नई दिल्ली: शुक्रवार को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत (IAC),की निर्माण कार्य की समीक्षा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, अगले महीने इसका समुद्री ट्रायल शुरू होगा और 2022 के मध्य तक INS विक्रांत के रूप में पूर्वी नौसेना कमान में शामिल होने के लिए तैयार हो जाएगा.
लगभग 24,000 करोड़ रुपये की परियोजना देरी की वजह से प्रभावित हुई है. जबकि इसकी कमीशनिंग का टार्गेट साल 2018 था. लेकिन कोविड महामारी की वजह से योजना में देरी हुई है.
नौसेना के सूत्रों ने कहा कि जहाज ने नवंबर 2020 में सफलतापूर्वक ‘बेसिन परीक्षण’ पूरा कर लिया था, जिसके दौरान बंदरगाह में जहाज के प्रोपलस्न और बिजली उत्पादन प्रणालियों का भी परीक्षण किया गया था.
परीक्षण के बाद, कई अन्य नौवहन, संचार और परिचालन प्रणालियों का नेवीगेशन किया गया.
हालांकि, इस साल की शुरुआत में जहाज के समुद्री परीक्षणों की उम्मीद थी, लेकिन विदेशों से आने वाले नौसेना अधिकारियों और विशेषज्ञों के क्वारेंटाइन और कोविड के कारण लगे लॉकडाउन की वजह के इसमें देरी हुई.
सूत्रों ने कहा कि अगर इस साल की शुरुआत में समुद्री परीक्षण शुरू हो गया होता तो इसी साल के अंत तक जहाज को चालू कर दिया गया होता.
उन्होंने कहा कि समुद्री ट्रायल अब जुलाई में शुरू होने की उम्मीद है और जहाज के ‘मूव’ पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि यह देखा जा सके कि पानी में जहाज की चाल कैसी है.
सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो 40,000 टन वाले जहाज के अगले साल के मध्य तक चालू होने की उम्मीद है.
IAC का इतिहास 1
हालांकि जहाज के लिए ओरीजिनल प्लान 1989 में ही तैयार कर लिया गया था, लेकिन इसे हरी झंडी 1999 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने दिखाई जिसके बाद परियोजना ने के डिजाइन का काम नए सिरे से शुरू हुआ. यह पूरी परियोजना दस वर्षों तक वित्तीय संसाधनों सहित कई कारणों से अटकी हुई थी.
पोत की परियोजना फरवरी 2009 में रखी गई थी. फिर इसकी रफ्तार धीमी पड़ गई. इसे दिसंबर 2011 में एकबार फिर मंद पर चुकी योजना से बाहर निकाला गया था और 12 अगस्त 2013 को लॉन्च किया गया.
इसे भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (DND) द्वारा डिजाइन किया गया है और इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में बनाया जा रहा है.
नौसेना के सूत्रों ने कहा कि आईएसी सबसे जटिल युद्धपोत निर्माण परियोजना है जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है.
उन्होंने समझाया कि कारों, विमानों, टैंकों को पहले प्रोटोटाइप के रूप में विकसित किया जाता है और एक्सटेंसिव प्रोटोटाइप परीक्षण के पूरा होने के बाद, उन्हें बड़ी संख्या में मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग कर दोहराया जाता है, लेकिन युद्धपोत बनाने की प्रक्रिया कहीं अधिक जटिल होती है क्योंकि ये प्रोटोटाइप-आधारित नहीं होते हैं .
युद्धपोतों को इस तरह तैयार किया जाता कि उनके निर्माण के स्तर पर ही यह स्पष्ट रहे कि उनकी सप्लाई चेन कैसे काम करेगी.
IAC की युद्ध क्षमता
IAC 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है और इसमें स्की जंप क्षमता के साथ STOBAR (शॉर्ट टेकऑफ़ लेकिन अरेस्ट रिकवरी) का कॉन्फ़िगरेशन भी है.
एक बार चालू हो जाने के बाद, आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना की सबसे शक्तिशाली समुद्री-आधारित एसेट होगा.
करियर के पास लगभग 35-40 विमान होंगे – जिसमें नेवल फाइटर्स, पनडुब्बी रोधी हेलीकाप्टर और नौसेना यूएवी भी होंगे.
विमान के कंपोनेंट में मिग-29 लड़ाकू विमान, कामोव-31 एयर अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, जल्द ही शामिल होने वालों में एमएच-60आर ( MH-60R) बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर और स्वदेशी एडवांस्ड हल्के हेलीकॉप्टर शामिल हैं.
एक सूत्र ने कहा, ‘यह लंबी दूरी पर एयर पावर को प्रक्षेपित करने की क्षमता के साथ एक अतुलनीय सैन्य उपकरण साबित होगा, जिसमें एयर इंटरडिक्सन, एंटी सरफेस वारफेयर, आक्रामक और रक्षात्मक जवाबी कार्रवाई, हवाई पनडुब्बी रोधी युद्ध और हवा में पहले दी जाने वाली चेतावनी भी शामिल हैं.’
यह चार OTO मेलारा 76mm दोहरे इस्तेमाल वाली तोपों के अलावा, INS विक्रांत, चार AK-630 क्लोज-इन वेपन सिस्टम से भी लैस है.
इसमें दो 32 सेल वीएलएस (वर्टिकल लॉन्च सिस्टम) भी हैं, जो कुल 64 मिसाइल दागने में सक्षम हैं. यह कम दूरी के लिए इजरायली बराक 1 सरफेस से हवा में मार करने वाली मिसाइल और लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और मिसाइलों सहित एरियल टारगेट के खिलाफ लंबी दूरी की रक्षा के लिए बराक 8 से लैस है.
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