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Thursday, 21 November, 2024
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नाइट विजन कैपेबिलिटी, सी-थ्रू आर्मर—भारतीय सेना अपने रूसी युद्धक वाहनों को कैसे अपग्रेड कर रही

बीएमपी-2 भारत की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की रीढ़ है और पूर्वी लद्दाख में बड़ी संख्या में मौजूदगी के साथ यह जिन भी इलाकों में तैनात है, जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसमें अपग्रेड के लिए यूजर ट्रायल जारी हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय सेना ने तीन निजी कंपनियों के सहयोग के साथ 2,500 से अधिक रूसी इन्फैंट्री लड़ाकू वाहनों—बीएमपी 2—के अपग्रेडेशन के लिए ट्रायल शुरू कर दिए हैं. इसका उद्देश्य 1980 के दशक के उत्तरार्ध से सेवारत इन सैन्य वाहनों को रात में लड़ने की क्षमता प्रदान करने के साथ-साथ ड्रोन रोधी बनाना और इन्हें हाई-पावर इंजन वाला बनाना है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अपग्रेड किए जाने के तहत इन्हें एक खास आकार तक ड्रोन और लक्ष्यभेदी सैन्य उपकरणों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम बनाया जाना है.

सूत्रों ने बताया कि इस अपग्रेडेशन में विशेष तौर पर बीएमपी-2 के गनर मेन साइट, कमांडर पैनोरमिक साइट, फायर कंट्रोल सिस्टम, ऑटोमैटिक टार्गेट ट्रैकर और लेजर रेंज फाइंडर को उन्नत बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है.

अच्छी हालत वाले पुराने बीएमपी 2 भारत की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की रीढ़ है और अपनी तैनाती के दौरान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें पूर्वी लद्दाख भी शामिल है जहां इसे चीनियों से निपटने के लिए बड़ी संख्या में तैनात किया गया है.

रूस के लाइसेंस के साथ सरकारी स्वामित्व वाले आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) की तरफ से निर्मित किए गए बीएमपी में नाइटविजन क्षमता का अभाव है और सूरज डूबने के बाद या फिर जब धुआं, धूल या कोहरा होता है तो बाहर कुछ दिखाई न देने के कारण ये कारगर नहीं रहते. इसी वजह से सेना इसमें अपग्रेड की उत्सुक थी, यहां तक कि वह फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (एफआईसीवी) के लिए एक अलग प्रोग्राम भी चला रही है, जो बीएमपी की जगह लेंगे.

कार्यक्रम को सरकार की आईडेक्स (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) पहल के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है जिसमें तीन फर्मों को इसके योग्य पाया गया है.

सूत्रों ने बताया कि इन तीन कंपनियों में टोनबो इमेजिंग, बिग बैंग बूम और डाइमेंशन एनएक्सजी शामिल हैं. संयोग से, बेंगलुरु स्थित टोनबो इमेजिंग एकमात्र स्टार्ट-अप है जिसने खुद को साबित किया है और सफलता के साथ एक ऑपरेशनल सिस्टम तैनात किया है. सूत्रों ने बताया कि, इसने आईडेक्स चैलेंज को पहले पूरा कर लिया क्योंकि इसके पास पहले से ही एक वर्किंग प्रोडक्ट है.

अन्य कंपनियों में से एक के सिस्टम में कार्यात्मक स्तर पर त्रुटियां मिली और दूसरी में कोई कॉन्सेप्ट नहीं था. सूत्रों ने स्पष्ट किया कि ट्रायल में देरी इसलिए भी हुई कि सेना टेस्ट के लिए और अधिक कंपनियों को शामिल करके एक सिंगल वेंडर वाली स्थिति से बचना चाहती थी, जबकि एक भारतीय कंपनी ने बहुत पहले ही सफलतापूर्वक मानदंडों को पूरा कर लिया था.

अपग्रेडेशन के लिए यूजर ट्रायल पिछले हफ्ते हैदराबाद में शुरू हुआ और सबसे बड़ा बदलाव ‘सी थ्रू आर्मर’ होगा जो बीएमपी के अंदर बैठे सैनिकों को बाहर का पूरा नजारा देखने में सक्षम बनाएगा, फिर समय चाहे रात का हो या फिर रात का.

एक सूत्र ने कहा, ‘सी-थ्रू बख्तरबंद वाहन एक बड़ी तकनीकी छलांग साबित होगा, जो हर परिस्थिति के बारे में जानकारी रखने में सक्षम बनाएगा.’

दिप्रिंट ने 2021 में ‘सी थ्रू आर्मर’ की एक फिजिकल प्रेजेंटेशन देखी थी जो कि कमांडर, उसके ड्राइवर और गनमैन को रात में भी पूरी 360-डिग्री का नजारा देखने में सक्षम बनाता है. यह तकनीक वाहन को चौतरफा खतरों से बचाती है और युद्ध में एक अतिरिक्त ताकत प्रदान करती है.

बीएमपी की कमजोरी का समाधान कैमरों और चुंबकीय ट्रैकर्स के जरिये निकाला जाएगा. बीएमपी में आधा दर्जन से अधिक कैमरे लगे होंगे जिन्हें हेलमेट डिस्प्ले के साथ जोड़ा जाएगा. इसका मतलब यह है कि मानो कमांडर ने अपना सिर दाहिनी ओर घुमाया तो हेडगियर आसपास की इमेज को इस तरह टैंक के अंदर दिखाएगा जिससे कमांडर को लगेगा कि उसे बख्तरबंद के आरपार दिख रहा है. चुंबकीय ट्रैकर हेडगियर पहनने वाले के सिर की गति को भांप लेता है और उसी दिशा के वीडियो प्रदर्शित करता है.

अपडेट के तहत आर्मर को इस हद तक सक्षम बनना है कि सटीक लक्ष्य साधने और स्थिति के मूल्यांकन के लिए ड्राइवर का हेड-माउंटेड डिस्प्ले जीपीएस सिस्टम के साथ इंटरफेस भी कर सकता हो. यानी कि कमांडर संभावित लक्ष्यों और खतरों को व्यापक स्तर पर आंकने में सक्षम हो.


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बीएमपी में अन्य अपग्रेड की भी तैयारी

सूत्रों ने कहा कि बदलते युद्धक परिदृश्य को देखते हुए सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री को अत्याधुनिक मिसाइलों और विजुअल रेंज से आगे घातक क्षमता (बीवीआर) से लैस करने की आवश्यकता है. इसमें फायर एंड फॉरगेट एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) शामिल हैं.

मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री को समकालीन तीसरी पीढ़ी की फायर एंड फॉरगेट एटीजीएम से लैस करने के लिए कई स्वदेशी विकल्पों का पता लगाया जा रहा है, जिसमें कुछ भारत में विकसित किए जा रहे हैं.

इसके साथ ही बीएमपी-2/कैरियर मोर्टार ट्रैक्ड (सीएमटी) चेसिस के साथ इंटीग्रेटेड कैनस्टर लॉन्च लॉइटर मुनिशन सिस्टम को अपनाने की भी योजना है.

मौजूदा उपकरणों की ड्रोन रोधी क्षमता बढ़ाने के लिए स्थिर और स्वचालित 30 मिमी तोप और उसके एक्सिस पर लगी 7.62 मिमी मशीन गन (पीकेटी) की क्षमता का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने के लिए एरियल साइट में बदलावों पर विचार किया जा रहा ताकि ये ज्यादा सटीक तरह से हवा में लक्ष्य भेदने में सक्षम हो सके.


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मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के लिए नए उपकरण खरीदने की योजना

सूत्रों ने बताया कि मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के लिए सेना एक दोहरा नजरिया अपना रही है—इसमें पुराने उपकरणों की जगह फ्यूचरिस्टिक प्लेटफार्म अपनाना और मौजूदा उपकरणों को ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए उन्हें रात में देखने में सक्षम बनाना, उनकी घातकता और खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) क्षमता को बढ़ाना शामिल है.

ट्रैक्ड कैटेगरी में प्रस्तावित खरीद में एफआईसीवी शामिल हैं जो बीएमपी-2 की जगह लेंगे.

सूत्रों ने कहा कि सेना अगले महीने 480 एफआईसीवी को खरीदने की प्रक्रिया के पहले चरण के तहत एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी (एओएन) के लिए रक्षा मंत्रालय का रुख करेगी.

अन्य उपकरण खरीदने की योजना में रिकानिस्नस एंड सपोर्ट (ट्रैक्ड) बटालियन के लिए नाग मिसाइल सिस्टम (एनएएमआईएस) लेना भी शामिल है.

मंत्रालय ने 26 जुलाई 2022 को संख्या 13 नाग मिसाइल कैरियर (एनएएमआईसीए) और 293 नाग मिसाइलों के लिए एओएन में संशोधन किया था.

टैक्ड फैमिली श्रेणी में एक अन्य खरीद योजना में इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, कमांड (आईसीवीI कमांड) शामिल है, जो कमांड एंड कंट्रोल प्लेटफॉर्म होगा, मंत्रालय की तरफ से 177 आईसीवी कमांड के लिए 26 जुलाई 2022 को एओएन जारी किया गया है.

व्हील्ड फैमिली कैटेगरी में सेना बीआरडीएम, टोही वाहनों को बदलने के लिए पहियाचालित नए बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (डब्ल्यूएच एएफवी) लेने पर विचार कर रही है. मंत्रालय की तरफ से 6 जून 2022 को 105 डब्ल्यूएच एएफवी और 1,080 एटीजीएम के लिए एओएन भी प्रदान किया चुका है.

सेना मानक मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियनों (व्हील्ड) के लिए नए व्हील्ड इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (डब्ल्यूएच आईसीवी) खरीद रही है और मौजूदा मॉडीफाइड मारुति जिप्सी की जगह लेने के लिए हल्के बख्तरबंद बहुउद्देश्यीय वाहन (एलएएमवी) भी लेने वाली है जो रेकी प्लाटून की सुरक्षा और मोबिलिटी को बढ़ाने में सक्षम होंगे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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