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Monday, 31 March, 2025
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आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, आईआईएसईआर में 56% प्रोफेसर पद खाली : संसदीय समिति की रिपोर्ट

उच्च शिक्षा संस्थानों पर रिपोर्ट में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में खाली पड़े आरक्षित फैकल्टी पदों पर भी प्रकाश डाला गया है. ओबीसी के लिए 3,652 पदों में से 1,521 पद खाली हैं.

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नई दिल्ली: संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेसरों के 56.18 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, जो कि सर्वोच्च शैक्षणिक पद है. समिति ने इस मुद्दे को हल करने के लिए फैकल्टी भर्ती प्रक्रिया में तेज़ी लाने की सिफारिश की है.

शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल पर संसदीय स्थायी समिति ने उच्च शिक्षा विभाग की 2025-26 डिमांड फॉर ग्रांट्स नामक अपनी रिपोर्ट, जिसे बुधवार को संसद में पेश किया गया, में कहा कि सभी भर्ती प्रक्रियाएं पारदर्शी, योग्यता आधारित, उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए और समान अवसर और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट के अनुसार, 31 जनवरी 2025 तक, आईआईटी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में कुल स्वीकृत टीचिंग फैकल्टी पदों (18,940) में से 28.56 प्रतिशत खाली थे.

डेटा से यह भी पता चलता है कि 11,298 सहायक प्रोफेसर पदों (एंट्री लेवल) में से 17.97 प्रतिशत खाली हैं, 5,102 एसोसिएट प्रोफेसर पदों (मिड लेवल) में से 38.28 प्रतिशत खाली हैं और 2,540 प्रोफेसर पदों में से 56.18 प्रतिशत पद खाली हैं.

समिति ने कहा, “तकनीकी संस्थानों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों में खाली पदों का अस्तित्व फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात को प्रभावित करता है और ऐसे संस्थानों में शिक्षण की गुणवत्ता को कम करता है.”

नियमित वर्कफोर्स विश्लेषण की ज़रूरत

इस बात पर जोर देते हुए कि ऐसे संस्थानों के प्रभावी कामकाज के लिए एक मजबूत और कुशल वर्कफोर्स ज़रूरी है, समिति ने सिफारिश की कि शिक्षा मंत्रालय संबंधित हितधारकों को रेगुलर वर्कफोर्स विश्लेषण करने का निर्देश दे. इससे छात्रों के नामांकन, प्रोग्राम एक्सटेंशन, फैकल्टी सेवानिवृत्ति और विकसित शैक्षणिक और प्रशासनिक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान और भविष्य की स्टाफिंग आवश्यकताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी.

समिति ने मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि सभी भर्ती प्रक्रियाएं पारदर्शी, योग्यता आधारित और उद्देश्यपूर्ण हों, जो समान अवसर और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का पालन करें. इसने बाहरी हस्तक्षेप से बचने के लिए ऑनलाइन आवेदन, स्क्रीनिंग और कम्युनिकेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने के महत्व पर भी जोर दिया.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षित खाली पद

रिपोर्ट में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में आरक्षित फैकल्टी के खाली पदों पर प्रकाश डाला गया है. विशेष रूप से, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए स्वीकृत 3,652 पदों में से 1,521 पद खाली हैं. इसी तरह, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 2,315 पदों में से 788 पद खाली हैं और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 1,154 पदों में से 472 पद खाली हैं.

इसके अलावा, इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षित गैर-शिक्षण कर्मचारियों की महत्वपूर्ण कमी का उल्लेख किया गया है. ओबीसी के लिए स्वीकृत 4,495 पदों में से 1,983 पद खाली हैं. इसी तरह, एससी के लिए 2,013 पदों में से 1,011 पद खाली हैं, जबकि एसटी के लिए 3,409 पदों में से 1,491 पद खाली हैं.

समिति ने इन खाली पदों को कॉन्ट्रैक्ट या अल्पकालिक नियुक्तियों के माध्यम से भरने पर चिंता जताई और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की कार्रवाइयों से सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, पीडब्ल्यूडी और अन्य हाशिए के समूहों के लिए संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए. इसने यह भी चेतावनी दी कि अस्थायी भर्ती प्रथाओं से शैक्षणिक स्वतंत्रता से समझौता नहीं होना चाहिए.

केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के अधिनियमन को देखते हुए, जिसने संस्थान-स्तरीय आरक्षण की शुरुआत की, समिति ने बताया कि सभी केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों (CHEI) को मिशन मोड में SC, ST और OBC के खाली पदों के बैकलॉग को पूरा करने के लिए विशेष भर्ती अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया था.

दिसंबर 2024 तक, इसके परिणामस्वरूप 15,637 फैकल्टी पदों सहित 26,751 खाली पदों को भरा गया. इनमें से 1,949 एससी के लिए, 771 एसटी के लिए और 3,261 ओबीसी के लिए आरक्षित थे.

समिति ने फैकल्टी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया में और तेज़ी लाने की सिफारिश की. इसने यह भी सुझाव दिया कि मंत्रालय कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नौकरी को समाप्त करने के लिए संरचित योजना बनाए और योग्य फैकल्टी मेंबर्स को स्थायी पदों पर भर्ती करने को प्राथमिकता दे, जिससे नौकरी की सुरक्षा और सटीक सैलरी सुनिश्चित हो सके.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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