नई दिल्ली: सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि चीनी राष्ट्रीय छुट्टियों के समाप्त होने के बाद, दिल्ली-बीजिंग के बीच अगले दौर की सैन्य-कूटनीतिक बातचीत एक सप्ताह के भीतर शुरू होने की संभावना है. हालांकि, ऑपचारिक तारीख की घोषणा अभी तक नहीं की गई है.
सूत्रों ने बताया ‘चीन की राष्ट्रीय छुट्टियां खत्म होने के बाद अगले कोर कमांडर वार्ता के लिए तारीख तय करने पर चर्चा हुई है, लगभग एक सप्ताह के भीतर आयोजित की जाएगी.
1 अक्टूबर से चीन में राष्ट्रीय छुट्टियां शुरू हो गईं हैं आधिकारिक तौर पर यह तीन दिन लंबी है. लेकिन यह एक सप्ताह के लिए भी बढ़ाई जा सकती है. यह देश के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाई जाती है. जो 1 अक्टूबर 1949 को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की औपचारिक स्थापना का प्रतीक भी है.
जैसा कि दिप्रिंट ने शुक्रवार को रिपोर्ट किया था कि बुधवार को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सातंवी बैठक में दोनों देशों के बीच वर्किंग फॉर कंसलटेशन एंड कोऑर्डिनेशन की बैठक हुई जिसमें ‘जल्द और पूर्ण’ डिसएंगमेंट को लेकर बातचीत हुई.
पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (रिटायर) ने दिप्रिंट को बताया कि सच्चाई ये है कि वे जो कर रहे हैं वह पॉजिटिव डेवल्पमेंट है लेकिन बातचीत से कुछ भी सामने आना वाला नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों ने अपनी एक कठोर स्थिति बना ली है. हालांकि भारत ने यथास्थिति की तलाश की है, चीन भी अपनी स्थिति और आगे की तैनाती को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है. ‘चीन पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर भारत की स्थिति और परिचालन के साथ महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर भारत की मजबूत स्थिति से चिंतित है. ‘
भाटिया ने कहा कि भारत मजबूत और ताकत की स्थिति से चीन से बात करेगा.
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हालांकि, डिसएंगेजमेंट की स्थिति में कई महीनों का समय लग सकता है. लद्दाख में 40,000 से अधिक अतिरिक्त सैनिकों के जमावड़े के साथ सर्दियों की तैयारी के उद्देश्य से सेना बड़ी तैयारी कर रही है.
सैन्य और कूटनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि चीन 1959 क्लेम लाइन के मुद्दे को अगले दौर की वार्ता में ला सकता है, यहां तक कि नई दिल्ली ने भी इसे बनाए रखा है कि वह 1959 क्लेम लाइन के अनुसार एलएसी को परिभाषित करने के लिए बीजिंग के आग्रह को स्वीकार नहीं करने जा रहा है.
इस महीने की शुरुआत में, दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में, चीन के विशेषज्ञ यू सन ने कहा था कि चीनी शायद 1959 क्लेम लाइन के अपने दावे के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को परिभाषित करने की तैयारी कर रहा है. जिसे चीनी विदेश मंत्रालय ने दोहराया भी था.
‘चीन ने भारत पर सीमा प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप लगाया’
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि दोनों पक्षों के बीच 14 घंटे तक चली आखिरी सैन्य-राजनयिक बैठक में, चीनी सीमा के मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे क्योंकि वे सितंबर से मौजूद थे जबकि भारत अप्रैल से गतिरोध पर चर्चा करना चाहता था.
एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘चीन ने भारत पर प्रोटोकॉल तोड़ने और लगभग 30 पहाड़ियों के टॉप को अपने नियंत्रण में लेने का भी आरोप लगाया है.
दिप्रिंट ने भारत के बारे में पहले भी 30 पहाड़ की चोटियों और टेरेंस को नियंत्रण में लिए जाने को लेकर रिपोर्ट किया था. जो पहले पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे पर थे.
सूत्र ने आगे कहा, ‘चीनी रुख यह था कि उन्होंने एलएसी को पार नहीं किया, और यह भारत ही है जो उनके क्षेत्र में घुसपैठ कर चुका है.’
हालांकि, भारत ने कहा कि यह चीन था जिसने पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे, गलवान घाटी और फिंगर 4 क्षेत्रों में जाकर गतिरोध शुरू किया और हिंसा भी शुरू की.
जैसा की प्रिंट ने पहले भी रिपोर्ट किया है कि चीन और भारत के बीच गतिरोध तब शुरू हुआ जब चीन पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे से भारतीय सैनिकों की वापसी पर चर्चा करना चाहता था और भारत एलएसी के साथ सभी बिंदुओं पर बात करने को लेकर जोर दे रहा था.
हालांकि, दोनों पक्ष कुछ आम बिंदुओं पर एक मत भी हुए जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बिगड़ने से बचाया जा सके. जिन बिंदुओं पर आम सहमति बनी इसमें गतिरोध को रोकना, स्थिति में स्थिरता लाना, दोनो देशों के विश्वास निर्माण उपायों को लागू करना सहित कई अन्य बातें भी शामिल थीं जिसमें सैनिकों की वापसी भी शामिल थी.
सूत्र ने दोहराया कि पैंगोंग त्सो के दक्षिणी और उत्तरी किनारों पर अभी भी स्थिति सामान्य नहीं है. और दोनों देशों के सैनिक वहां तैनात हैं.
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