नई दिल्ली: तीन-भाषा के फार्मूले को लागू करने को लेकर तमिलनाडु और केंद्र के बीच जारी विवाद के बीच, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को संसद में डेटा पेश किया जिसमें दिखाया गया है कि भारत में 61.6 प्रतिशत स्कूल तीन भाषाओं की पेशकश कर रहे हैं, जहां देश भर के लगभग 74.7 प्रतिशत स्टूडेंट्स पढ़ते हैं.
डेटा के मुताबिक, तीन भाषाएं पढ़ाने वाले स्कूलों के प्रतिशत में गुजरात और पंजाब सबसे आगे हैं, जबति अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और तमिलनाडु सबसे निचले पायदान पर हैं.
यह डेटा तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) लोकसभा सदस्य कनिमोझी करुणानिधि के एक प्रश्न के जवाब में प्रस्तुत किया गया था, जिन्होंने तीन-भाषा फॉर्मूले के तहत पढ़ाई जाने वाली भाषाओं का राज्यवार ब्यौरा मांगा था, साथ ही देश भर में हर भाषा में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी पूछी थी.

डीएमके की अगुवाई वाली तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले के कार्यान्वयन को लेकर केंद्र के साथ विवाद में उलझी है. आरोप है कि यह “हिंदी थोपने” के जैसा है. इस फॉर्मूले के तहत, स्टूडेंट्स को आठवीं क्लास तक या फि कम से कम दसवीं क्लास तक तीन भाषाओं में पढ़ना ज़रूरी होगा, जिसमें कम से कम दो भारत की मूल भाषाएं होनी चाहिए.
डेटा प्रस्तुत करते हुए, शिक्षा मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने अपने लिखित जवाब में कहा, “तीन-भाषा फॉर्मूले में अधिक लचीलापन होगा और किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी.”
मंत्री ने कहा, “बच्चों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाएं राज्यों, क्षेत्रों और स्टूडेंट्स की अपनी पसंद होंगी, बशर्ते कम से कम दो भारत की मूल भाषाएं हों.” हालांकि, दिप्रिंट द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि गैर-भाजपा दलों द्वारा शासित अधिकांश हिंदी भाषी राज्यों में, संस्कृत को मुख्य रूप से तीसरी भाषा के रूप में पेश किया जाता है, जबकि गैर-हिंदी भाषी राज्य आमतौर पर हिंदी की पेशकश करते हैं. इस बीच, छात्रों की बढ़ती मांग को देखते हुए प्राइवेट स्कूल तीसरे विकल्प के रूप में विदेशी भाषाओं की पेशकश कर रहे हैं.
मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1,471,891 स्कूलों में से 906,225 स्कूल (61.6 प्रतिशत) तीन-भाषा फॉर्मूला देते हैं. इसकी तुलना में, 416,601 स्कूल (28.3 प्रतिशत) दो भाषाएं प्रदान करते हैं, जबकि 149,065 स्कूल (10.1 प्रतिशत) केवल एक भाषा सिखाते हैं.
डेटा से यह भी पता चलता है कि देश भर में नामांकित 248,945,828 छात्रों में से 185,318,537 छात्र (74.7 प्रतिशत) तीन भाषाएं सीख रहे हैं. वहीं, 41,652,050 स्टूडेंट्स दो भाषाएं और 21,075,241 छात्र केवल एक भाषा सीखते हैं.
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16 राज्य और यूटी तीन-भाषा विकल्प देने में राष्ट्रीय औसत से आगे
आंकड़ों के अनुसार, कम से कम 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) तीन-भाषा फॉर्मूला देने में राष्ट्रीय औसत से आगे हैं, जो देश भर में इसके बड़े स्तर से अपनाए जाने को दर्शाता है.
बड़े राज्यों में, गुजरात 97.6 प्रतिशत स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाने के साथ सबसे आगे है, उसके बाद पंजाब (96.2 प्रतिशत), सिक्किम (89.2 प्रतिशत), उत्तराखंड (87.4 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (82.8 प्रतिशत) का स्थान है.
केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ 97.4 प्रतिशत स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाने के साथ सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद लक्षद्वीप (97.3 प्रतिशत) और दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव (96.8 प्रतिशत) का स्थान है.
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, तीन भाषाएं पढ़ाने वाले स्कूलों में राष्ट्रीय औसत से आगे निकलने वाले अन्य राज्यों में दो दक्षिणी राज्य शामिल हैं: कर्नाटक 76.4 प्रतिशत और केरल 71.7 प्रतिशत.
पूर्वोत्तर राज्य और तमिलनाडु सबसे नीचे
आंकड़ों के अनुसार, तीन-भाषा फॉर्मूला पेश करने वाले स्कूलों के मामले में सबसे निचले पांच राज्य अरुणाचल प्रदेश (0.3 प्रतिशत), नगालैंड (2.5 प्रतिशत), तमिलनाडु (3.2 प्रतिशत), मेघालय (18.9 प्रतिशत) और असम (33.6 प्रतिशत) हैं. ये राज्य राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे हैं, जो तीन-भाषा नीति के कार्यान्वयन में क्षेत्रीय असमानताओं को उजागर करता है.

तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है जो आधिकारिक तौर पर दो-भाषा फॉर्मूला का पालन करता है. दक्षिणी राज्य में, 59.8 प्रतिशत स्कूल दो भाषाएं प्रदान करते हैं, जबकि 37 प्रतिशत केवल एक भाषा पढ़ाते हैं.
अन्य राज्यों में जहां बड़ी संख्या में स्कूल दो भाषाओं की पेशकश करते हैं, वह हैं अरुणाचल प्रदेश (94.4 प्रतिशत), मेघालय (65.8 प्रतिशत), असम (58.8 प्रतिशत), और पश्चिम बंगाल (43.0 प्रतिशत).
तमिलनाडु के केंद्रीय विद्यालयों में 86 हिंदी और 65 संस्कृत शिक्षक
तमिलनाडु में केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में भाषा शिक्षकों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत वर्गीकृत केंद्रीय विद्यालयों में एकरूपता बनाए रखने के लिए केवल हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत के लिए शिक्षक पद स्वीकृत हैं.
हालांकि, केंद्रीय विद्यालय शिक्षा संहिता के अनुच्छेद 112 के तहत, कक्षा VI से VIII के छात्र अन्य भाषाएं सीख सकते हैं, अगर 15 या उससे अधिक छात्र ऐसा करना चुनते हैं, जिससे अंशकालिक संविदा शिक्षकों की अनुमति मिलती है.
वर्तमान में, 24 अंशकालिक तमिल शिक्षक कार्यरत हैं और 21 केंद्रीय विद्यालय तमिल वर्चुअल अकादमी (टीवीए) के माध्यम से तमिल पढ़ाते हैं. तमिलनाडु के केंद्रीय विद्यालयों में 86 हिंदी और 65 संस्कृत शिक्षक हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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