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Friday, 22 November, 2024
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इस साल से शुरू हो सकता है DU, JNU, AMU और अन्य यूनिवर्सिटीज़ के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट

सरकार जुलाई-अगस्त से विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट कराने पर विचार कर रही है. इसे मई से ही शुरू किया जाना था लेकिन कोविड के कारण इसमें देरी हो गई.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार इस शैक्षणिक सत्र (2021-22) में जुलाई-अगस्त से तमाम यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए एक केंद्रीकृत कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करने पर विचार कर रही है.

नई राष्ट्रीय शिक्षा में इस टेस्ट की वकालत की गई थी और यह उन प्रमुख स्कीम में शामिल है जिन पर शिक्षा मंत्रालय काफी सक्रियता से काम कर कर रहा है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (नीट) की तरह ये टेस्ट नॉन-टेक्निकल प्रोग्राम में स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए एकल प्रवेश परीक्षा जैसा होगा.

परीक्षा में मिले अंक के आधार पर ही देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी आदि में प्रवेश मिलेगा.

दिप्रिंट ने पूर्व में बताया था कि शिक्षा मंत्रालय मई माह में ही विश्वविद्यालयों के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट समेत राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में शामिल नौ अन्य स्कीम लॉन्च करने की तैयारी में है.

हालांकि, कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का मामला देश में दूसरी कोविड-19 लहर की भयावहता के कारण अधर में लटक गया था.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले महीने सीबीएसई की कक्षा 12 की परीक्षा रद्द होने और देश के शहरों में कोविड-19 केसलोड घटने के साथ मंत्रालय अगले दो महीनों में परीक्षा कराने पर पूरी ‘सकारात्मकता के साथ विचार’ कर रहा है.

इस मुद्दे पर आधिकारिक प्रतिक्रिया के लिए दिप्रिंट ने शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता से ईमेल के जरिये संपर्क साधा, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘एक सुझाव यह है कि जिन छात्रों की 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है, उन्हें अंकों के बजाय ग्रेड दिए जाने चाहिए, और इसलिए यह जरूरी है कि विश्वविद्यालयों में प्रवेश भी अलग तरीके से हो.’

उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय जुलाई-अगस्त के दौरान में देश भर के छात्रों के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करने पर विचार कर रहा है.’

सूत्रों ने यह भी कहा कि यदि छात्रों को अंकों के बजाय ग्रेड प्रदान किए जाते हैं, तो विश्वविद्यालयों में प्रवेश पूरी तरह से एंट्रेंस टेस्ट के अंकों पर आधारित होगा, न कि कुछ वेटेज कक्षा 12 के अंकों को और बाकी एंट्रेंस टेस्ट के अंकों को दिए जाने के आधार पर.

मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘महामारी के कारण सभी यूनिवर्सिटी के लिए कॉमन एडमिशन टेस्ट आयोजित करने के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था लेकिन इस पर विश्वविद्यालयों के साथ फिर से चर्चा की जाएगी.’


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अधिकांश यूनिवर्सिटी इसके पक्ष में

सभी विश्वविद्यालयों से इस बारे में उनकी राय पूछी गई थी और उनमें से कई ने अपना प्लान भेज भी दिया है.

सबसे ज्यादा छात्रों को प्रवेश देने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी—जहां हर साल करीब 60,000 स्नातक छात्र आते हैं—कॉमन एंट्रेंस टेस्ट कराने के लिए सहमत है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जिसमें स्नातक स्तर पर बहुत ही चुनिंदा कार्यक्रम हैं, ने भी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में शामिल होने पर सहमति जताई है.

सरकार जब भी यह टेस्ट शुरू कराने का फैसला करेगी तो इसका आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की तरफ से कराया जाएगा जो कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के आयोजन का जिम्मा भी संभाल रही है.

टेस्ट के आयोजन की बारीकियों को देखने के लिए बनी एक समिति ने सिफारिश की थी कि परीक्षा दो स्तर पर होनी चाहिए. इसमें पार्ट ए योग्यता आधारित हो, जिसमें लॉजिकल रीजनिंग, पढ़ाई की समझ और मौखिक कौशल का आकलन किया जाए और पार्ट बी में विषय आधारित प्रश्नों को लेकर परीक्षा ली जाए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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