक्षम बनाना है.

एम. जगदीश कुमार कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘नई नीति स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों पर लागू होगी और अगले शैक्षणिक वर्ष तक इसे शुरु कर दिया जाएगा.’

कुमार ने कहा कि कॉलेजों और संस्थानों को नीति को लागू करने की छूट दी गई है कि वे दो डिग्री योजना को पेश करना चाहते हैं या नहीं. इसके अलावा एडमिशन के लिए पात्रता मानदंड भी संबंधित विश्वविद्यालय ही तय करेगा. वे शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने पर भी निर्णय ले सकते हैं.

यूजीसी ने अभी सिर्फ गैर-तकनीकी कार्यक्रम कोर्स को दो डिग्री प्रोग्राम के लिए अनुमोदित किया है. कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि कोर्स के लिए अलग-अलग स्ट्रीम ह्यूमैनिटीज साइंस और कॉमर्स के विषयों का कॉम्बिनेशन भी हो सकता है. छात्र की योग्यता और प्रोग्राम की उपलब्धता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा.

शिक्षाविदों की अलग-अलग राय

कई शिक्षाविदों ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि वे इस नई पॉलिसी के फायदे को लेकर अभी अनिश्चित हैं. लेकिन फुल टाइम डिग्री कोर्स से छात्रों पर दबाव बढ़ने और उनकी पढ़ाई के स्तर में गिरावट आ सकती है.

यूजीसी के एक पूर्व अध्यक्ष ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘छात्रों से एक समय में दो डिग्री करने और हर एक में बेहतर स्कोर करने की अपेक्षा करना थोड़ा ज्यादा है.’ वह आगे कहते हैं, ‘नहीं पता कि आने वाले समय में ये कितना सफल हो पाएगा.’

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर आदित्य नारायण मिश्रा ने बताया, ‘एक डिग्री के साथ एक सर्टिफिकेट कोर्स को लाया जा सकता था. यहां तक कि डिप्लोमा के साथ भी कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन छात्रों को एक साथ दो पूर्णकालिक डिग्री कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ने की अपेक्षा करना शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाना है. अगर छात्र एक कोर्स से दूसरे कोर्स की तरफ भागता रहेगा तो सीखेगा क्या?’

दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य फैकल्टी सदस्य राजेश झा के अनुसार दो-डिग्री प्रोग्राम की वजह से छात्र कॉलेज के दिनों के बेशकीमती अनुभवों को नहीं ले पाएगा. वह कहते हैं, ‘4 साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) के साथ शिक्षा वैसे ही मल्टी डिसिप्लिनरी यानी बहु विषयक होने वाली है. फिर हम इसमें दो डिग्री प्रोग्राम को क्यों जोड़े? इससे छात्रों को क्या फायदा मिलेगा? कुछ भी हो, लेकिन ये ऑनर्स डिग्री की वैल्यू को कम कर देगा.’

इस नीति का समर्थन करने वाले भी कम नहीं है. अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी अहमदाबाद में एकेडमिक अफेयर्स, एसोसिएट डीन प्रोफेसर जेसमीन गोहिल ने कहा, ‘यह नीति कैसे लागू होगी यूजीसी को इस पर प्रकाश डालने की जरूरत है. खासकर प्रशासनिक चुनौतियों के संबंध में जो आने वाले समय में सामने आने वाली हैं.’ उनका कहना है कि छात्रों को एक साथ दो-डिग्री हासिल करने की अनुमति मिलने से उनकी नॉलेज, स्किल और समस्याएं सुलझाने की क्षमता में सुधार आएगा.

इसके अलावा ये संगीत, ललित कला जैसे उन डिग्री कोर्सेज को भी बढ़ावा देने में मदद करेगा जिनकी तरफ छात्रों का रूझान कम है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे उम्मीद है कि अब म्यूजिक, फाइन आर्ट और लिटरेचर डिग्री वाले अधिक प्रोफेशनल्स देखने को मिलेंगे. इससे न केवल उनके करियर को आगे बढ़ाने और सफलता दिलाने में मदद मिलेगी बल्कि वे खुश भी रह पाएंगे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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