scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमएजुकेशनBYJU’s के फाउंडर NCPCR के सामने होंगे पेश, 'कोर्स के लिए माता-पिता को लुभाने' के दावों की जांच कर रहा आयोग

BYJU’s के फाउंडर NCPCR के सामने होंगे पेश, ‘कोर्स के लिए माता-पिता को लुभाने’ के दावों की जांच कर रहा आयोग

बायजू के संस्थापक रवींद्रन को पाठ्यक्रमों की जानकारी के अलावा, फीस, छात्र संख्या, फीस वापसी नीति और अन्य प्रासंगिक कानूनी दस्तावेजों के ब्योरे के साथ शीर्ष बाल अधिकार निकाय के समक्ष पेश होने को कहा गया है.

Text Size:

नई दिल्ली: भारत के शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने एडटेक जायंट बायजू के खिलाफ कदाचार के आरोपों की जांच के बीच पर इसके संस्थापक बायजू रवींद्रन को शुक्रवार को पेश होने को कहा है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस संदर्भ में कुछ न्यूज रिपोर्ट सामने आने के बाद मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और 16 दिसंबर को रवींद्रन को सम्मन जारी किया.

कंपनी की तरफ से बुधवार को पोस्ट किए गए एक ट्वीट में किसी भी तरह के कदाचार में शामिल होने की बात से इनकार किया गया है. दिप्रिंट ने बायजू की को-फाउंडर कविता शेनॉय से ईमेल के जरिए संपर्क साधा. हालांकि, उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


यह भी पढ़ें: IIT की दुनिया में गांव से आने वालों के लिए JNVs के पूर्व छात्र बन रहे हैं एक दूसरे का सहारा


एनसीपीसीआर की तरफ से जारी सम्मन में कहा गया है, ‘…आयोग को एक न्यूज रिपोर्ट के जरिये पता चला है कि बायजू की सेल्स टीम माता-पिता को अपने बच्चों के लिए पाठ्यक्रम खरीदने के लिए प्रलोभन देने के कदाचार में लिप्त है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि कुछ ग्राहकों ने दावा किया है कि उनका शोषण किया गया और उन्हें धोखा दिया गया और उन्होंने अपनी बचत और भविष्य को खतरे में डाल दिया.’

एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो ने दिप्रिंट को बताया कि यह पहली बार नहीं है जब उन्हें एडटेक फर्म को लेकर ऐसी शिकायतें मिली हैं.

पिछले साल ही शिक्षा मंत्रालय ने माता-पिता के एडटेक प्लेटफॉर्म की तरफ से की जाने वाली धोखाधड़ी से सतर्क रहने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे. उन्होंने कहा, ‘यह दिशानिर्देश/परामर्श एनसीपीसीआर को अभिभावकों से शिकायत मिलने के बाद ही जारी किए गए थे और हमने शिक्षा मंत्रालय से बात की थी.’

कानूनगो ने आगे कहा कि बाल अधिकार निकाय को पिछले साल ‘निम्न आय वर्ग के अभिभावकों से शिकायत मिली थी कि बायजूस ने उन्हें ट्यूशन के लिए कर्ज लेने पर मजबूर कर दिया.’

उन्होंने कहा, ‘एक बार जब वे इसके भुगतान में असमर्थ हो जाते हैं, तो उनका सिबिल स्कोर (किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री) प्रभावित होता है, जिसके कारण वे भविष्य में ऋण लेने में असमर्थ होते हैं जब उन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता होती है.’

कानूनगो ने आगे बताया कि वैधानिक कॉर्पोरेट धोखाधड़ी की जांच करने वाली एजेंसी गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने भी इस पर ध्यान दिया और मामले की पड़ताल की और इस बारे में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को सूचित किया गया.

कानूनगो ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मामला वहीं खत्म हो जाएगा, लेकिन हाल ही में माता-पिता की तरफ से इसी तरह की समस्याओं का हवाला देने वाली खबरें सामने आने के बाद आयोग ने इस पर स्वत: संज्ञान लेने का फैसला किया.

‘गरीबों से झूठे वादे’

एनसीपीसीआर ने रवींद्रन को शुक्रवार को अपने सदस्यों के एक पैनल के सामने पेश होने और बायजू के पाठ्यक्रमों से जुड़ी जानकारी के अलावा फीस, छात्र संख्या, फीस वापसी नीति और अन्य प्रासंगिक कानूनी दस्तावेजों का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है.

अपना नाम न छापने की शर्त पर एक पूर्व कर्मचारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें किसी भी तरह ‘क्वेरी पूरी करने’ करने के सख्त निर्देश दिए जाते थे. हमारे लक्षित दर्शक आमतौर पर मध्यम वर्ग के पेशेवर होते हैं जो हमारी सेवाओं के लिए भुगतान करने में समक्ष हों. अगर माता-पिता की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, तो उन्हें अपने ईएमआई ऑप्शन बताने को कहा जाता है.’

एक अन्य कर्मचारी ने दावा किया कि उसने एक पेट्रोल पंप कर्मचारी को सब्सक्रिप्शन बेचने के कुछ महीने बाद नौकरी छोड़ दी. पेट्रोल पंप कर्मी के पास उसके चुने पाठ्यक्रम पर आने वाले खर्च को वहन करने की आर्थिक क्षमता नहीं थी.

उसने आगे बताया, ‘एक गरीब आदमी से इस तरह झूठे वादे करना मुझे अच्छा नहीं लगा. मुझे पता था कि वह कुछ महीनों में ही डिफॉल्टर हो जाएगा, लेकिन हमारी सेल्स पिच में अक्सर छात्रों को टार्गेट करना और उनसे वास्तव में कठिन प्रश्न पूछना शामिल होता है. यह माता-पिता को दिखाने का एक तरीका है कि उनके बच्चे को वास्तव में अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बायजू की जरूरत है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवादः रावी द्विवेदी)


यह भी पढ़ें: क्यों पैरेंटस बच्चों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट कर रहे, पर प्राइवेट ट्यूटर्स पर कर रहे ज्यादा खर्च


share & View comments