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Sunday, 10 November, 2024
होमडिफेंसNSA अजीत डोभाल ने श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंडा मोरागोडा से मुलाकात की और मदद का वादा किया

NSA अजीत डोभाल ने श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंडा मोरागोडा से मुलाकात की और मदद का वादा किया

उग्र विरोधों का सामना कर रहे श्रीलंका द्वारा राष्ट्रपति शासन प्रणाली में बदलाव को लेकर उठाए जाने वाले अगले 'बड़े कदम' पर भारत 'बारीकी से' नजर रखे हुए है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने गुरुवार को श्रीलंका के उच्चायुक्त मिलिंडा मोरागोडा से मुलाकात की और उन्हें आने वाले महीनों में और मदद का भरोसा दिया.

आधिकारिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बैठक के दौरान भारत और श्रीलंका ने कोलंबो में चल रहे राजनीतिक और आर्थिक संकट और महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद रानिल विक्रमसिंघे की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति पर चर्चा की.

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देश में विरोध प्रदर्शनों के चलते मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफा देने के बाद, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे एक पूर्ण कैबिनेट गठित करने की कोशिशों में लगे हैं. ये विरोध प्रदर्शन दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. गोतबाया को हटाना प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में से एक है.

सूत्रों ने कहा कि श्रीलंका अपने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति शासन प्रणाली को खत्म करने की योजना बना रहा है. भारत श्रीलंका के इस अगले ‘बड़े कदम’ पर भी ‘बारीकी से नजर’ बनाए हुए है.

पीएम विक्रमसिंघे कथित तौर पर संविधान में 21वां संशोधन पेश करने की योजना बना रहे हैं. यह संशोधन 20ए प्रावधान की जगह लेगा जिसके तहत राष्ट्रपति के पास सभी शक्तियां हैं.

एनएसए डोभाल के साथ बैठक में डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री और श्रीलंका के उप उच्चायुक्त निलुका कडुरुगामुवा भी शामिल थे. बैठक में कोलंबो ने भारत से अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने में मदद का अनुरोध किया.

श्रीलंकाई उच्चायोग के एक प्रेस बयान में कहा गया है, ‘उच्चायुक्त मोरागोडा ने श्रीलंका में आर्थिक सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में भारत से मदद का अनुरोध किया, जिस पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.’

बयान में आगे कहा गया, ‘चर्चा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई और भविष्य के सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया. चर्चा विशेष रूप से श्रीलंका में वर्तमान आर्थिक संकट पर केंद्रित थी और उच्चायुक्त ने स्थिति से निपटने में भारत सरकार द्वारा श्रीलंका को दिए गए समर्थन के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को धन्यवाद दिया’

गुरुवार को कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने भी एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें उसने सभी भारतीय नागरिकों – एनआरआई और छात्रों- को एक लिंक के जरिए आधिकारिक वेबसाइट पर अपना विवरण दर्ज करने के लिए कहा. हालांकि यह भी कहा कि यह कोई नया लिंक नहीं है, समय-समय पर डेटाबेस को अपडेट रखने के लिए ऐसा किया जाता है.

‘मातृभूमि की रक्षा करें’

संकट के शुरुआती दिनों में श्रीलंका ने भारत से कहा था कि क्या वह अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान जैसे अपने कुछ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय भागीदारों तक पहुंच बना सकता है और कोलंबो के लिए वित्तीय मदद लेने के लिए ‘गारंटर’ की भूमिका निभा सकता है.

भारत ने इस वर्ष अकेले श्रीलंका के लोगों को आर्थिक कठिनाइयों से निपटने के लिए $3.5 बिलियन से ज्यादा की मदद की है. इसके अलावा भारत ने भोजन और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी को कम करने में भी सहायता की है.

गुरुवार को लिट्टे पर श्रीलंका की जीत की 13 वीं वर्षगांठ में चिह्नित किया गया था, गोटाबाया ने कहा कि स्थानीय और विदेशी समूह देश में चल रहे संकट का ‘दुरुपयोग’ करने और इसे अस्थिर करने का प्रयास कर रहे थे.

गोटाबाया जो रक्षा मंत्री भी हैं, उन्होंने कहा, ‘आज हम जिस संकट की स्थिति से गुजर रहे हैं, हममें से किसी को भी ऐसी उम्मीद नहीं थी. आर्थिक संकट एक राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल की ओर बढ़ गया है. किसी भी परिस्थिति में हम इस देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा की नीति की अवहेलना नहीं करेंगे’ उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि इन सबसे ऊपर हमारी इच्छा मातृभूमि की रक्षा करने की है.’

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि विभिन्न स्थानीय, विदेशी समूह और व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने के बहाने आर्थिक और राजनीतिक संकट का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. हमें इसे एक साथ हराना होगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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