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Friday, 19 April, 2024
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कलाम, काकोदकर से जुड़ी इंजीनियरिंग एकेडमी की फंडिंग रोक सकती है मोदी सरकार

इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग से जुड़े वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. डीएसटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये फैसला अंतिम नहीं है.

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नई दिल्ली: केंद्र ने इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (INAE) की फंडिंग रोकने का फैसला लिया है. एकेडमी से जुड़े वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने फंडिंग रोकने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए इस कदम पर चिंता व्यक्त की है. यह देश की एकमात्र ऐसी एकेडमी है जो इंजीनियरिंग के एकेडमिक, अनुसंधान और विकास और उद्योग से जुड़ी है.

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, परमाणु वैज्ञानिक डॉ अनिल काकोडकर और पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन सहित भारत के कुछ सबसे बड़े वैज्ञानिक नाम आईएनएई से जुड़े हैं. इसकी स्थापना 1987 में हुई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में है.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने 6 मई और 24 जून को एकेडमी को भेजे गए बैक-टू-बैक कम्युनिकेशन में कहा कि सरकार केवल मार्च 2025 तक एकेडमी को फंडिंग करेगी.

6 मई के पत्र में लिखा था, ‘व्यय विभाग ने सिफारिश की है कि सरकार को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सेक्शन 8 (गैर-लाभकारी) कंपनी के रूप में अपने निगमीकरण के जरिए आईएनएई की गतिविधियों से खुद को अलग करना चाहिए.’

नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज का जिक्र करते हुए, उन्होंने आगे कहा, ‘इसका कारण यह है कि सरकार को देश में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी और संबंधित विज्ञान और विषयों के प्रमोट करने के लिए सीधे तौर पर शामिल होने की जरूरत नहीं है, जब समान उद्देश्यों को आईएनएई को सेक्शन 8 (गैर-लाभकारी) के तहत NASSCOM जैसी कंपिनयों में परिवर्तित करके बहुत प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सकता है.

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24 जून को अपने हाल ही में लिखे गए पत्र में डीएसटी ने कहा, ‘इस बात की सूचना पहले ही दी जा चुकी है कि सरकार ने आईएनएई की गतिविधियों से खुद को अलग करने की सिफारिशों पर विचार किया है और उन्हें स्वीकार करने का निर्णय लिया है.’

इसमें कहा गया है कि ‘सरकार के साथ उनकी सहायता का अनुबंध 31 मार्च 2025 तक पूरा हो जाएगा.’ दूसरे शब्दों में कहें तो आईएनएई को सहायता अनुदान के रूप में सरकारी सहायता बंद कर दी जाएगी.

डीएसटी में स्वायत्त संस्थान प्रभाग के प्रमुख मनोरंजन मोहंती ने कहा कि यह निर्णय अभी अंतिम नहीं है.

मोहंती ने दिप्रिंट को बताया, ‘मामले की अभी भी समीक्षा चल रही है और हम किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं.’

एकेडमी से जुड़े वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने फंडिंग रोकने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए इस कदम पर चिंता व्यक्त की है.

परमाणु वैज्ञानिक डॉ अनिल काकोडकर ने बुधवार को ट्विटर पर पोस्ट किया: ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (आईएनएई) की गतिविधियों से अलग होने का फैसला किया है, जो देश में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित उपलब्धि हासिल करने वालों का एक स्वतंत्र मंच है.

दिप्रिंट से बात करते हुए आईएनएई के पूर्व अध्यक्ष डॉ काकोडकर ने कहा कि एकेडमी देश के लिए काफी मायने रखती है लेकिन सरकार को लगता है कि इसे अब और फंड देने की जरूरत नहीं है, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने बताया, ‘इस तरह की एक एकेडमी से कॉरपोरेशन की तरह अपना पैसा जुटाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है. अगर वे ऐसा करते हैं, तो वे सिर्फ अल्पकालिक योजनाओं के लिए पैसा जुटा पाएंगे. कोई भी उन्हें लंबी अवधि के प्रोजेक्ट के लिए फंड नहीं देने वाला है.’

मौजूदा समय में आईएनएई के अध्यक्ष प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना ने बताया कि उन्होंने सरकार से संपर्क कर फंडिंग बंद करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. इस मुद्दे पर उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए डॉ. काकोडकर सहित पूर्व राष्ट्रपतियों को भी पत्र लिखा है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने डीएसटी से उनके फैसले की समीक्षा करने की अपील की है और जवाब का इंतजार कर रहे हैं.’


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अन्य एकेडमियों की तुलना में कम फंड

आईएनएई को डीएसटी की तुलना में कम फंड दिया जाता है. डीएसटी के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 में एकेडमी को उस साल विभाग की तरफ से अनुदान के रूप में जारी किए गए कुल 1,330 करोड़ रुपए में से लगभग 4.06 करोड़ रुपए का वितरण किया गया था.

इसकी तुलना में तीन साइंस एकेडमी को व्यक्तिगत रूप से ज्यादा फंड मिला था. इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी को 23.05 करोड़ रुपए, इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन को 6.64 करोड़ रुपए और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज को 8.25 करोड़ रुपए मिले.

आईएनएई में विभिन्न इंजीनियरिंग विषयों के इंजीनियर और तकनीकी जानकार शामिल हैं. इसे ‘देश के विकास के लिए खासकर इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी से संबंधित योजना बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने के मिशन के साथ शुरू किया गया था.

7 अप्रैल, 2020 को नीति आयोग और डीएसटी के साथ-साथ सरकार के तत्कालीन प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन को भेजे गए एक पत्र में तत्कालीन आईएनएई अध्यक्ष सनक मिश्रा ने लिखा था कि आईएनएई ‘एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है और राष्ट्रीय हित से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए इंजीनियरिंग और तकनीक को बढ़ावा देता है.’

आईएनएई के कार्यक्रमों में से एक अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजी इनोवेशन नेशनल फेलोशिप है, जिसे इंजीनियरिंग पेशे की विभिन्न क्षमताओं में काम करने वाले व्यक्तियों द्वारा अनुवाद संबंधी अनुसंधान को मान्यता देने, प्रोत्साहित करने और समर्थन करने के लिए डीएसटी के विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के साथ संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया.

हर साल लगभग 10 फेलोशिप प्रदान की जाती हैं. आईएनएई विभिन्न पुरस्कारों के जरिए इंजीनियरों के योगदान को भी मान्यता देता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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