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Wednesday, 9 October, 2024
होमडिफेंसफ्रेंच दसॉल्ट vs यूएस बोइंग- भारतीय वायु सेना और नौसेना के बीच विभाजित हो सकती है मेगा फाइटर डील

फ्रेंच दसॉल्ट vs यूएस बोइंग- भारतीय वायु सेना और नौसेना के बीच विभाजित हो सकती है मेगा फाइटर डील

पहले बनी योजना के अनुसार एक बार में 114 लड़ाकू विमानों की खरीद बजाय, भारत सरकार भारतीय वायुसेना के लिए 54 विमानों के प्रारंभिक क्रय आदेश पर विचार कर रही है. उधर, नौसेना 26 लड़ाकू विमान खरीदने पर विचार कर रही है.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान) की ख़रीद का कोई बड़ा सौदा (मेगा डील) करने की बजाय को इसे दो अलग-अलग ऑर्डरस में बांटने पर विचार कर रही है, हालांकि, नौसेना अपने लिए भी अलग से लड़ाकू विमान खरीदने के कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है.

भारतीय रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि पहले बनाई गई योजना के अनुसार एक बार में 114 लड़ाकू विमानों को अधिगृहित करने (खरीदने) के बजाय सरकार भारतीय वायुसेना के लिए 54 विमानों के प्रारंभिक क्रय आदेश पर विचार कर रही है.

इसमें 18 लड़ाकू विमान विदेशी मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) से ऑफ-द-शेल्फ (बने बनाये रूप में) खरीदे जा रहे हैं और शेष 36 फाइटर ‘मेक इन इंडिया’ कार्यकम के तहत एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत में ही बनाए जा रहे हैं.

यह एक ऐसा ऑर्डर होगा जिसे सीधे विदेशी ओईएम को दिया जाएगा.

यह पूछे जाने पर कि भारतीय वायुसेना की इसके बाद की जरूरतों का क्या होगा, सूत्रों ने बताया कि संयुक्त उद्यम को एक फॉलो-अप आर्डर दिया जाएगा और यह सौदा भारतीय मुद्रा में होगा.

हालांकि सूत्रों ने इस बारे में कोई अनुमान लगाने से इनकार कर दिया कि क्या इसके लिए कोई वैश्विक निविदा (ग्लोबल टेंडर) जारी की जाएगी, पर आईएएफ वाले सौदे के लिए मुख्य प्रतद्वंद्वी फर्में अमेरिकी फर्म बोइंग और फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन होंगी.

‘राफेल विमानों से खुश है वायुसेना’

भारत पहले ही दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है और यह उनके प्रशिक्षण के लिए दो अलग-अलग सिमुलेटर के साथ दो बेस स्थापित कर चुका है.

फ्रांस में, प्रत्येक बेस 72 विमानों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है और इसलिए भारत द्वारा केवल 36 विमाओं के लिए दो अलग-अलग बेस बनाया जाना एक आश्चर्य जैसा था और इस बात के एक संकेत के रूप में था कि इसके द्वारा और अधिक राफेल जेट खरीदे जा सकते हैं.


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बोइंग, जो इस मेगा डील को हासिल करने के लिए काफी अधिक इच्छुक है, अंतिम तकनीकी आवश्यकताओं के आधार पर यह तय करेगी कि आईएएफ – एफ/ए- 18 सुपर हॉर्नेट ब्लॉक 3 या एफ -15 एक्स में से किस विमान की पेशकश की जाए.

अतीत में, दोनों ही कंपनियों ने निजी बातचीत में कहा है कि भारत में अपनी उत्पादन शृंखला (प्रोडक्शन लाइन) शुरू करने की कोई भी योजना ऑर्डर किए गए विमानों की संख्या पर निर्भर करेगी.

दसॉल्ट एविएशन ने तो आधिकारिक रूप से कहा था कि भारत में प्रोडक्शन लाइन शुरू करने के लिए, कम से कम 100 लड़ाकू विमानों के लिए न्यूनतम आदेश की आवश्यकता है.

हालांकि, यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि 54 विमानों के लिए दिए जाने वाले ऑर्डर के पूरा होने के बाद के फॉलो-ऑन ऑर्डर में विमानों की संख्या कितनी होगी.

आईएएफ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क 1A और भविष्य की पीढ़ी के स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के साथ मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट पर भरोसा कर रहा है.

इस बीच सूत्रों ने संकेत दिया है कि आईएएफ राफेल फाइटर्स से खुश है और अगर इसी तरह के और अधिक विमान ख़रीदे जाते हैं, तो यह सरकार का निर्णय होगा.

राफेल विमान की भविष्य में की जाने वाली कोई भी खरीद पहले खरीदे गए 36 विमानों की तुलना में सस्ती होगी.

ऐसा इसलिए है क्योंकि राफेल में भारत-विशिष्ट संवर्द्धन (इंडिया स्पेसिफिक एन्हांसमेंट) के लिए भुगतान किए गए €1,700 मिलियन का एक बड़ा घटक कम हो जाएगा क्योंकि इसकी अधिकांश लागत अनुसंधान और विकास, संशोधन (मॉडिफिकेशन) और प्रमाणन (सर्टफिकेशन) के लिए थी.

बेस और प्रशिक्षण की लागत में भी कमी आएगी क्योंकि भारत ने सिर्फ 36 विमानों के लिए दो बेस स्थापित करने हेतु भुगतान किया था. ये बेस बिना किसी अतिरिक्त लागत के राफेल के अतिरिक्त स्क्वाड्रन को आसानी से समायोजित कर सकते हैं.

साथ ही, सरकार की नई नीति के तहत भविष्य के राफेल लड़ाकू विमान बिना किसी ऑफसेट के आएंगे, जिससे इसके लागत में और कमी आएगी.

राफेल, आईएएफ के लड़ाकू विमानों के प्रकारों में सांतवां है और यह दुनिया में प्रमुख वायु सेनाओं की तुलना में इस वायु सेना के लिए एक अनोखी उपलब्धि है.

नौसेना भी अपने लिए फाइटर्स का अलग से सौदा करने के लिए कर रही है तैयारी

यह भी पता चला है कि नौसेना भारतीय वायुसेना के साथ अपने सौदे को टैग करने के बजाय अपने विमानवाहक पोतों के लिए अलग से लड़ाकू विमान खरीदने पर विचार कर रही है.

इससे पहले, साल 2020 में, तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा था कि नौसेना एक संभावित संयुक्त खरीद के लिए भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर काम करने की कोशिश कर रही है.

नौसेना, जिसकी शुरआती योजना 57 लड़ाकू विमानों को खरीदने की थी, अब केवल 26 विमान को खरीदने पर विचार कर रही है. नौ सेना वाले कॉन्ट्रैक्ट के लिए भी मुख्य मुकाबला बोइंग और दसॉल्ट एविएशन के बीच ही है.

भारतीय विमान वाहक से संचालित किये जा सकने की अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से दो बोइंग एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट, जो अमेरिकी नौसेना से लीज पर लिए गए हैं, गोवा स्थित आईएनएस हंसा में तट-आधारित परीक्षण सुविधा (शोर बेस्ड ट्रेनिंग फैसिलिटी एसबीटीएफ) से अपनी स्की-जंप का प्रदर्शन कर रहे हैं.

ऐसा दसॉल्ट एविएशन द्वारा किये गए इसी तरह के प्रदर्शन के बाद किया जा रहा है.

सूत्रों का कहना है कि इन सभी 26 विमानों ऑफ-द-शेल्फ खरीदा जाएगा. हालांकि, यह देखते हुए कि भारत इस साल अगस्त तक दो विमान वाहक पोतों का संचालन करने लगेगा और इसे अपने मौजूदा मिग-29K विमानों के बेड़े के साथ कई समस्याओं का सामना कर रहा है, नौसेना द्वारा आने वाले वर्षों में और अधिक नए लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में जोड़े जाने की संभावना है.

अगर नौसेना भारतीय वायुसेना के साथ साझा सौदा करने के बजाय अपनी स्वयं की खरीद प्रक्रिया के साथ जाने का फैसला करती है, तो इसका फायदा बोइंग को मिल सकता है.

ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके सिंगल-सीटर और ट्विन-सीटर दोनों ही तरह के विमान विमानवाहक पोत से संचालित किये जाने में सक्षम हैं, इसके उलट राफेल एम का ट्विन-सीटर विमान समुद्र तट से ही संचालित होता है.

एक अन्य पहलू जिस पर बोइंग जोर दे रहा है वह है इंटरऑपरेबिलिटी. इस अमेरिकी फर्म का कहना है कि सुपर हॉर्नेट उन प्रणालियों और प्लेटफार्मों के अनुकूल हैं जिन्हें भारतीय नौसेना पहले से ही संचालित या हासिल कर चुकी है जैसे कि एमएच -60 रोमियो एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर, और पी-8 आई पोसीडॉन लंबी दूरी के समुद्री विमान.

बोइंग का कहना है कि राफेल एम की तुलना में अधिक जहाज-रोधी (एंटी शिप) मिसाइलों को ले जाने वाला यह विमान सभी एसेट्स का एक-दूसरे से संवाद करने और संचालन के क्षेत्र में समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने के साथ और अधिक शक्तिशाली हो जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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