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Saturday, 4 May, 2024
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संसदीय कमिटी ने भावी थिएटर कमांडरों के लिए अनुशासनात्मक शक्तियों पर विधेयक को दी हरी झंडी

अगर यह कानून बन जाता है, तो विधेयक अंतर-सेवा संगठनों के प्रभारी को 'अपने' आदेश के तहत सेवारत या उससे जुड़े किसी भी सेवा के कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति देगा.

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नई दिल्ली: जैसे ही भारतीय सेना एकीकृत थिएटर कमांड की ओर बढ़ रही है, एक संसदीय स्थायी समिति ने एक कानून लाने की योजना को मंजूरी दे दी है जो सभी मौजूदा त्रि-सेवा और भविष्य के थिएटर कमांडरों को उनके अधीन कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने में सक्षम बनाएगी.

यह कदम भारत द्वारा अपनी पहली त्रि-सेवा कमान — अंडमान और निकोबार कमान बनाने के 22 साल बाद उठाया गया है.

जबकि रक्षा मंत्रालय ने इस साल मार्च में अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पेश किया था, इसे रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया था.

समिति ने शुक्रवार को पेश अपनी रिपोर्ट में विधेयक का समर्थन किया है और इसे बिना किसी संशोधन के पारित करने की मांग की है.

भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कार्मिक उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों — सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957, वायु सेना अधिनियम 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार शासित होते हैं.

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जब ये अधिनियम लागू किए गए, तो अधिकांश सेवा संगठन बड़े पैमाने पर एक ही सेवा के कर्मियों से बने थे.

हालांकि, वर्तमान में कई अंतर-सेवा संगठन (आईएसओ) मौजूद हैं जैसे अंडमान और निकोबार कमांड, सामरिक बल कमांड, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज जैसे संयुक्त प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, जहां विभिन्न सेवाओं के कर्मी एक साथ काम करते हैं.

इस तथ्य के बावजूद कि कई अंतर-सेवा संगठन पूरी तरह से चालू हैं, अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सेवाओं से संबंधित कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है.

संबंधित सेवाओं के अधिकारियों को केवल संबंधित सेवा अधिनियमों के तहत सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार है. इसलिए, इन अंतर-सेवा संगठनों में सेवारत कर्मियों को किसी भी अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई से गुजरने के लिए उनकी मूल सेवा इकाइयों में वापस भेजने की आवश्यकता है.


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संसदीय पैनल ने क्या कहा

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी रिपोर्ट किया था, नया कानून एक अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को किसी भी सेवा के कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति देगा जो “उसके” कमांड के तहत सेवा कर रहे हैं या उससे जुड़े हुए हैं.

संयोग से बिल जेंडर तटस्थ होने के बजाय कमांडिंग अधिकारियों का ज़िक्र करते समय सर्वनाम “उसका” का उपयोग करता है, भले ही सशस्त्र बलों ने अब महिलाओं को कमांड भूमिकाएं संभालने की अनुमति दी है.

यह नया बिल ऐसे समय में आया है जब भारत थिएटर कमांड बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसमें तीनों सेनाओं के कर्मी एक कमांडर के अधीन होंगे, जो थिएटर के आधार पर किसी भी सेवा से हो सकते हैं.

जैसा कि बताया गया है, भारत पाकिस्तान और चीन से मुकाबला करने के लिए दो एकीकृत थिएटर कमांड स्थापित करने पर काम तेज़ कर रहा है, जिसमें पहला पश्चिमी सीमाओं के सामने और साथ ही एक समुद्री थिएटर कमांड भी है.

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह पता चला है कि विधेयक के प्रयोजन के लिए, अपेक्षित अनुशासनात्मक शक्तियों को निष्पादित करने के लिए संगठन की क्षमता के आधार पर एक आईएसओ का गठन/अधिसूचित/घोषित करना होगा.

उदाहरण के लिए, अंडमान और निकोबार कमांड, भारतीय सशस्त्र बलों की त्रि-सेवा थिएटर कमांड, अभी भी बिल के प्रयोजन के लिए आईएसओ के रूप में ‘गठित’/अधिसूचित नहीं है.

समिति ने कहा कि विधेयक के अधिनियमित होने के बाद केंद्र सरकार के पास किसी संगठन या इकाई या प्रतिष्ठान को आईएसओ के रूप में “गठित” करने की शक्ति है, जो विधेयक के जनादेश को निष्पादित करने की उसकी क्षमता पर निर्भर करता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में समिति ने कहा कि उसका विचार है कि विधेयक के अधिनियमन से अंतर-सेवा संगठनों या प्रतिष्ठानों में अधिक एकीकरण और संयुक्त कौशल की शुरुआत होगी.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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