सीहोर: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक दिन पहले वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) में हुई हिंसक घटना के बाद राज्य की निजी यूनिवर्सिटियों में बुनियादी सुविधाओं और छात्रों की शिकायतों पर प्रबंधन की लापरवाही को लेकर उच्च-स्तरीय समीक्षा के निर्देश दिए हैं.
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि “छात्रों का हित और बेहतर शिक्षा व्यवस्था हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है.” गुरुवार को उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को समीक्षा करने के निर्देश दिए.
उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री श्री @Indersinghsjp जी को निर्देश दिए गए हैं कि निजी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की उच्च-स्तरीय समीक्षा करें, छात्रों से जुड़े मुद्दों की पहचान करें और उनका शीघ्र समाधान सुनिश्चित करें.” मुख्यमंत्री यादव ने एक पोस्ट में लिखा कि उन्होंने घटना का संज्ञान लेते हुए बीजेपी नेता कृष्णा गौड़ को तुरंत VIT जाकर छात्रों और प्रबंधन से बातचीत करने और ज़रूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
यह कदम उस घटना के बाद आया है जब मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात लगभग 4,000 छात्रों ने कैंपस में पीलिया फैलने के आरोपों को लेकर VIT प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया. छात्रों का आरोप था कि स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी शिकायतों को नज़रअंदाज़ किया गया. हालांकि VIT प्रशासन ने दूषित पानी, खराब खाना या इससे किसी छात्र की मौत के आरोपों को खारिज किया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार केके. नायर ने माना कि कुछ छात्रों में पीलिया के मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि कैंपस में पीने और खाना बनाने के पानी की नियमित जांच की व्यवस्था है.
नायर ने कहा, “कुछ हफ्ते पहले मामले सामने आए थे और हमने उन्हें इलाज के लिए चिरायु अस्पताल भेजा.” उन्होंने बताया कि VIT की 11 छात्राओं और 22 छात्रों में पीलिया की पुष्टि हुई थी और इलाज के बाद सभी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई.
उन्होंने कहा कि अभी कोई भी छात्र अस्पताल में भर्ती नहीं है. “सब ठीक हैं. किसी की मौत नहीं हुई,” नायर ने कहा और आरोप लगाया कि “फेक न्यूज़” के कारण हालात बिगड़े.
प्रदर्शन और उसके बाद की कार्रवाई
मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग ने VIT कैंपस में हुई गड़बड़ी की वजह पता लगाने के लिए तीन वरिष्ठ प्रोफेसरों की एक टीम बनाई है.
नायर ने बताया कि समिति के सदस्य बुधवार को पहुंचे और सभी पहलुओं की जांच की. “उन्होंने सभी संबंधित लोगों से बात की. इस समय हमें किसी सख्त कार्रवाई की जानकारी नहीं दी गई है,” नायर ने कहा. साथ ही प्रबंधन भी आंतरिक जांच कर रहा है.
प्रबंधन के अनुसार, मंगलवार रात सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक वार्डन को छात्रों से बदसलूकी करते दिखाया गया. इसके बाद छात्रों में आक्रोश बढ़ा और हिंसा हो गई. प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर वाहनों में आग लगा दी और विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसमें चांसलर का घर भी शामिल है.
जैसे ही हिंसा भड़की, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को बुलाया. एक घंटे के भीतर पुलिस ने हालात काबू में कर लिए, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था.
अब सीहोर प्रशासन भी पीलिया के आरोपों और छात्रों द्वारा किए गए नुकसान की जांच कर रहा है.
सीहोर जिले के आष्टा उपखंड के एसडीएम नितिन कुमार टाले ने दिप्रिंट को बताया कि यूनिवर्सिटी छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रही थी और इसी वजह से हालात बिगड़े.
टाले ने कहा, “हमने यूनिवर्सिटी से सैंपल लिए हैं और मामले की बारीकी से जांच कर रहे हैं,” उन्होंने पीलिया से मौत के आरोपों से भी इनकार किया.
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