नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बुधवार को घोषणा की कि 2026 से कक्षा 10 के छात्रों के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा होगी. पहली परीक्षा सभी छात्रों के लिए जरूरी होगी, जबकि दूसरी परीक्षा देना वैकल्पिक रहेगा.
बोर्ड ने फरवरी में इस नीति का ड्राफ्ट जारी किया था और सभी से सुझाव मांगे थे. सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बताया कि ज़्यादातर लोगों ने साल में दो बार परीक्षा कराने के फैसले का समर्थन किया, जिनमें 65% छात्र इसके पक्ष में थे.
भारद्वाज ने मीडिया से कहा, “लेकिन कई शिक्षकों और प्रिंसिपलों ने सुझाव दिया कि छात्र इसे गंभीरता से लें, इसलिए पहली परीक्षा को ज़रूरी बनाया जाए. यही बदलाव हमने अब पॉलिसी में शामिल किया है.”
दो बार बोर्ड परीक्षा की यह व्यवस्था 2023 के नए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के मुताबिक है, जिसे NEP 2020 के तहत बदला गया है. इसका मकसद है बोर्ड परीक्षाओं का दबाव कम करना और छात्रों को साल में दो मौके देना—एक मुख्य परीक्षा और दूसरी सुधार के लिए. ये परीक्षाएं फरवरी और मई में होंगी.
सीबीएसई ने तय किया है कि पहली परीक्षा को गंभीरता से लेने के लिए ज़रूरी नियम बनाए जाएंगे. अगर कोई छात्र पहली परीक्षा में तीन या उससे ज्यादा विषयों में गैरहाज़िर रहता है, तो वह दूसरी (वैकल्पिक) परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगा.
अंतिम नीति के मुताबिक, जो छात्र पहली परीक्षा में ज़रूरी विषयों में गैरहाज़िर रहेंगे, उन्हें ‘दोहराव जरूरी’ की श्रेणी में रखा जाएगा. ऐसे छात्र फिर से अगली साल फरवरी में ही मुख्य परीक्षा दे सकेंगे.
हालांकि, कुछ मामलों में छूट दी जाएगी. जैसे कि अगर किसी खिलाड़ी की परीक्षा किसी खेल प्रतियोगिता से टकरा रही हो, तो उसे उस विषय की दूसरी परीक्षा देने की अनुमति मिलेगी. इसी तरह, लद्दाख जैसे ठंडे इलाकों के स्कूलों के छात्रों को पहली या दूसरी परीक्षा में से किसी एक को चुनने की छूट होगी.
तीन सब्जेक्ट तक दूसरी बोर्ड परीक्षा का विकल्प
CBSE ने तय किया है कि छात्र दूसरी बोर्ड परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा तीन विषयों में ही शामिल हो सकते हैं. यानी दसवीं के स्टूडेंट्स साइंस, मैथ्स, सोशल साइंस और भाषाओं में से किसी भी तीन विषयों में दोबारा एग्जाम दे सकते हैं.
यह फैसला पहले जारी ड्राफ्ट में शामिल नहीं था, लेकिन सभी से मिली राय के बाद इसे जोड़ा गया.
CBSE के चेयरपर्सन राहुल सिंह ने कहा, “इसका मकसद है कि छात्र पहली बोर्ड परीक्षा को गंभीरता से लें और सिर्फ उन्हीं विषयों में दोबारा परीक्षा दें, जिनमें उन्हें सच में सुधार करना है. हम नहीं चाहते कि दूसरी परीक्षा एक तरह से ‘विकल्पों की खरीदारी’ जैसा बन जाए.”
दोनों परीक्षाएं पूरे साल के सिलेबस पर आधारित होंगी. पढ़ाई का तरीका और परीक्षा का पैटर्न पहले जैसा ही रहेगा.
अगर किसी छात्र को पहली परीक्षा में कंपार्टमेंट का रिजल्ट मिलता है, तो वह दूसरी परीक्षा में कंपार्टमेंट कैटेगरी में बैठ सकेगा. इसके अलावा, पिछले साल के कंपार्टमेंट (पहला या तीसरा मौका) और इम्प्रूवमेंट (सुधार) कैटेगरी वाले छात्र भी इस दूसरी परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे.
अभी तक CBSE कंपार्टमेंट और सुधार परीक्षाएं जुलाई में कराता था, लेकिन अब नई प्रणाली के तहत ये परीक्षाएं मई में होंगी, जिससे छात्र समय पर अगली क्लास में प्रवेश ले सकें.
रिजल्ट कैसे घोषित किए जाएंगे?
CBSE के अनुसार, पहली परीक्षा (मुख्य परीक्षा) के नतीजे अप्रैल में घोषित किए जाएंगे, जबकि दूसरी परीक्षा (सुधार परीक्षा) के नतीजे जून में आएंगे.
अगर कोई छात्र दूसरी परीक्षा में नहीं बैठता, तो उसकी पहली परीक्षा का रिजल्ट DigiLocker पर उपलब्ध रहेगा, जिससे वह कक्षा 11 में प्रवेश ले सकेगा.
पास सर्टिफिकेट सभी छात्रों को दूसरी परीक्षा के नतीजे आने के बाद दिया जाएगा.
रिजल्ट की जांच (verification) और दोबारा मूल्यांकन (re-evaluation) की सुविधा केवल दूसरी परीक्षा के रिजल्ट आने के बाद ही उपलब्ध होगी — और यह दोनों परीक्षाओं (मुख्य और सुधार) पर लागू होगी.
जो छात्र पहली परीक्षा में पास नहीं होंगे, उन्हें अस्थायी रूप से कक्षा 11 में प्रवेश मिल जाएगा.
CBSE ने कहा है, “उनका दाखिला दूसरी परीक्षा के नतीजों के आधार पर पक्का किया जाएगा.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: एजुकेशन, स्पिरिचुअल और आईटी-सिटी: साकार हो रहा है नवा रायपुर का सपना