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Tuesday, 12 November, 2024
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एंडाउमेंट फंड्स जुटाने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ भी चलेंगी IIT की राह, पर बड़ी हैं चुनौतियां

एंडाउमेंट फंड, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ को सरकार से मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होगा. शिक्षा मंत्रालय ने सीयू को प्रक्रिया शुरू करने में मदद करने के लिए 2022 में दिशानिर्देश जारी किए.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा स्वतंत्र रूप से धन जुटाने के निर्देश पर, देश भर के कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों (सीयू) ने अपने स्वयं के एनडाउमेंट फंड बनाने शुरू कर दिए हैं.

विश्वविद्यालयों द्वारा पूर्व छात्रों के पैसे से एक एंडाउमेंट फंड जुटाया जाता है, जिसे फिर अनुसंधान को बढ़ावा देने या संस्थान के आगे के विकास के लिए उपयोग किया जाता है. यह पश्चिम के प्रमुख विश्वविद्यालयों का कॉन्सेप्ट लेकिन भारत में इसकी शुरुआत 2019 में आईआईटी-दिल्ली के साथ हुई.

भारत में 54 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, जिनमें दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और इलाहाबाद विश्वविद्यालय शामिल हैं.

एनडाउमेंट फंड केंद्रीय विश्वविद्यालयों को केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होगी – 2023-24 के केंद्रीय बजट में उनके लिए 11,252.56 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं.

2022 में, शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों (सीयू) द्वारा एनडाउमेंट फंड जुटाने की प्रक्रिया शुरू करने में मदद करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप था जो विश्वविद्यालयों को वित्त पोषण के लिए बाहरी स्रोतों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करती है.

जबकि सेंट्रल यूनिवर्सिटीज ने, खुद स्वीकार किया है कि समय-समय पर पूर्व छात्र निधि से धन प्राप्त किया है, इसे प्राप्त करने या खर्च करने की कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं है.

दिप्रिंट ने जिन विश्वविद्यालयों से बात की उनमें से कुछ बड़ी मात्रा में फंडिंग जुटाने में सक्षम हैं, जबकि अन्य, जैसे कि हैदराबाद विश्वविद्यालय और जेएनयू, अभी भी शुरुआत कर रहे हैं और अगले साल तक बेहतर परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं.

विश्वविद्यालयों ने अब पूर्व छात्रों से संपर्क करने और धन जुटाने के लिए एंगेजमेंट सेल का निर्माण शुरू कर दिया है. वे पूर्व छात्रों और दाताओं का विश्वास हासिल करने के लिए बैठकें आयोजित करने और फंड प्रबंधन की एक पारदर्शी प्रक्रिया बनाने का प्रयास कर रहे हैं. संस्थानों के प्रमुख भी अपनी सद्भावना, स्थानीय उद्यमियों और सामुदायिक नेताओं की रुचि का उपयोग एक कोष इकट्ठा करने के लिए कर रहे हैं.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष और देश में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) के नियामक निकाय के प्रमुख एम. जगदीश कुमार ने कहा कि एनडाउमेंट फंड महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे विश्वविद्यालयों को बढ़ने में मदद करते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “सीयू सहित किसी भी विश्वविद्यालय के लिए धन जुटाना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वे वित्तीय रूप से साधन संपन्न बनते हैं, जिससे अनुसंधान के लिए नए बुनियादी ढांचे के निर्माण को लेकर ज्यादा बेहतर फैसले लेने में मदद मिलती है. एनडाउमेंट या अन्य स्रोतों से मिले धन का उपयोग परिसर के बुनियादी ढांचे, अनुसंधान सुविधाओं, पुस्तकालयों और छात्र सुविधाओं को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.”

उदाहरण के लिए, आईआईटी-दिल्ली ने अक्टूबर 2019 में पूर्व छात्रों के डोनेशन की मदद से 250 करोड़ रुपये का एक एनडाउमेंट फंड शुरू किया. अन्य आईआईटी और आईआईएम ने भी बाद में इसे फॉलो किया.

कुमार ने कहा कि संसाधन जुटाने से विश्वविद्यालयों को फेकल्टी मेंबर्स को इंटरनल रिसर्च ग्रांट और अन्य इन्सेंटिव देने की सुविधा मिलती है.


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BHU, DU ने प्रगति की है

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने एक साल से कुछ अधिक समय में 5.24 करोड़ रुपये का कोष जुटाकर सबसे महत्वपूर्ण प्रगति की है.

दिप्रिंट को दिए गए बीएचयू के एक लिखित बयान में कहा गया है, “हालांकि, पहले भी बीएचयू को एनडाउमेंट फंड मिलता था, लेकिन पिछले डेढ़ साल में इसमें काफी वृद्धि देखी गई है. हमने अब पूर्व छात्रों, गैर सरकारी संगठनों और इस क्षेत्र के जुड़े संस्थानों द्वारा दिए गए डोनेशन को सुव्यवस्थित कर दिया है,”

इन फंड्स से, विश्वविद्यालय 50 से अधिक नई छात्रवृत्तियां देने में सक्षम हुआ है और कई गोल्ड मेडल की शुरुआत की है. मैथमेटिकल साइंस में टीचिंग और रिसर्च के लिए भगवान श्रेयांसनाथ जैन स्टडी फंड के नाम से एक फंड भी बनाया गया है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि विश्वविद्यालय ने पिछले चार महीनों में 30 लाख रुपये से अधिक की धनराशि जुटाई है.

2019 में, इसने पूर्व छात्रों से अनुदान और डोनेशन प्राप्त करने के लिए एक गैर-लाभकारी कंपनी, दिल्ली विश्वविद्यालय फाउंडेशन की स्थापना की. हालांकि यह शुरुआत में विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के दर्जे को समर्थन देने के लिए किया गया था, लेकिन कंपनी ने अब एक औपचारिक रूप ले लिया है.

शुक्रवार को विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में, जहां डीयू को 5 लाख रुपये की फंडिंग मिली, वाइस चांसलर सिंह ने कहा, “एंडाउमेंट फंड प्रक्रियाओं की औपचारिकता के साथ, हम पूर्व छात्रों और डोनेशन देने वालों के बीच विश्वास और पारदर्शिता पैदा करने में सक्षम होंगे.”

उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि डीयू 3.5 लाख से अधिक छात्रों को सेवाएं प्रदान करता है जो फिजिकली विश्वविद्यालय में आते हैं, इसलिए विस्तार और रखरखाव के लिए इसे इन फंड्स की आवश्यकता है.

विश्वविद्यालय के कॉमर्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और दिल्ली विश्वविद्यालय फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने भी डीयू के फंड में दान देने में रुचि दिखाई है. उदाहरण के लिए, राज्य के स्वामित्व वाली जीवन बीमा निगम (एलआईसी) पूरी तरह से लैस एम्बुलेंस प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.

छोटे-छोटे कदम और चुनौतियां

अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने भी धन जुटाने के लिए पहल शुरू की है, लेकिन अभी तक उन्हें बीएचयू और डीयू जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की तरह नतीजे देखने को नहीं मिले हैं.

हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.जे. राव ने दिप्रिंट को बताया कि संस्थान ने फंड सृजन में पर्याप्त प्रयास नहीं किए क्योंकि उनका ध्यान शिक्षा के माध्यम से सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले छात्रों को सशक्त बनाने और शिक्षित करने पर था. हालांकि, उन्होंने कहा, “हम कुछ लाख की मामूली राशि जुटाने में सफल हुए हैं लेकिन हम अपने पूर्व छात्रों के नेटवर्क को और फिर से बना रहे हैं और अगले साल तक 10 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य रख रहे हैं.”

कई संस्थानों के प्रमुखों के सामने एक चुनौती उनके पूर्व छात्रों की सीमित खर्च करने की क्षमता है. उनमें से एक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हालांकि सीयू के पास काफी अच्छी स्थिति वाले पूर्व छात्र हैं, लेकिन उनके पास अक्सर उस तरह की वित्तीय पूंजी नहीं होती है जो आईआईटी या आईआईएम के प्रभावशाली पूर्व छात्रों के पास होती है. उनके प्लेसमेंट पैकेज करोड़ों में हैं और क्योंकि वे उच्च पदस्थ हैं, वे अपने विश्वविद्यालयों के लिए भी प्लेसमेंट ला सकते हैं.

उन्होंने कहा, “सोशल साइंस और ह्यूमनिटीज़ के छात्र – जो सीयू में छात्रों का एक बड़ा हिस्सा हैं – को शायद ही कभी इस तरह का विशेषाधिकार प्राप्त होता है.”

2020 में, एम. जगदेश कुमार, जो उस समय जेएनयू के वीसी थे, ने साल के अंत तक 100 करोड़ रुपये का कोष जुटाने के लक्ष्य के साथ एक पूर्व छात्र एंडाउमेंट फंड बनाया. अधिकारियों ने कहा कि तीन साल बाद भी, जेएनयू को अभी तक यह उपलब्धि हासिल नहीं हुई है, लेकिन वर्तमान वी-सी शांतिश्री पंडित के नेतृत्व में इस इनीशिएटिव में फिर से जान डालने की योजना चल रही है.

हालांकि, प्रोफेसर कुमार आशान्वित थे.

उन्होंने कहा, “आईआईटी ने अपनी लंबे समय से चली आ रही प्रमुखता, मजबूत इंडस्ट्री एसोसिएशन और सहायता करने वाले पूर्व छात्र नेटवर्क के कारण पर्याप्त एंडाउमेंट का निर्माण किया है. एनईपी-2020 के तहत, सीयू इंडस्ट्री-एकेडेमिया सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और नए कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं.”

यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा, “कम समय में, सेंट्रल यूनिवर्सिटी को आईआईटी के फंड के आकार से मेल खाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, मुझे आश्चर्य है कि उनके पास मौजूद ह्यूमन रिसोर्स को देखते हुए वे आईआईटी की बराबरी क्यों नहीं कर सकते. वे बंदोबस्ती पहल और अन्य धन उगाहने वाले प्रयासों से महत्वपूर्ण रूप से लाभान्वित हो सकते हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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