scorecardresearch
Saturday, 22 February, 2025
होमडिफेंस'इंडिया-मॉडिफाइड M4 में दुनिया की दिलचस्पी'- भारत में निर्माण करना चाहती है दक्षिण अफ्रीकी रक्षा कंपनी

‘इंडिया-मॉडिफाइड M4 में दुनिया की दिलचस्पी’- भारत में निर्माण करना चाहती है दक्षिण अफ्रीकी रक्षा कंपनी

पैरामाउंट समूह भारत के कल्याणी समूह के साथ मिलकर अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए बातचीत कर रहा है क्योंकि कई देशों ने भारत के लिए विशेष रूप से संशोधित एम 4 वाहनों - जो इनका सबसे सक्षम संस्करण है - में अपनी रुचि व्यक्त की है.

Text Size:

नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र की एक प्रमुख दक्षिण अफ्रीकी कंपनी, पैरामाउंट ग्रुप, जिसका भारतीय सेना के लिए विशेष तौर पर बनाये गए एम4 बख्तरबंद वाहनों के संयुक्त उत्पादन के लिए भारत के कल्याणी समूह के साथ गठजोड़ है- अब अपने वैश्विक ग्राहकों को जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत में अपनी विनिर्माण गतिविधि का विस्तार करना चाहता है. यह बात स्वयं इसके संस्थापक आइवर इचिकोविट्ज़ ने दिप्रिंट को बताई.

पैरामाउंट अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए कल्याणी समूह के साथ बातचीत कर रहा है क्योंकि कई अन्य देशों ने भारत के लिए विशेष तौर पर संशोधित किये गए एम4 वाहनों में अपनी दिलचस्पी दिखाई है.

इचिकोविट्ज़ ने गुजरात के गांधीनगर में इस महीने की शुरुआत में आयोजित डेफएक्सपो 2022 के मौके पर दिए गए एक साक्षात्कार में दिप्रिंट से कहा, ‘मांग की मात्रा बहुत बड़ी है. इसके आपूर्ति की गति, गुणवत्ता और प्रमाणन व्यवसाय में बहुत बड़े फैक्टर हैं. हम अपने अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की एक सीरीज के निर्माण के लिए कल्याणी समूह के साथ अपने सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दे रहें हैं.’

पैरामाउंट समूह एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी है जिसे साल 1994 में दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकी सरकारों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थापित किया गया था और यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसके प्रति भारत भी उत्सुक है.


यह भी पढ़ें: कठिन रास्ते, WW2 के हथियार, कमान से जुड़े मुद्दे- 1962 के चीन युद्ध के लिए भारत तैयार क्यों नहीं था


इस समूह ने 2021 में भारतीय बाजार में तब प्रवेश किया था जब भारतीय थल सेना ने इसके एम4 बख़्तरबंद वाहन और बारूदी सुरंगों से संरक्षित वाहन के रूप में अपने पहिएदार बख्तरबंद वाहनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इसे चुना था. ये वाहन सैनिकों के तेजी से परिवहन में सहायता कर सकते हैं और काफी अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन करने में भी सक्षम हैं.

इन वाहनों को कल्याणी समूह के हिस्से वाली कंपनी भारत फोर्ज के माध्यम से ऑर्डर किया गया था और इसे कई भारत के लिए विशेष तौर किये गए परिवर्तनों से गुजरना पड़ा, जो इस संस्करण को अब तक निर्मित सबसे सक्षम एम4 वाहन बनाता है.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी खबर दी थी, हालांकि शुरुआती ऑर्डर में इन वाहनों में से लगभग 27 की खरीद के लिए था, मगर सेना ने कई और ऑर्डर दिए हैं जिनमें से नवीनतम वाहनों में इजरायली स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) प्रणाली को लगाया जाना है.

इचिकोविट्ज़ ने कहा, ‘हम भारत को पैरामाउंट की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए एक प्राथमिक फैक्टर बनाने की कोशिश कर रहे हैं.’ साथ ही, उन्होंने कहा कि मध्य एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व के कई देशों ने भारतीय एम4 वाहन में रुचि दिखाई है, जो इस वाहन की नवीनतम पीढ़ी का संस्करण है.

पैरामाउंट के पास एक बिलियन यूएस डॉलर के करीब का ऑर्डर बुक होने के साथ ही इसके संस्थापक ने कहा, ‘हम मानते हैं कि, संभावित रूप से भविष्य में, हमारे ऑर्डर बुक का एक तिहाई हिस्सा हमारे भारतीय विनिर्माण परिचालन से प्राप्त किया जा सकता है.’

इचिकोविट्ज़ ने कहा कि पैरामाउंट ग्रुप के पास 70 से अधिक उत्पादों की एक शृंखला (पोर्टफोलियो) है, और बख्तरबंद वाहन वह उत्पाद है जिसके लिए वह भारत में ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

‘कल्याणी ग्रुप के रूप में मिला सबसे उपयुक्त भागीदार’

रक्षा क्षेत्र के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर भारत सरकार द्वारा दिए जा रहे जोर का स्वागत करते हुए इचिकोविट्ज़ ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े रक्षा निर्यातकों में से एक के रूप में उभरेगा.

उन्होंने कहा, ‘अगर आपने मुझसे तीन-चार साल पहले यह सवाल पूछा होता कि क्या हम भारत को एक संभावित मैन्युफैक्चरिंग हब (विनिर्माण आधार केंद्र) के रूप में देख रहे हैं, तो मुझे इतना भरोसा नहीं होता. अब बहुत कुछ बदल गया है और हमने कल्याणी समूह के तौर पर एक सबसे उपयुक्त भागीदार पाया है.’

कल्याणी एम4, जो कंपनी के पुणे स्थित संयंत्र में बनाया जा रहा है, एक बहु-भूमिका (मल्टीपरपज) वाला प्लेटफार्म है जो ऊबड़-खाबड़ इलाकों और बारूदी सुरंगों और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के खतरे से प्रभावित क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की त्वरित गतिशीलता से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक साथ 10 सैनिकों को ले जाने में सक्षम है.

इसके खास डिजाइन, जो एक फ्लैट-फर्श मोनोकोक हल के आधार पर बनाया गया है, की वजह से इसमें 50 किलो टीएनटी साइड ब्लास्ट या आईईडी या सड़क के किनारे लोगों को बमों से बैलिस्टिक और विस्फोट से सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता है. 140 किमी प्रति घंटे की गति के साथ, इस वाहन में 2.3 टन का पेलोड (भार वहन क्षमता) और लगभग 800 किमी की ऑपरेटिंग रेंज (परिचालन की अधिकतम दूरी) है.

कल्याणी समूह के सूत्रों ने कहा कि भारत फोर्ज इन वाहनों को लगभग 95 प्रतिशत स्वदेशीकरण करने में सक्षम है, केवल 5 प्रतिशत हिस्सा ही बाहर से आयात किया जा रहा है.

हालांकि, इसके पुणे वाले संयंत्र में फ़िलहाल हर साल 40 वाहन बनाने की क्षमता है, फर्म की योजना इसे जल्द ही 100 तक बढ़ाने की है, और यह केवल एम4 के उत्पादन तक ही सीमित नहीं होगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: 2002 के बाद 400 से ज्याद स्वदेशी ध्रुव, इसके कई तरह के हेलीकॉप्टर बने, इनमें से 23 दुर्घटनाग्रस्त हुए


 

share & View comments