नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है, कि ऐसा समझा जा रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना की, 36वीं एस्कॉर्ट टास्क फोर्स, जिसमें एक गाइडेड-मिसाइल डेस्ट्रॉयर, एक मिसाइल फ्रिगेट और एक सप्लाई वैसल शामिल हैं, 3 सितंबर को निकलने के बाद, वह भारतीय महासागर में प्रवेश किया.
ये जहाज़ एंटी-पायरेसी ऑपरेशन्स के लिए होते हैं, लेकिन ये तैनाती ऐसे समय में हुई है, जब पीएलए आईओआर में अपनी ताक़त दिखाना चाह रही है, जबकि लद्दाख़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर, भारत और चीन के बीच पहले ही भारी तनाव चल रहा है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा, कि समझा जा रहा है कि टास्क फोर्स भारतीय महासागर में दाख़िल हो गई है. सूत्रों ने इस पर टिप्पणी करने इनकार कर दिया, कि क्या चीनी तैनाती को ट्रैक किया जा रहा है, लेकिन ये ज़रूर कहा कि भारतीय नौसेना, देश के आसपास के पानी पर क़रीबी नज़र रखती है.
भारत और चीन दोनों, पानी में अपनी पहुंच और क्षमता के बारे में, एक दूसरे को संकेत दे रहे हैं. नई दिल्ली अपने आपको आईओआर में, अगला सुरक्षा देने वाला मानती है.
सोमवार को, चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने ख़बर दी, कि एक पीएलए नौसैनिक जहाज़ ने, 31 सदस्यीय क्रू वाले एक भारतीय तेल टैंकर का, अदन की खाड़ी में एक निर्दिष्ट समुद्री क्षेत्र तक मार्गदर्शन किया.
भारतीय रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान ने, इस घटना का तुरंत संज्ञान लिया. इस क्षेत्र में ऑपरेट कर रहीं सभी नौसेनाएं, एस्कॉर्ट सेवाएं मुहैया कराती हैं, जिनमें भारतीय नौसेना भी शामिल है, लेकिन चीनियों ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिसे इस क्षेत्र में चीन द्वारा, अपनी क्षमता और मौजूदगी के दिखावे के रूप में देखा गया.
एक सूत्र ने कहा, ‘यही अंतर है एक आधिपत्य वाली शक्ति, और भारत जैसी यथास्थिति वाली समुद्री शक्ति में. भारतीय नौसेना किसी झंडे, स्टेट, या राष्ट्रीयता का ख़याल किए बिना, इंडो-पैसिफिक में समुद्री व्यापार का संरक्षण करती रही है, लेकिन सीपीसी (चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी) की नौसेना, विश्व महासागरीय व्यापार को धमकाने का मौक़ा ढूंढती है’.
इसके फौरन बाद ख़बर मिली, कि भारतीय नौसेना एक चीनी रिसर्च वैसल को ट्रैक कर रही थी. अगस्त में एक सेटेलाइट ट्रैकिंग यान युआन वांग, मलक्का जलडमरूमध्य की ओर से आईओआर में दाख़िल हो गया था. भारतीय नौसैनिक जहाज और इस क्षेत्र में तैनात, लंबी दूरी तक निगरानी करने वाला मैरिटाइम विमान पी8आई, इस यान पर लगातार नज़र रखे हुए थे.
सूत्रों ने कहा कि भारतीय नौसेना आईओआर में, सभी युद्धपोतों के मूवमेंट पर क़रीबी नज़र रखती है, ख़ासकर चीनी युद्धपोतों पर.
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भारतीय नौसेना की चालें
सूत्रों ने बताया कि लद्दाख़ में गतिरोध के बीच, भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ‘ख़ामोश सेवा’, समुद्री क्षेत्र में निपुणता के साथ अपनी चालें चलती रही है.
जुलाई में ख़बर दी गई थी, कि चीन को एक स्पष्ट ‘संदेश’ देने के लिए, पूर्वी और पश्चिमी नौसैनिक कमांड्स ने, आईओआर में काफी संख्या में जहाज़ तैनात किए थे.
एक सूत्र ने कहा, ‘अगस्त के अंत में ख़बरें थीं, कि भारतीय नौसेना के जंगी जहाज़, अब साउथ चाइना सी में मौजूद हैं, जोकि चीन के खिलाफ भारत के समुद्री रुख़ में, एक गूढ़ लेकिन अहम बदलाव था. ऑपरेट करने के फलसफ़े में ये बदलाव, सरकार के क्रमिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसपर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मंगलवार को, संसद में दिए अपने भाषण में ज़ोर दिया था- संकल्प दिखाते हुए, शांति चाहिए.’
साउथ चाइना सी में भारतीय युद्धपोतों की मौजूदगी की ख़बरों के बीच, ग्लोबल टाइम्स में एक संपादकीय छपा, जिसमें दावा किया गया था, कि खुले समुद्र में दबाव बनाकर, भारत सीमा के मुद्दे से चीन का ध्यान हटाना चाहता है. उसमें आगे कहा गया कि साउथ चाइना सी में, भारतीय नौसेना के प्रसार की संभावना को, ख़ारिज नहीं किया जा सकता.
नई रणनीति
सूत्रों ने समझाया कि भारतीय नौसेना 2017 से, मिशन आधारित तैनाती की, अपनी नई पैंतरेबाज़ी पर अमल करती आ रही है, जिसमें आईओआर के दूरगामी क्षेत्रों में, युद्ध के लिए तैयार जंगी जहाज़ों की तैनाती शामिल है.
भारत की पहुंच और क्षमता की हालिया मिसाल देते हुए, सूत्रों ने कहा कि सितंबर महीने में ही, निरीक्षक नाम के एक डीप-डाइविंग मिशन पोत को, एमवी वकाशियो को उबारने में सहायता करने के लिए, मॉरीशस में तैनात किया था. गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक रणविजय, और फ्लीट टैंकर शक्ति ने भी, बंगाल की खाड़ी में रूसी नौसैनिक युद्धपोतों के साथ, दो दिन तक जटिल समुद्री अभ्यास (इंद्रा-2020) किए.
ऊपर हवाला दिए गए एक सूत्र ने कहा, ‘एक गोपनीय युद्धपोत- सहयाद्री, पिछले दो हफ्ते से श्रीलंका के तट से दूर, एक बहुत विशाल क्रूड कैरियर एमटी न्यू डायमंड को, उबारने में सहायता कर रहा है, जबकि एक दूसरे गोपनीय युद्धपोत तलवार ने, उत्तरी अरब सागर में मिशन तैनाती के दौरान, अमेरिकी नौसेना के एक फ्लीट टैंकर यूकॉन, से रीफ्यूलिंग कराई.
सूत्र ने कहा, ‘इसके अलावा, भारतीय नौसेना ने ये भी कहा है, कि एंटी-पायरेसी गश्त के लिए, वो एक युद्धपोत अदन की खाड़ी में मौजूद रखती है, और ऑपरेशन संकल्प (भारतीय झंडे के व्यापारी जहाजों के संरक्षण) के लिए, एक युद्धपोत फारस की खाड़ी में रखती है.’
इन तैनातियों की गंभीरता से पीएलए नौसेना भी अनभिज्ञ नहीं है, जो इस बात से वाक़िफ है, कि मुख्य अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लेन्स में सवार भारत की केंद्रीय स्थिति, उसे स्पष्ट फायदा पहुंचाती है.
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