श्रीनगर: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा बल काफी तेजी के साथ एक पाकिस्तानी आतंकवादी की तलाश में लगे हुए हैं, जिसे वर्तमान में उसके उपनाम ‘छोटा वालिद’ से जाना जाता है. उसे ही जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में पिछले एक सप्ताह में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर किए गए अलग-अलग हमलों के पीछे का मास्टरमाइंड माना जा रहा है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि यह आतंकवादी, जिसके बारे में माना जाता है कि वह पहले भी कश्मीर में कम से कम दो बार अपना समय बिता चुका है, लगभग 20 दिन पहले भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर चुका था.
सूत्रों का कहना है कि हालांकि इन हमलों को असल में स्थानीय आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया गया है, फिर भी माना जाता है इनका मास्टरमाइंड ‘छोटा वालिद’ है, जिसे आतंकी गतिविधियों को और अधिक भड़काने के लिए भेजा गया है.
सूत्रों ने कहा कि कई इंटरसेप्ट की गई फोन कॉल्स और ख़ुफ़िया जानकारी (इनपुट) से यह पता चलता है कि स्थानीय आतंकवादियों पर उनके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा टारगेटेड अटैक के लिए दबाव डाला जा रहा है.
एक सूत्र ने बताया कि स्थानीय आतंकवादियों की ओर से इस तरह के फरमानों को पूरा करने के प्रति अनिच्छा दिखाई जा रही थी. इसलिए माना जाता है कि ‘वालिद’ ने करीब 20 दिन पहले एलओसी के जरिए घुसपैठ की थी ताकि इन हमलों को अंजाम दिया जाना सुनिश्चित किया जा सके.
सुरक्षा एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दो महीनों में, आतंकवादियों के कम-से-कम ‘चार से पांच’ समूह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से घुसपैठ करने में कामयाब रहे है. इनमें से प्रत्येक समूह में आम तौर पर चार से छह आतंकवादी शामिल होते हैं.
हालांकि भारतीय सेना ने घुसपैठ की कई कोशिशों को नाकाम करने में सफलता पायी है, कई आतंकवादियों को मार गिराया है तथा हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा बरामद किया है, फिर भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कुछ समूह भीतर घुसने में कामयाब रहे.
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स्थानीय नेतृत्व के सफाये के बाद पुराने आतंकियों को भेज रहा है पाकिस्तान
सूत्रों ने बताया कि ‘छोटा वालिद’ एकमात्र ऐसा पुराना आतंकी नहीं है जो इस पार आया है. उनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय नेतृत्व का सफाया हो जाने के बाद, पाकिस्तान ऐसे पुराने आतंकवादियों को, जो पहले भी यहां रह चुके हैं, भेजकर स्थानीय आतंकवादियों को ‘नेतृत्व’ प्रदान करने का प्रयास कर रहा है.
सूत्रों ने कहा कि सितंबर के अंत में नियंत्रण रेखा के उरी सेक्टर में एक सैन्य अभियान में मारे गए आतंकवादियों में से एक की उम्र तीसरे दशक के अंत वाली दिखाई पड़ती थी. एक और आतंकी जिंदा पकड़ा गया.
एक दूसरे सूत्र ने बताया, ‘पिछले कुछ वर्षों में निरंतर ऐसे आतंक-रोधी अभियान चलाए गए हैं जो इन आतंकवादी समूहों के तथाकथित नेतृत्व को निशाना बनाते हैं. इनके तहत ही स्थानीय नेतृत्व का सफाया कर दिया गया है.’
इस सूत्र ने कहा कि अब पाकिस्तान का प्रयास पुराने आतंकवादियों को, जो अपने 30 के दशक वाली आयु में हैं, को भारत में घुसा कर नेतृत्व प्रदान करने का है.
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कई तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं
जम्मू और कश्मीर पुलिस, अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर, अल्पसंख्यक समुदायों – हिंदुओं और सिखों – पर 5 अक्टूबर से शुरू हुए हमलों के बाद से हीं कई तलाशी अभियान चला रही है. इन हमलों में अब तक चार अल्पसंख्यक कश्मीरियों और बिहार के एक रेहड़ी-पटरी वाले जान भी चली गई है.
सूत्रों ने कहा कि आतंकी समूहों के कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) को भी हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है.
सुरक्षा एजेंसियों ने लगभग 4-5 ऐसे स्थानीय आतंकवादियों की पहचान की है जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने ही इन हमलों को अंजाम दिया है. हालांकि, फिलहाल सभी एजेंसियों उन्होंने उनके नामों के बारे में चुप्पी साध रखी है, क्योंकि उन्हें लगता है कि और अधिक लक्षित हमले हो सकते हैं – अतः इस वक्त प्राथमिकता अपराधियों का पता लगाने और उन्हें कानून की जद में लाने की है.
सूत्रों ने कहा कि कई सारे दल इस मामले पर काम कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना, सीआरपीएफ एवं खुफिया एजेंसियों के बीच पुरे समन्वय के साथ काम हो रहा है.
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